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पुलिस परीक्षा में फेल हुई तो सिस्टम को बुद्धू बनाया, फर्जी SI बनकर काटी मौज, अब फरार है

मोना ने बिना भर्ती परीक्षा पास किए 2 साल राजस्थान पुलिस एकेडमी के पुलिस ट्रेनिंग सेंटर में प्रशिक्षण लिया है.

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मोना ने बिना भर्ती परीक्षा पास किए 2 साल पुलिस ट्रेनिंग सेंटर में ट्रेनिंग भी ली है. (फ़ोटो/आजतक)

मोना बुगालिया पुलिस फोर्स जॉइन करना चाहती थी. तीन साल पहले उसने सब-इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा की तैयारी भी की थी. लेकिन पेपर में पास नहीं हो सकी. ये उसे मंजूर ना था तो गलत रास्ता पकड़ लिया. उसने अपने सब-इंस्पेक्टर बनने की फर्जी खबर ऐसी फैलाई कि अगले दो सालों तक अपने करीबी लोगों के साथ-साथ राज्य पुलिस विभाग को भी धोखे में रखा.

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आजतक से जुड़े संवाददाता विशाल शर्मा की रिपोर्ट की मुताबिक मोना नागौर जिले के निम्बा के बास गांव की रहने वाली है. उसके पिता पहले खेती करते थे. बाद में ट्रक ड्राइवर बन गए. मोना ने बिना भर्ती परीक्षा पास किए 2 साल राजस्थान पुलिस एकेडमी के पुलिस ट्रेनिंग सेंटर में प्रशिक्षण लिया है. 

शास्त्रीनगर थानाधिकारी किशोर सिंह ने आजतक को बताया कि आरपीए में चयनित सब-इंस्पेक्टर की तीन चरणों में ट्रेनिंग होती है. पहली बेसिक, फिर फील्ड और आखिर में दोनों को मिलाकर ‘सैंडविच’ कोर्स होता है. सब-इंस्पेक्टर बैच की बेसिक ट्रेनिंग जुलाई 2021 से सितंबर 2022 तक हो गई थी. इसके बाद 10 सितंबर को फील्ड ट्रेनिंग हो गई थी. रिपोर्ट के मुताबिक मोना गलत जानकारियां देकर दोनों तरह की ट्रेनिंग लेती रही और किसी को उस पर शक नहीं हुआ. 

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फील्ड ट्रेनिंग के बाद सभी सब-इंस्पेक्टर 11 से 23 सितंबर तक सैंडविच कोर्स की ट्रेनिंग के लिए वापस आरपीए आए थे. इसी बीच सब-इंस्पेक्टर्स ने वॉट्सऐप पर जो ग्रुप बनाया हुआ था, वहां करीब़ चार दिन पहले मोना का दूसरे सब-इंस्पेक्टर रमेश सिंह मीणा से झगड़ा हो गया. मोना ने रमेश को वॉट्सऐप पर धमकी दी कि वो उन्हें आरपीए ट्रेनिंग सेंटर से बाहर निकलवा देगी. बहस के बाद रमेश ने जांच शुरू की तो पता चला मोना फर्जी सब-इंस्पेक्टर है. इसके बाद रमेश ने शास्त्रीनगर थाने में मोना के खिलाफ 28 सितंबर को मामला दर्ज करवाया. 

मामले पर थानाधिकारी ने आगे कहा,

“मोना के ख़िलाफ़ 11 सितंबर से 23 सितंबर तक सैंडविच कोर्स में फर्जी सब-इंस्पेक्टर बनकर ट्रेनिंग करने पर IPC की धारा 419, 468, 469, 66DIT ACT और धारा 61 राजस्थान पुलिस एक्ट 2007 के तहत मामला दर्ज किया गया है. 28 सितंबर के बाद से मोना फरार है.”

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फर्जी सब-इंस्पेक्टर बनने से क्या फ़ायदा मिला?

रिपोर्ट के मुताबिक मोना अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स पर एक्टिव रहती थी. कई बार कोचिंग सेंटर वाले उसे मोटिवेशन स्पीच के लिए बुलाते थे. वर्दी में मोना ने कई बार VIP बनकर मंदिरों में दर्शन भी किए हैं. यही नहीं, मोना को कई गांवों में 26 जनवरी और 15 अगस्त के समारोह में गेस्ट के तौर पर बुलाया भी गया है. वो कई बड़े अफसरों के साथ फोटो खिंचाती रही. अब पुलिस को उसकी तलाश है.

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