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यूनिवर्सिटी बनी ही नहीं, राजस्थान सरकार ने बिल पेश कर दिया, फिर हुई मिट्टी पलीद!

सरकार को बिल वापस लेना पड़ा, बीजेपी बोली- पूरे कुएं में भांग है.

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राजस्थान के सीेएम अशोक गहलोत (साभार- आजतक)

राजस्थान विधानसभा में लाए गए एक बिल की वजह से अशोक गहलोत सरकार की काफी किरकिरी हुई है. सीकर में प्राइवेट यूनिवर्सिटी बनाए जाने के मुद्दे पर बीती 24 फरवरी को ये बिल सदन में लाया गया था. 'गुरुकुल विश्वविद्यालय, सीकर बिल 2022' (The Gurukul University Sikar Bill 2022) मंगलवार 22 मार्च को पारित होना था. लेकिन विधानसभा में सरकार के लिए उस समय अजीब स्थिति पैदा हो गई जब बिल में शामिल तथ्य ही गलत पाए गए. इसके बाद विपक्षी नेताओं ने सरकार का जमकर विरोध किया. हंगामे के बीच स्पीकर ने दखल दिया और सरकार को विधेयक वापस लेना पड़ा.

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क्या गलती पकड़ी गई?

गहलोत सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री राजेंद्र सिंह यादव ने जब बिल को चर्चा के लिए सदन में रखा, तभी नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया और उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ यूनिवर्सिटी से जुड़े वीडियो और फोटोग्राफ लेकर खड़े हो गए. आजतक से जुड़े शरत कुमार की रिपोर्ट के अनुसार दोनों नेताओं ने दावा किया कि जो रिपोर्ट सदन में बिल के साथ रखी गई है वो गलत है, यूनिवर्सिटी केवल काग़ज़ों में चल रही है जबकि जमीन पर कुछ है ही नहीं. राजेंद्र राठौड़ ने कहा,

"विधानसभा में पेश किए गए बिल में कहा गया था कि यूनिवर्सिटी का इन्फ़्रास्ट्रक्चर वहां पर बन चुका है. बिल पेश होने से पहले मैं खुद जाकर होली के समय देख कर आया हूं. वहां पर केवल खाली जमीन पड़ी हुई है."

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विधानसभा में पेश बिल में यूनिवर्सिटी के बुनियादी ढांचे को लेकर जानकारी दी गई थी कि वहां की 80 एकड़ ज़मीन पर कैंपस के अलावा 38 ऑफ़िस, 62 लेक्चर हॉल और 38 लैब तैयार हो चुके हैं. राजस्थान सरकार के उच्च शिक्षामंत्री राजेंद्र यादव ने बिल पेश करते हुए बताया था कि ये सारे इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार हैं. लेकिन विपक्ष ने इस जानकारी को चैलेंज किया जिसके चलते सरकार को बिल वापस लेना पड़ा.

"ये सदन की अवमानना जैसा है"

राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी को जब ये पता लगा कि प्रस्तावित यूनिवर्सिटी के बुनियादी ढांचे के संबंध में बिल में बताए गए तथ्य गलत हैं, तो सीकर के जिलाधिकारी से तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी गई. इस रिपोर्ट में ये क्लियर हो गया कि कोई निर्माण नहीं किया गया है. इसके बाद सरकार ने मंगलवार को इस बिल को वापस ले लिया. विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी ने भी इस पूरे मामले को गंभीर बताते हुए कहा,

"ये सदन की अवमानना जैसा है. सरकार को भविष्य में ऐसा मैकेनिज्म बनाना चाहिए ताकि इस तरह की गलती नहीं हो."

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विपक्ष ने भ्रष्टाचार के आरोप लगाए 

नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने सरकार पर सवाल खड़े किए कि बिल पास होने तक आ गया और किसी की नजर तक नहीं गई. उन्होंने कहा,

"लगता है कि पूरे कुएं में ही भांग पड़ी है. क्योंकि विधानसभा तक आने से पहले विधेयक कई चरणों से गुजरता है और किसी ने भी हकीकत जानने की कोशिश नहीं की." 

वहीं उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने यूनिवर्सिटी बनाने में हुई गड़बड़ी की जांच की मांग की. उन्होंने कहा,

"इस प्राइवेट यूनिवर्सिटी को बनाने के लिए रुपयों का बड़ा लेनदेन हुआ है और इसकी पूरी जांच होनी चाहिए."

मीडिया रिपोर्ट्स में बताया जा रहा है कि विश्वविद्यालय के निर्माण के लिए जो कमेटी गठित की गई है, उसमें उदयपुर की मोहन लाल सुखाड़िया यूनिवर्सिटी के कुलपति अमरीक सिंह भी शामिल थे, जिन पर हाल ही में विधानसभा में ये आरोप लगा था कि उनकी नियुक्ति फर्जी तरीके से की गई थी. खबरों के मुताबिक उन्होंने ही राजस्थान सरकार को ये रिपोर्ट दी थी कि सीकर में प्राइवेट यूनिवर्सिटी का सब काम पूरा हो चुका है.

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