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विदेश में बैठ कर राहुल गांधी पीएम मोदी को कौन सा गणित समझा रहे हैं?

ट्विटर पर एक्टिव हैं राहुल.

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राहुल गांधी पहले भी फेसबुक पर बीजेपी और आरएसएस के साथ साठगांठ का आरोप लगाते रहे हैं लेकिन अब उन्होंने फेसबुक हेड को ही भाजपाई कह दिया है.
कांग्रेस की स्थापना दिवस से ऐन पहले राहुल गांधी का विदेश जाना खासा चर्चा में रहा. बीजेपी नेताओं ने ट्विटर के जरिए उन पर खूब सवाल उठाए. राहुल गांधी इटली में बैठे-बैठ देश की राजनीति पर नज़र बनाए हुए हैं. नया साल शुरू होने से एक दिन पहले राहुल ने ट्विटर पर पीएम मोदी को एक नया हिसाब समझाया है. कॉर्पोरेट कर्जमाफी और कोरोना पर आम लोगों की मदद को लेकर एक ट्वीट किया. इसमें लिखा,
2 लाख 37 हज़ार 876 करोड़ रुपये का क़र्ज़ इस साल मोदी सरकार ने कुछ उद्योगपतियों का माफ़ किया. इस राशि से कोविड के मुश्किल समय में 11 करोड़ परिवारों को 20-20 हज़ार रुपये दिए जा सकते थे. मोदी जी के विकास की असलियत!
इस ट्वीट के बाद लोग उनके दिए आंकड़ों पर भी सवाल खड़े कर रहे हैं. कुछ का कहना है कि यह रकम एनपीए है न कि माफ की गई है. कुछ का कहना है कि आंकड़ों का आधार क्या है. नौकरियों और 15 लाख का हिसाब? राहुल गांधी ने 30 दिसंबर को भी ट्वीट कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तंज कसते हुए निशाना साधा था. राहुल गांधी ने पीएम के दिए कुछ बयानों को ट्वीट कर कहा है कि पीएम मोदी का असत्याग्रह का लंबा इतिहास रहा है जिस वजह से किसान उन पर भरोसा नहीं करते. उन्होंने ट्वीट किया था,
हर किसी के खाते में 15 लाख रुपए, हर साल दो करोड़ नौकरियां. मुझे 50 दिन का समय दीजिए, नहीं तो... कोरोना के खिलाफ जंग हम 21 दिनों में जीत जाएंगे... न ही किसी ने हमारी जमीन पर घुसपैठ किया है और न ही हमारे किसी पोस्ट पर कब्जा किया है... पीएम मोदी के लंबे ‘असत्याग्रह’ इतिहास के कारण किसान उन पर भरोसा नहीं करते.”  
राहुल गांधी के विदेश जाने के बाद से ही कांग्रेस उनका बचाव कर रही है. कांग्रेस ने बताया है कि ये राहुल गांधी की व्यक्तिगत यात्रा है.

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