कांग्रेस नेता और प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने पीएम मोदी से PM केयर्स फंड को लेकर सवाल पूछे हैं.
PM केयर्स फंड को लेकर एक बार फिर सवाल उठाए गए हैं. एक तरफ, ट्रस्ट के दस्तावेजों के एक क्लॉज़ में इसे एक निजी संस्था के तौर पर दर्शाए जाने का दावा किया गया है, जिससे इसे RTI से छूट मिलती है. वहीं, कांग्रेस पार्टी ने पीएम केयर्स फंड में भारतीय दूतावास के जरिए आए डोनेशन की रसीदों को लेकर पीएम मोदी से 10 सवाल पूछे हैं. कांग्रेस नेता और प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने द क्विंट की एक स्टोरी को शेयर करते हुए एक के बाद एक कई ट्वीट किए. चीन, पाकिस्तान और कतर समेत विदेशों से PM केयर्स फंड में आए दान को पेचीदा मामला बताया. उन्होंने पीएम मोदी से 10 सवाल पूछे-
क्या हैं कांग्रेस के सवाल?.
1. भारतीय दूतावासों ने PM केयर्स फंड के लिए प्रचार और दान क्यों लिया?
2.प्रतिबंधित चीनी ऐप्स पर फंड का प्रचार क्यों किया गया?
3.पाकिस्तान से कितना पैसा आया और किसने दिया?
4.कतर से किन दो कंपनियों ने PM केयर्स फंड में दान दिया है, और कितने करोड़ रुपये मिले?
5.27 देशों से कितने हजार करोड़ रुपये पीएम केयर्स फंड में आए?
6. क्या दान करने और फिर से अपनी फैक्ट्री शुरू करने के बीच NISSEI ASB के साथ कोई संबंध था?
7. 27 भारतीय दूतावासों ने सार्वजनिक मंच की जगह क्लोज्ड चैनल के जरिए इसका प्रचार क्यों किया, जबकि RTI के तहत सार्वजनिक प्राधिकरण नहीं है?
8. सरकार की ओर से फंड को FCRA की समीक्षा से बाहर क्यों रखा गया है?
9. PM केयर्स फंड सार्वजनिक प्राधिकरण क्यों नहीं है?
10. फंड को CAG और भारत सरकार द्वारा क्यों ऑडिट नहीं किया जा सकता और क्यों ना विदेशी दान पर रिपोर्ट को सार्वजनिक किया?
क्या है क्विंट की खबर में?
क्विंट की खबर के मुताबिक, RTI एक्टिविस्ट लोकेश बत्रा की ओर से 27 देशों में मौजूद एंबेसी और हाई कमिशन में RTI लगाई गईं. इनसे पता चला कि सभी ने अपनी वेबसाइटों और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर PM केयर्स फंड का प्रचार किया. इनमें इंग्लैंड, अमेरिका, चीन, जापान, कोरिया, जर्मनी, फ्रांस, स्वीडन और यहां तक कि पाकिस्तान जैसे कई देशों में मौजूद दूतावास शामिल हैं. इस खबर में दावा किया गया है कि भारत में प्रतिबंधित चीनी मोबाइल ऐप्स के जरिए PM केयर्स फंड का प्रचार किया गया. चीन में भारतीय दूतावास ने RTI में बताया कि PM केयर्स फंड में दान के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे ट्विटर-फेसबुक के अलावा दूतावास की वेबसाइट पर PM केयर्स फंड के बारे में जानकारी दी गई. WeChat और Weibo जैसे भारत में प्रतिबंधित ऐप्स के जरिए भी जानकारी साझा की गई. खबर के मुताबिक, पाकिस्तान में भारत के उच्चायोग ने RTI के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि उसने PM CARES फंड से संबंधित संदेशों का संचार किया, लेकिन यह भी कहा कि दान के लिए किसी भी निजी व्यक्ति, संगठन या NRI से संपर्क नहीं किया गया. RTI जवाब के आधार पर आरोप लगाया गया कि विदेश मंत्रालय ने दुनिया भर में दूतावासों और आयोगों के प्रमुखों को पीएम केयर्स फंड को लेकर जानकारी भेजने के लिए सार्वजनिक डोमेन के बजाय "क्लोज्ड चैनल'' का इस्तेमाल किया. ये भी आरोप लगाए गए कि विदेशी दान पाने वाले सार्वजनिक चैरिटेबल ट्रस्ट Foreign Contribution Regulation Act यानी FCRA के तहत आते हैं. लेकिन वित्त मंत्रालय ने PM CARES को इस मामले में छूट दे दी. वित्त मंत्रालय ने RTI में इसकी जानकारी देने से भी मना कर दिया.
PM केयर्स फंड निजी ट्रस्ट है या सरकारी?
PM केयर्स फंड को कॉरपोरेट दान के उद्देश्य से बनाए गए सरकारी ट्रस्ट के रूप में परिभाषित किया गया है, लेकिन ट्रस्ट के दस्तावेजों के एक क्लॉज़ में इसे एक निजी संस्था बताया गया है. ये इसे RTI के दायरे से बाहर रखने की छूट देता है. एनडीटीवी की खबर में दावा किया गया है कि हाल ही में सार्वजनिक की गई ट्रस्ट की डीड से ये जानकारी सामने आई है. PM-केयर्स फंड को दिल्ली के राजस्व विभाग में पंजीकृत किया गया है. इसमें प्रधानमंत्री को ट्रस्ट का अध्यक्ष बताया गया है.