रियो ओलम्पिक में इंडिया का दूसरा मेडल पक्का हो गया है. पीवी सिंधू के रूप में. पहला मेडल साक्षी मलिक दिलवा ही चुकी हैं. सिंधू ने जापान की ओकूहारा को 21-19 21-10 से सीधे सेटों में हराया. पहले राउंड को छोड़ सिंधू पूरे टूर्नामेंट में अपने विरोधियों को सीधे सेटों में हराती आई हैं. फाइनल में सिंधू का सामना होगा स्पेन की कैरोलिना मारिन से. अगर सिंधू आज इन्हें हरा देती हैं, तो वो गोल्ड मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला बन जायेंगी. वैसे वो अभी ही फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला बन चुकी हैं. इंडिया के लिए पर्सनल कम्पटीशन में सिर्फ़ अभिनव बिंद्रा ने ही गोल्ड मेडल जीता है. अभिनव बिंद्रा इस ओलम्पिक में खाली हाथ वापस लौट चुके हैं. बैडमिन्टन में पीवी सिंधू को आज स्पेन की कैरोलिना मारिन के खिलाफ़ खेलना होगा. कैरोलिना इस वक़्त दुनिया में सबसे अच्छी बैडमिन्टन प्लेयर हैं. दोनों के बीच कुल 7 मैच खेले गए हैं. इन 7 मैचों में सिंधू ने 3 और कैरोलिना ने 4 मैच अपने नाम किये हैं. यहां भी मामला टक्कर का ही है. पर दुनिया की सबसे अच्छी प्लेयर को अगर सिंधू बराबरी की टक्कर दे रही हैं तो इससे ज़्यादा शुभ संकेत और क्या होगा?

ये ओलम्पिक सिंधू का पहला ओलम्पिक है. पहले ही ओलम्पिक में ऐसा प्रदर्शन उनके अन्दर के पोटाश को दर्शाता है. उनके बॉडी स्मैशेस और अपनी लम्बाई का फ़ायदा उठा चपटा मारने की तकनीक उनके फेवर में क़रारा काम कर रही है. दूसरी तरफ कैरोलिना बायें हाथ से हौंकने वाली प्लेयर हैं. अगर मुक्केबाज होतीं तो साउथपॉ कहलातीं. इन्हें लड़कियों का नडाल भी कहा जाता है. वो अपनी सारी ताकत अपने और मेडल के बीच की दूरी को पाटने में लगा देंगी. पिछली दो चैम्पियनशिप जीत चुकीं कैरोलिना तेज़-तर्रार, अग्रेसिव गेम खेलती हैं. और साथ ही बैडमिन्टन पर चीन की बन चुकी एक तरह की मोनोपोली को खतम कर चुकी हैं.

मारिन सिर्फ़ नडाल की माफ़िक तेज़ खेलती ही नहीं हैं वो शारापोवा की तरह चीखती भी हैं. और सच्चाई ये है कि एशियन जमात को ये खासा नापसंद भी रहता है. उनकी एनर्जी देखने लायक होती है. वो कोर्ट में हर कोने को कवर करती हैं और उनकी रीच काफी अच्छी है. एक धीमी पेस से चलते गेम को अपने स्मैशेज़ से वो क्विकफ़ायर में बदल देती हैं. साथ ही बायें हाथ से खेलना हमेशा उनके ही फ़ेवर में काम करता है. सिंधू आखिरी बार मारिन से अक्टूबर 2015 में डेनमार्क जीती थीं. सिन्धु ने मारिन को जूनियर वर्ल्ड्स 2010 में भी हराया है. साथ ही मालदीव्स इंटरनेशनल चैलेन्ज में भी. सीनियर्स में आके मारिन ने अपना खेल बढ़ाया और ऑस्ट्रेलिया, लखनऊ और 2014 वर्ल्ड्स में वो सिंधू पर 20 साबित हुईं. वैसे सिन्धु इस वक़्त उसी भयानक फॉर्म में हैं जिस फॉर्म में वो पिछले साल डेनमार्क में थीं जहां उन्होंने मारिन को हराया था.