हम CRPF के जवानों की मौत का जश्न नहीं मना रहे हैं. हम उनके परिवार वालों का दुख समझ सकते हैं क्योंकि हम सालों से कश्मीर में हिंसा का सामना कर रहे हैं.गुलाम डार ने बेटे आदिल के जैश जॉइन करने के पीछे का कारण बताते हुए कहा कि आदिल ने पैसे के लिए जैश जॉइन नहीं किया होगा क्योंकि हमारे पास पर्याप्त पैसा है. वो पढ़ा लिखा भी था. उसे आगे भी पढ़ाई करनी थी. पिता गुलाम डार ने अपने बेटे को आतंकी बनते देखा है और जब उनसे पूछा गया कि वो घाटी के दूसरे नौजवानों को क्या कहना चाहते हैं, डार ने कहा-
मैं युवाओं को कोई मैसेज नहीं देना चाहता. लेकिन सरकार से एक अपील ज़रूर करना चाहूंगा कि वो इस हिंसा का कोई समाधान खोजे और युवाओं को इस रास्ते पर जाने से रोके.गुलाम डार 2 साल पहले तक यूएई में काम करते थे. लेकिन वहां से लौट आए और अब बेरोज़गार हैं. जिस इलाके में डार रहते हैं, वो आतंकवादी गतिविधियों के लिए जाना जाता है. सेना और आतंकवादियों के बीच मुठभेड़ रोज की कहानी है. काकापोरा और उसके आस पास का इलाका भी कट्टरपंथी है. आदिल अहमद डार ने भी इन्हीं कट्टरपंथियों के साथ मिलकर 14 फरवरी को इस हमले को अंजाम दिया जिसमें 40 जवान शहीद हो गए.
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