The Lallantop

Free Fire से बच्चे के दिमाग पर असर, नींद में भी 'फायर-फायर' बोलता, दो महीने बांधकर रखा

PUBG जैसा गेम खेलते-खेलते बच्चे की हालत बुरी तरह बिगड़ी. उसके माता-पिता की बातें डराने वाली.

post-main-image
बच्चा लगातार 14 से 15 घंटे मोबाइल में गेम खेलने लग गया था. (Aajtak)

राजस्थान के अलवर में कथित रूप से मोबाइल गेमिंग की लत से 14 साल के एक बच्चे का मानसिक संतुलन बिगड़ने का मामला सामने आया है. बच्चा सातवीं कक्षा में पढ़ता है. आजतक से जुड़े राजेंद्र शर्मा की रिपोर्ट के मुताबिक बच्चे के परिवार वालों ने बताया कि रमेश मोबाइल पर घंटों फ्री फायर और पबजी जैसे गेम खेलता था. उसे गेम खेलने की इतनी बुरी लत लगी थी कि उसे रोकने के लिए हाथ-पैर बांधने पड़ते. लेकिन उसकी हालत में कोई सुधार नहीं हुआ. हारकर उसे डॉक्टर के पास ले जाना पड़ा. रिपोर्ट के मुताबिक परिवार ने बताया कि फिलहाल बच्चे का स्पेशल हॉस्टल में इलाज चल रहा है. इससे उसकी स्थिति में सुधार भी दिखने लगा है.

पढ़ाई के लिए मिला था फोन, लग गई गेम खेलने की लत

मामला अलवर के मुंगास्का कॉलोनी का है. बच्चे की मां आसपास के घरों में साफ-सफाई का काम करती है. पिता रिक्शा चलाते हैं. पिता ने 7 महीने पहले ही एंड्रॉयड फोन लिया था. ये सोचकर कि इससे बच्चे को ऑनलाइन क्लास लेने में आसानी रहेगी. वे फोन घर पर ही छोड़ जाते थे. मगर बच्चे को पढ़ाई की जगह ऑनलाइन गेम खेलने की लत लग गई. रिपोर्ट के मुताबिक वो 14 से 15 घंटे मोबाइल में गेम खेलने लग गया था. इससे उसकी मानसिक हालत पर असर पड़ने लगा.

आजतक के मुताबिक सबसे पहले लड़के की बहन ने भाई के बर्ताव में ये बात नोटिस की. उसने माता-पिता को इसकी जानकारी दी. शुरुआत में परिजनों ने डांट फटकार लगाकर बच्चे को रोकने की कोशिश की, लेकिन काम नहीं बना. उन्होंने बताया कि बार-बार टोकने से वह दो बार रूठ कर अलवर से रेवाड़ी जा चुका है. घर वाले उसे रेवाड़ी से लेकर आए. नौबत ये आ गई कि उसे अप्रैल से मई तक घर में बांधकर रखा गया ताकि उसकी लत छूट जाए, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.

घर वालों ने बताया कि बच्चा रजाई या चादर ओढ़ कर देर रात तक गेम खेलता रहता था. उसने खाना-पीना तक छोड़ दिया. नींद में सिर्फ फायर-फायर बड़बड़ाता रहता है. उसके हाथ भी लगातार ऐसे चलते रहते हैं जैसे वो असल में फोन चला रहा हो. परिजनों का कहना है कि उन्होंने बच्चे को कई डॉक्टरों को दिखाया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. आखिर में उसको ‘दिव्यांग आवास गृह’ में भेजा है जहां मनोचिकित्सक उसका इलाज कर रहे हैं. परिजनों के मुताबिक उसकी स्थिति में सुधार होने लगा है.

बदले के लिए बार-बार खेलता था गेम

आजतक ने बच्चे से भी बात की है. उसने बताया, 

"मैं फ्री फायर गेम बहुत ज्यादा खेलने लग गया था. गेम में अगर मुझे मार दिया जाता तो मुझे लगता है कि मैं गेम हार गया हूं और मैं बदला लेने के लिए दोबारा गेम खेलने लगता."

बच्चे ने बताया कि अभी भी उसको लगातार मोबाइल पर गेम खेलने का मन करता है. लेकिन अब परिजन उसे मोबाइल नहीं देते हैं. 

वहीं संस्था के ट्रेनर भवानी शर्मा ने बताया कि बच्चा फ्री फायर गेम और ऑनलाइन गेम खेलने के कारण डरा हुआ है. रात में सोते समय भी उसकी उंगलियां चलती रहती हैं. उसका शरीर कांपने लग जाता है. सोते हुए भी फायर-फायर चिल्लाता रहता है. ऐसा बर्ताव करने लगता है जैसे वह ‘पागल’ हो गया है. भवानी ने बताया कि संस्था में काउंसलर उसकी मदद कर रहे हैं. मनोरोग चिकित्सक और अन्य डॉक्टरों की टीम भी उस पर काम कर रही है.