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"प्रयागराज प्रशासन के पैसे से मकान बनवाएंगे" - आरोपी जावेद के वकील ने और क्या दावे किए?

वकील का दावा : प्रशासन खुद मोहम्मद जावेद की मदद लेता था!

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बुल्डोजर से ढहाया गया मोहम्मद जावेद का घर. (फोटो: पीटीआई)

प्रयागराज हिंसा (Prayagraj violence) मामले में मुख्य आरोपी बनाए गए मोहम्मद जावेद के वकील केके राय ने दावा किया है कि प्रशासन ने गैरकानूनी ढंग से उनके घर को ढहाया है और हिंसा करने का बेबुनियाद आरोप उन पर लगाया गया है.

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उन्होंने आजतक को बताया, 

‘मोहम्मद जावेद न सिर्फ मेरे मुवक्किल हैं, बल्कि मेरे बहुत पुराने दोस्त हैं और इस शहर की अमन-चैन के लिए हमेशा उन्होंने काम किया है. पुलिस प्रशासन ने उनके पत्नी के नाम पर दर्ज मकान को गैरकानूनी ढंग से ढहाया है.’

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वकीक केके राय ने दावा किया कि प्रयागराज विकास प्राधिकरण ने इससे पहले कभी कोई नोटिस नहीं दिया था. शहर में हिंसा होने के बाद उन्होंने 24 घंटे से कम वक्त का नोटिस देकर पूरे परिवार को बेघर कर दिया.

उन्होंने कहा, 

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‘बीते शुक्रवार (10 जून) को नमाज के बाद जावेद अहमद अपने लोगों को अमन-चैन बरकरार रखने के लिए वॉट्सऐप पर मैसेज भेज रहे थे, वह मैसेज मुझे भी मिला था.'

विकास प्राधिकरण के पैसे से ही मकान बनवाएंगे!

वकील ने आगे कहा, 

‘हमने प्रयागराज पुलिस व विकास प्राधिकरण की मनमानी के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका डाली है, जिस पर आज (13 जून) संभवत: सुनवाई होगी. जरूरत पड़ेगी तो अधिवक्ता मंच की तरफ से सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़ेंगे. प्रयागराज विकास प्राधिकरण के पैसे से ही मोहम्मद जावेद का मकान बनवाएंगे.’

केके राय ने कहा कि उनकी दोस्ती प्रयागराज जिला के प्रशासनिक अधिकारियों से थी, जो हर मुश्किल स्थिति में, हर अवसर पर जावेद मोहम्मद को अपने साथ बुलाते थे. अमन कमेटियों में उनको सबसे ऊपर रखा जाता था. नागरिकता कानून आंदोलन में भी जावेद के जरिए जनता और प्रशासन के बीच संवाद स्थापित किया गया था. उनका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है. वो किसी तरह के ठेके-पट्टेदारी के काम में नही हैं.

उन्होंने कहा, 

'वह पिछले 20 सालों से कब्रिस्तान में अवैध कब्जे के खिलाफ, पिछले पांच साल से बूचड़खानों के खिलाफ, नगर निगम की साफ-सफाई जैसे तमाम जनहित के मुद्दों पर आवाज उठाते रहे हैं.’

मोहम्मद जावेद जिला प्रशासन की अमन कमेटी में थे

हिंसा कराने के सवाल पर उनके वकील ने कहा, 

'मैं ही नहीं, इस शहर के हजारों लोग वॉट्सऐप के जरिये उनसे जुड़े हुए हैं, जिसमें उन्होंने बड़े अदब के साथ लोगों से गुजारिश की थी कि इस देश में अमन-चैन बनाने की जिम्मेदारी हम सब की है. जुमे की नमाज के बाद हम सब अपने घर पर रहें और किसी भी तरह से इलाहाबाद को बदनाम न होने दें.'

वकील केके राय ने कहा कि प्रशासन जिस वॉट्सऐप मैसेज के जरिये हिंसा भड़काने का आरोप जावेद पर लगा रही है, उसे वो वॉट्सऐप सार्वजनिक करना चाहिए. यदि पुलिस झूठ का सहारा ले रही है तो इसका पर्दाफाश जनता की तरफ से होना चाहिए. जो मकान परवीन फातिमा के नाम पर था, जिसे उनके पिता ने गिफ्ट किया था, जिस मकान के स्वामित्व से जावेद मोहम्मद का कोई मतलब नहीं है, उस व्यक्ति के नाम पर नोटिस जारी कर मकान को जमींदोज करके प्रशासन ने परवीन फातिमा और उनके चार बच्चों को बेघर कर दिया है.

ढहाने से पहले जावेद का घर ऐसा था. (फोटो: इंडिया टुडे)

उन्होंने कहा, 

‘अगर आप जावेद मोहम्मद को आरोपी मान रहे हैं, तो उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज है और वे जेल में हैं. लेकिन परवीन फातिमा और उनकी बेटियों का क्या गुनाह था कि आपने उनके सिर उनकी छत भी छीन ली. पुलिस कानून तोड़ कर उन्हें थाने ले आई और तीन दिन तक बिना किसी वारंट के हिरासत में रखा. उनका मानसिक उत्पीड़न किया गया और उन्हें धार्मिक आधार पर गालियां दी गई.'

वकील ने कहा, 

‘कोई भी कानून इस तरह बुल्डोजर का इस्तेमाल कर किसी के घर को गिराने की इजाजत नहीं देता है. अगर उसमें कोई समस्या थी तो उस मकान को सील किया जाता या फिर उसे रेगुलराइज किया जाता. आप एक फर्जी नोटिस लगाकर, बिना किसी आधार के आरोप लगाकर आपने 24 घंटे का भी अवसर नहीं दिया और उस मकान को गिरा दिया.'

उन्होंने कहा कि यह दर्शाता है कि उत्तर प्रदेश में जिला प्रशासन के सहयोग से विकास प्राधिकरण द्वारा कानून की धज्जियां उड़ाई गई है.

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