लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार ने CAA (Citizenship Amendment Act) के नियमों को नोटिफाई कर दिया है. इस संबंध में 11 मार्च को बताया गया कि गृह मंत्रालय नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 के तहत नियमों को नोटिफाई करेगा. इस घोषणा के बाद विपक्ष ने कहा है कि मोदी सरकार ने 'इलेक्टोरल बॉन्ड घोटाले' पर सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद हेडलाइन को मैनेज करने की कोशिश की है. ये भी कहा है कि CAA नियमों के नोटिफिकेशन के लिए जानबूझकर लोकसभा चुनाव से ठीक पहले का समय चुना गया है.
'SBI हेडिंग मैनेज करने की कोशिश', CAA पर मोदी सरकार के एलान के बाद किसने क्या कहा?
11 मार्च की शाम को गृह मंत्रालय ने नागरिकता (संशोधन) नियम, 2024 के नाम से नोटिफिकेशन जारी किया. इसके साथ ही मोदी सरकार ने CAA को देश में लागू कर दिया. इसके बाद कांग्रेस समेत कई राजनीतिक विरोधियों की तरफ से रिएक्शन्स आने का सिलसिला शुरू हो गया है.
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कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सवाल किया कि मोदी सरकार को CAA के नियम अधिसूचित करने में 4 साल से ज्यादा का वक्त क्यों लगा. उन्होंने X पर लिखा,
“दिसंबर 2019 में संसद द्वारा पारित नागरिकता संशोधन अधिनियम के नियमों को अधिसूचित करने में मोदी सरकार को चार साल और तीन महीने लग गए. प्रधानमंत्री दावा करते हैं कि उनकी सरकार बिल्कुल प्रोफेशनल ढंग से और समयबद्ध तरीके से काम करती है. CAA के नियमों को अधिसूचित करने में लिया गया इतना समय प्रधानमंत्री के सफेद झूठ की एक और झलक है.”
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कांग्रेस नेता ने आगे कहा,
"नियमों की अधिसूचना के लिए 9 बार एक्सटेंशन मांगने के बाद घोषणा करने के लिए जानबूझकर लोकसभा चुनाव से ठीक पहले का समय चुना गया है. ऐसा स्पष्ट रूप से चुनाव को ध्रुवीकृत करने के लिए किया गया है, विशेष रूप से असम और बंगाल में. ये इलेक्टोरल बॉन्ड घोटाले पर सुप्रीम कोर्ट की कड़ी फटकार और सख्ती के बाद हेडलाइन को मैनेज करने का प्रयास भी प्रतीत होता है."
वहीं पश्चिम बंगाल की CM ममता बनर्जी ने कहा,
"पहले मुझे नियमों को देखने दीजिए. अगर लोगों को नियमों के तहत उनके अधिकारों से वंचित किया जाता है, तो हम इसके खिलाफ लड़ेंगे. ये चुनाव के लिए बीजेपी का प्रचार है और कुछ नहीं."
CM ममता ने कहा,
अखिलेश यादव बोले- 'हिसाब तो देना ही होगा'"आपको 6 महीने पहले नियमों को अधिसूचित करना चाहिए था. अगर कोई अच्छी चीजें हैं, तो हम हमेशा समर्थन और सराहना करते हैं. लेकिन अगर कुछ भी ऐसा किया जाता है, जो देश के लिए अच्छा नहीं है, तो TMC हमेशा अपनी आवाज उठाएगी और इसका विरोध करेगी. मुझे पता है कि रमजान से पहले आज की तारीख क्यों चुनी गई. मैं लोगों से शांत रहने और किसी भी अफवाह से बचने की अपील करती हूं."
सपा मुखिया अखिलेश यादव ने X पर लिखा,
"जब देश के नागरिक रोज़ी-रोटी के लिए बाहर जाने पर मजबूर हैं तो दूसरों के लिए ‘नागरिकता कानून’ लाने से क्या होगा?
जनता अब भटकावे की राजनीति का भाजपाई खेल समझ चुकी है. भाजपा सरकार ये बताए कि उनके 10 सालों के राज में लाखों नागरिक देश की नागरिकता छोड़ कर क्यों चले गए.
चाहे कुछ हो जाए कल ‘इलेक्टोरल बॉन्ड’ का हिसाब तो देना ही पड़ेगा और फिर ‘केयर फंड’ का भी."
यूपी एक एक और पूर्व सीएम और बसपा प्रमुख मायावती की भी प्रतिक्रिया आई. उन्होंने लिखा,
ओवैसी बोले- 'विरोध के अलावा कोई विकल्प नहीं'"केंद्र सरकार द्वारा नागरिकता संशोधन कानून को, अब ठीक चुनाव से पहले लागू करने के बजाय, इसको लेकर लोगों में जो संदेह, असमंजस व आशंकाएं हैं उन्हें पूरी तरह से दूर करने के बाद ही लागू किया जाना ही बेहतर होता."
AIMIM मुखिया और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा,
"आप क्रोनोलॉजी समझिए पहले चुनाव का मौसम आएगा, फिर CAA के नियम आएंगे. CAA पर हमारी आपत्तियां पहले की तरह ही हैं. CAA विभाजनकारी है और गोडसे की सोच पर आधारित है जो मुसलमानों को दोयम दर्जे का नागरिक बनाना चाहते थे.
सताए गए किसी भी व्यक्ति को शरण दें, लेकिन नागरिकता धर्म या राष्ट्रीयता पर आधारित नहीं होनी चाहिए. सरकार को बताना चाहिए कि उसने इन नियमों को पांच साल तक क्यों लंबित रखा और अब इसे क्यों लागू कर रही है. NPR (नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर)-NRC (नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन) के साथ, CAA का मकसद केवल मुसलमानों को टारगेट करना है. इसका कोई और मकसद नहीं है.
CAA, NPR, NRC का विरोध करने के लिए सड़कों पर उतरे भारतीयों के पास फिर से इसका विरोध करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा."
आम आदमी पार्टी (AAP) के मुखिया और दिल्ली के CM अरविंद केजरीवाल ने CAA पर मोदी सरकार को घेरा है. उन्होंने X पर लिखा,
"दस साल देश पर राज करने के बाद ऐन चुनाव के पहले मोदी सरकार CAA लेकर आई है. ऐसे वक्त जब गरीब और मध्यम वर्ग महंगाई से कराह रहा है और बेरोजगार युवा रोजगार के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहा है, उन असली मुद्दों का समाधान करने की बजाए ये लोग CAA लाए हैं.
कह रहे हैं कि तीन पड़ोसी राज्यों के अल्पसंख्यकों को भारत में नागरिकता दी जाएगी. यानी ये पड़ोसी राज्यों के लोगों को भारत में लाकर बसाना चाहते हैं. क्यों? अपना वोट बैंक बनाने के लिए. जब हमारे युवाओं के पास रोजगार नहीं है तो पड़ोसी राज्यों से आने वाले लोगों को रोजगार कौन देगा? उनके लिए घर कौन बनाएगा? क्या बीजेपी उनको रोजगार देगी? क्या बीजेपी उनके लिए घर बनाएगी?"
केजरीवाल ने आगे लिखा,
"पूरा देश CAA का विरोध करता है. पहले हमारे बच्चों को नौकरी दो, पहले हमारे लोगों को घर दो. फिर दूसरे देशों के लोगों को हमारे देश में लाना. पूरी दुनिया में हर देश दूसरे देशों के गरीबों को अपने देश में आने से रोकता है क्योंकि इस से स्थानीय लोगों के रोजगार कम होते हैं. बीजेपी शायद दुनिया की अकेली पार्टी है, जो पड़ोसी देशों के गरीबों को अपना वोट बैंक बनाने के लिए ये गंदी राजनीति कर रही है. ये देश के खिलाफ है.
खासकर असम और पूरे उत्तर पूर्वी भारत के लोग इसका सख्त विरोध करते हैं जो बांग्लादेश से होने वाले माइग्रेशन के शिकार रहे हैं और जिनकी भाषा और संस्कृति आज खतरे में है. बीजेपी ने असम और पूरे उत्तर-पूर्वी राज्यों के लोगों को धोखा दिया है."
वहीं केरल के सीएम पी विजयन ने साफ कर दिया है कि सीएए को वो अपने राज्य में लागू होने नहीं देंगे. मोदी सरकार के नोटिफिकेशन जारी करने के बाद पी विजयन की तरफ से बयान जारी किया गया. इसमें केरल के सीएम ने एक बार फिर इस कानून को लागू नहीं करने की बात दोहराई है.
बता दें कि 11 मार्च की शाम को पहले सूत्रों के हवाले से खबर आई थी कि गृह मंत्रालय CAA के तहत नोटिफिकेशन जारी करेगा. ऐसी संभावना भी जताई जा रही थी कि PM मोदी इस सिलसिले में बड़ा एलान कर सकते हैं. हालांकि, बाद में साफ हुआ कि PM मोदी 11 मार्च को कोई संबोधन नहीं देंगे. वहीं गृह मंत्रालय के प्रवक्ता की ओर से नागरिकता (संशोधन) नियम, 2024 के नाम से नोटिफिकेशन जारी करने की जानकारी दी गई. बताया गया कि भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन पूरी तरह से ऑनलाइन मोड में होंगे, जिसके लिए एक वेब पोर्टल उपलब्ध कराया गया है.
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