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OCCRP का Adani के बाद वेदांता पर खुलासा, ऐसा क्या कहा जो सरकार पर बड़े सवाल उठने लगे?

Adani के बाद OCCRP ने Vedanta Group पर जारी की रिपोर्ट में बहुत बड़े आरोप लगा दिए, उसका दावा है कि भारत में पर्दे के पीछे बड़ा खेल हो गया

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वेदांता ग्रुप ने अपने ऊपर लगे इन आरोपों से इनकार किया है. (फोटो- आजतक/रॉयटर्स)

OCCRP. माने ऑर्गनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट. ये एब्रिविएशन कल से भारत में खूब चर्चा में है. OCCRP ने अब एक और खुलासा कर चर्चा को बढ़ा दिया है. खुलासा है अनिल अग्रवाल की कंपनी वेदांता (OCCRP targets Vedanta group) को लेकर. OCCRP ने वेदांता पर आरोप लगाए हैं कि कोरोना महामारी के दौरान कंपनी ने पर्यावरण कानूनों का उल्लंघन किया था. इतना ही नहीं इसके लिए सरकार के साथ लॉबीइंग भी की गई थी.

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OCCRP की ये रिपोर्ट 1 सितंबर को जारी की गई. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इसमें दावा किया गया है कि जनवरी 2021 में वेदांता ग्रुप के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने तत्कालीन पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर से कहा था कि, सरकार को माइनिंग कंपनियों को नई पर्यावरण मंजूरी हासिल किए बिना 50 फीसदी तक उत्पादन बढ़ाने की अनुमति देनी चाहिए. ग्रुप के चेयरमैन का मानना था कि इससे देश की अर्थव्यवस्था को तेजी से पटरी पर लाया जा सकता है.

वेदांता ग्रुप के चेयरमैन ने ये भी दावा किया था कि इससे ज्यादा रेवेन्यू हासिल करने में मदद मिलेगी. और बड़े पैमाने पर नौकरियां पैदा होने की भी उम्मीद है. रिपोर्ट में ये दावा किया गया है कि चेयरमैन के इन सुझावों के बाद प्रकाश जावड़ेकर ने एक पत्र लिखा. उसमें कहा गया कि ये बहुत जरूरी है. उन्होंने अपने मंत्रालय के सेक्रेटरी और डायरेक्टर जनरल को पॉलिसी के मुद्दे पर चर्चा करने के निर्देश दे दिए. रिपोर्ट में बताया गया कि 2022 की शुरुआत में पर्यावरण मंत्रालय ने कई बैठकों के बाद सार्वजनिक सुनवाई के बिना ही माइनिंग कंपनियों को 50 फीसदी तक उत्पादन बढ़ाने की अनुमति देने के लिए नियमों में ढील दे दी.

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OCCRP ने ये पत्र शेयर कर दावा किया कि प्रकाश जावड़ेकर ने अनिल अग्रवाल के सुझावों को अहमियत दी. 
सरकार ने पर्यावरणविदों को चुप कराया!

OCCRP ने अपनी रिपोर्ट में केंद्र सरकार पर ये आरोप भी लगाया कि सरकार ने पर्यावरणविदों को भी चुप कराया. रिपोर्ट में लिखा है कि 2014 में बीजेपी के सत्ता में आने के बाद से भारत सरकार ने पर्यावरणविदों को चुप कराने की कोशिश की. OCCRP ने एक्सपर्ट के हवाले से कहा कि कोरोना काल के बाद से धमकी और सेंसरशिप भी बढ़ गई हैं.

OCCRP ने अपनी रिपोर्ट में ये भी दावा किया है कि पर्यावरण नियमों में ढील दिलवाना कंपनी का एकमात्र सफल लॉबीइंग अभियान नहीं था. पिछले कुछ सालों में पर्यावरण कानूनों और नीतियों में कई बदलाव किए गए.

वेदांता ग्रुप ने OCCRP के आरोपों पर क्या कहा?

वेदांता ग्रुप ने अपने ऊपर लगे इन आरोपों से इनकार किया है. ग्रुप के सूत्रों के मुताबिक कहा गया है कि सरकार द्वारा निर्धारित पर्यावरण नियमों का कोई भी उल्लंघन नहीं किया गया है. CNBC TV 18 को दिए बयान में कंपनी ने कहा कि वो स्थायी तरह से उत्पादन बढ़ाने के लिए काम कर रहे हैं. पर्यावरण नियमों के उल्लंघन की बात पूरी तरह से बेबुनियाद है.

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OCCRP ने अडानी ग्रुप पर भी खुलासा किया

31 अगस्त के दिन OCCRP ने अडानी ग्रुप को लेकर भी कई खुलासे किए. OCCRP ने आरोप लगाया कि कंपनी मॉरीशस में कुछ ऑफशोर ऑपरेशन को कंट्रोल कर रही थी. इसमें अडानी परिवार के कई लोगों के जुड़े होने के भी आरोप हैं. बताया गया कि ये ऑपरेशन साल 2013 से 2018 के बीच हुए. इससे ग्रुप ने अपने शेयर की कीमतों को बढ़ाने का प्रयास किया.

रिपोर्ट में दावा किया गया कि गौतम अडानी के भाई विनोद अडानी ने इन ऑपरेशंस में अहम भूमिका निभाई थी. हालांकि, अडानी ग्रुप कहता रहा कि कंपनी के रोजमर्रा के मामलों में विनोद अडानी की कोई भूमिका नहीं रही है. OCCRP की रिपोर्ट में विनोद अडानी के दो करीबी सहयोगियों को ऑफशोर कंपनियों का एकमात्र लाभार्थी बताया गया है. इन्हीं के जरिए पैसे का आदान-प्रदान हुआ. इसके अलावा ये भी दावा किया गया कि मॉरीशस की दो फंडिंग फर्म्स ने अडानी के शेयर्स में जो इन्वेस्टमेंट किया उसकी देखरेख दुबई की एक कंपनी ने की. ये कंपनी विनोद अडानी का एक करीबी चला रहा था.

OCCRP के इन दावों पर अडानी ग्रुप ने कहा कि नए सबूत और दावे कुछ भी नहीं हैं. बल्कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट में लगाए गए निराधार आरोपों का दोहराव है. अडानी ग्रुप ने कहा कि इन आरोपों में न तो कोई सच्चाई है और न ही कोई आधार है, इन सभी को हम स्पष्ट रूप से खारिज करते हैं.


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