नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर मची भगदड़ में अब तक 18 लोगों की मौत हो चुकी है (New Delhi Railway Station Stampede). इस हादसे ने रेलवे प्रशासन की भीड़ प्रबंधन क्षमता और सुरक्षा इंतजामों पर गंभीर सवालात खड़े कर दिए हैं. शुरूआत में तो रेलवे प्रशासन ने भगदड़ की बात से भी इंकार कर दिया था. हालांकि, बाद में इस हादसे की पुष्टि की गई. इस हादसे के पीछे कई बड़ी वजहें हैं, जिनसे हालात बिगड़ते चले गए और कई जानें चली गईं.
हजारों टिकट, एक अनाउंसमेंट, लापरवाही... नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर इन वजहों से मची भगदड़
New Delhi Railway Station Stampede: इस हादसे ने रेलवे प्रशासन की भीड़ प्रबंधन क्षमता और सुरक्षा इंतजामों पर गंभीर सवालात खड़े कर दिए हैं. इस हादसे के पीछे कई बड़ी वजहें हैं, जिनसे हालात बिगड़ते चले गए और कई जानें चली गई. क्या हैं वे बड़ी वजहें?

इस हादसे को लेकर एक जांच रिपोर्ट तैयार की गई है. जिसके मुताबिक, प्लेटफॉर्म संख्या 14 पर यात्री प्रयागराज जाने के लिए जिस ट्रेन का इंतजार कर रहे थे. वो लेट चल रही थी. वहीं, प्लेटफॉर्म 13 के यात्री, स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस का इंतजार कर रहे थे. यानी प्लेटफॉर्म 13 और 14 यात्रियों से खचाखच भरे हुए थे. तभी अचानक रेलवे की तरफ से अनाउंसमेंट हुआ कि प्लेटफॉर्म संख्या 16 पर प्रयागराज जाने के लिए एक स्पेशल ट्रेन आ रही है.
इसके बाद यात्री तेजी से प्लेटफॉर्म 16 पर पहुंचने के लिए दौड़े और सीढ़ियों और एस्केलेटर पर चढ़ने लगे. भीड़ ज्यादा होने की वजह से भगदड़ मच गई और कई लोगों की दबकर मौत हो गई. कई लोग टिकट काउंटर पर थे. इनमें ज्यादातर प्रयागराज जाने वाले थे. अचानक ट्रेन आने का अनाउंसमेंट हुआ तो लोग बिना टिकट प्लेटफार्म की तरफ भागे. इससे भगदड़ मच गई.
रेलवे प्रशासन से ये बात छिपी नहीं है कि प्रयागराज जाने के लिए स्टेशनों पर लोगों की भारी भीड़ है. इसके बावजूद धड़ाधड़ जनरल टिकट जारी किए गए. रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्रयागराज के लिए हर घंटे 1500 से ज्यादा टिकट जारी किए जा रहे थे, जिससे स्टेशन पर यात्रियों की संख्या लगातार बढ़ती गई.
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वीकेंड्स पर कुंभ जाने के लिए होड़प्रयागराज जाने वालों की भीड़ पिछले दो वीकेंड्स से लगातार बढ़ रही थी. इसके बावजूद रेलवे स्टेशन पर प्रशासन ने कोई कंट्रोल रूम नहीं बनाया. कुंभ में बढ़ती भीड़ के चलते प्रशासन ने वीकेंड्स के दिन हर तरह के वाहन पास निरस्त करने का आदेश पहले ही दे दिया था. लेकिन रेलवे स्टशनों पर इस तरह की कोई व्यवस्था या तैयारी नहीं देखने को मिली.
भगदड़ को लेकर मृतकों के परिजनों ने प्रशासन पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं. उनका कहना है कि हादसे के वक्त स्टेशन के बाहर सिर्फ एक एंबुलेंस थी. घायलों के इलाज करने और अस्पताल पहुंचाने में देरी हुई. इतनी भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त पुलिस बल और सुरक्षाकर्मी तैनात नहीं किए गए थे. जिस हिसाब से भीड़ थी, उस हिसाब से तकरीबन हर प्लेटफार्म पर 30 से 40 पुलिसकर्मी तैनात होने चाहिए थे. हालांकि, प्रशासन हादसे के बाद जागा और रेलवे स्टेशन पर 50 के करीब एंबुलेंस भेजी गईं.
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