इस साल NEET एग्जाम को लेकर जारी हंगामे के बीच सरकार की तरफ़ से पहली स्वीकारोक्ति आई है. शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने माना है कि 'ख़ास क्षेत्रों में कुछ गड़बड़ियां' हुई हैं (Dharmendra Pradhan acknowledged about some errors in NEET Exam) . ये कबूलनामा पेपर लीक के आरोपों पर बिहार में हो रही जांच के बीच आया है. धर्मेंद्र प्रधान ने NTA के भीतर ज़िम्मेदारी तय करने की बात कही है. साथ ही उन्होंने कहा है कि इसकी संरचना और कार्यप्रणाली की समीक्षा के लिए एक हाई लेवल कमेटी बनाई जाएगी (high-level committee to fix responsibility within NTA). इस बीच NEET को लेकर हो रहे हंगामे पर CPI(M) की भी प्रतिक्रिया आई है. CPI(M) महासचिव सीताराम येचुरी ने NTA को ख़त्म करने (Sitaram Yechury demanded the scrapping of NTA) और केंद्रीय शिक्षा मंत्री के इस्तीफे की मांग की है.
धर्मेंद्र प्रधान ने NEET मामले में हाई लेवल कमेटी बनाने की बात कही, लेफ़्ट पार्टियों ने NTA को बर्खास्त करने की मांग कर दी
शिक्षा मंत्री Dharmendra Pradhan ने माना है कि NEET एग्जाम को लेकर 'ख़ास क्षेत्रों में कुछ गड़बड़ियां' हुई हैं. वहीं, लेफ़्ट पार्टियां NTA को ख़त्म करने की मांग कर रही (Left parties on NTA) हैं.

20 जून को धर्मेंद्र प्रधान ने NEET-UG से जुड़े आरोपों और विवाद पर प्रेस कॉन्फ़्रेंस को संबोधित किया. इसमें उनका रुख पिछले हफ़्ते से अलग दिखा. पिछले हफ़्ते उन्होंने कहा था कि पेपर लीक होने का कोई सबूत नहीं है, ना ही कोई भ्रष्टाचार हुआ है. अब उन्होंने युवाओं और छात्रों के बीच विश्वास खोने की नैतिक ज़िम्मेदारी ली है. धर्मेंद्र प्रधान ने कहा,
"मैं इसकी नैतिक ज़िम्मेदारी लेता हूं. देश के भविष्य को सुरक्षित करना होगा. गुणवत्ता और पारदर्शिता को बनाए रखना होगा. साथ ही लाखों गरीब छात्रों की मेहनत का सम्मान करना होगा."
NEET परीक्षा रद्द किए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा,
"देश के कुछ अलग-अलग घटनाओं के लिए ग्रामीण क्षेत्रों के अभ्यर्थियों के भविष्य को ख़तरे में नहीं डालना चाहिए. बिहार पुलिस से मिली शुरुआती जानकारी के मुताबिक़, कुछ ग़लतियां हुई हैं. लेकिन वो कुछ ख़ास क्षेत्रों तक ही सीमित हैं. मैं आश्वासन देता हूं कि सभी जानकारी और सबूत मिलने के बाद दोषियों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई की जाएगी. सरकार NTA के अफ़सरों के ख़िलाफ़ भी कार्रवाई करने से नहीं कतराएगी. चाहे उनका पद और वरिष्ठता कुछ भी हो."
जब धर्मेंद्र प्रधान से पूछा गया कि शिक्षा मंत्रालय NEET-UG की परीक्षा भी रद्द क्यों नहीं कर देता, जैसा UGC-NET के लिए किया गया था. तब उन्होंने कहा कि इस समय दोनों परीक्षाओं की स्थिति और परिदृश्य बहुत अलग हैं. दोनों की तुलना नहीं की जा सकती. इस बात के पुख्ता इनपुट मिले हैं कि UGC-NET का पेपर डार्क नेट पर लीक हो गया था और लीक हुआ पेपर वास्तविक NET प्रश्नपत्र से मेल खाता है. UGC-NET परीक्षा रद्द करना अस्थायी या संदेह पर आधारित नहीं था.
हाई लेवल कमेटी की संरचना और क्या काम होंगे इसके बारे में तो प्रधान ने सदस्यों के नाम का खुलासा नहीं किया. हालांकि उन्होंने कहा कि पैनल में सभी पृष्ठभूमि के लोग शामिल होंगे. इनमें शिक्षाविद, टेक्नोक्रेट, और मनोवैज्ञानिक भी शामिल होंगे.
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सीताराम येचुरी ने साधा निशानावहीं मामले में CPI(M) महासचिव सीताराम येचुरी ने भी सरकार पर निशाना साधा है. येचुरी ने इसे लेकर X पर पोस्ट किया. पोस्ट में उन्होंने कहा,
"हम अपने छात्रों और भारत के भविष्य के साथ खड़े हैं. ये लोग नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली NDA सरकार के अपने शैक्षणिक मानकों को मिटाने से बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं."
अपने पोस्ट में उन्होंने पॉइंट के जरिए कुछ मांगें रखीं. लिखा,
"1. NDA सिस्टम को ख़त्म किया जाए.
2. केंद्रीय शिक्षा मंत्री इस्तीफा दें.
3. हाल ही में NET और NEET एग्जाम देने वाले छात्रों को केंद्र सरकार मुआवजा दे.
4. PHD प्रवेश के लिए अनिवार्य NET स्कोर की हाल ही में अपनाई गई प्रणाली को वापस लिया जाए.
5. मौजूदा प्रवेश प्रक्रियाओं को केंद्रीकृत प्रवेश परीक्षाओं के साथ बदलने के प्रस्ताव को वापस लिया जाए."
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डी राजा का भी हमलाइसके साथ ही CPI के महासचिव डी राजा ने भी NTA को ख़त्म करने की मांग की है. राजा ने एक्स पोस्ट में लिखा,
"शिक्षा मंत्रालय के अंदर जो कुछ हो रहा है, वो किसी क्राइम से कम नहीं. उन्होंने संघीय व्यवस्था विरोधी और गरीब विरोधी NEET को लागू किया. हमारे देश की चिकित्सा शिक्षा प्रणाली को खतरे में डाला, जिससे वंचित वर्ग को गुणवत्ता वाली चिकित्सा शिक्षा नहीं मिल पाई. पेपर लीक होने पर UGC-NET को रद्द किया गया. इससे परीक्षा आयोजित करने में NTA की अक्षमता फिर से उजागर हुई. भीषण गर्मी के बीच छात्रों को परीक्षा देने के लिए मजबूर करना अमानवीय था. छात्र दूर-दराज के इलाकों से परीक्षा केंद्रों पर जाते हैं. उन्हें निराशा ही हाथ लगती है, क्योंकि सरकार उनकी समस्याएं नहीं सुनती."
डी राजा ने भी NTA की जगह कोई विकेंद्रीकृत संगठन लाने की बात कही. उनका मानना है कि शिक्षा की पूरी केंद्रीकृत प्रणाली पर अब बहस की जरूरत है. उन्होंने NTA द्वारा धोखा दिए गए छात्रों को मुआवजा दिए जाने की भी बात कही है.
इस बीच इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि परीक्षा दोबारा आयोजित तो किए जा सकते हैं, लेकिन कुछ प्रभावित परीक्षा केंद्रों के अभ्यर्थियों के लिए ही. बिहार पुलिस से मिले शुरुआती सबूतों के आधार पर सरकार का मानना है कि जो गड़बड़ी हुई, वो कुछ क्षेत्रों तक ही सीमित है. इस वजह से देश भर में दोबारा परीक्षा कराने की ज़रूरत नहीं है.
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