राजस्थान के कोटा (Kota) में एक और स्टूडेंट की सुसाइड केस सामने आया है. ये स्टूडेंट NEET की तैयारी कर रहा था, जिसे 27 सितंबर को उसके कमरे में मृत पाया गया. पुलिस मामले की जांच कर रही है और स्टूडेंट के घर वालों से पूछताछ जारी है. छात्र का शव पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा जा चुका है. कोटा में इस साल किसी स्टूडेंट के सुसाइड (Student Suicide) का ये 27वां मामला है.
कोटा में एक और छात्र ने की सुसाइड, NEET की तैयारी कर रहा था, पिता टीचर हैं
कोटा में इस साल स्टूडेंट सुसाइड का ये 27वां केस है. बीते अगस्त और सितंबर महीने में ही ऐसे 9 मामले सामने आ चुके हैं.

आजतक के चेतन गुर्जर की रिपोर्ट के मुताबिक मृतक छात्र की उम्र 20 साल थी. उसका नाम मोहम्मद तनवीर है. तनवीर मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए नेशनल एलिजिबिलिटी-कम-एंट्रेंस टेस्ट (NEET) की तैयारी कर रहा था. पुलिस ने बताया कि मोहम्मद तनवीर को उसके कमरे में मृत पाया गया था.
तनवीर उत्तर प्रदेश के महाराजगंज का रहने वाला था. उसकी बहन और पिता भी कोटा में ही रहते हैं. बहन भी NEET की तैयारी कर रही है. पिता एक कोचिंग सेंटर में 11वीं और 12वीं के छात्रों को पढ़ाते हैं. तनवीर की मौत किन परिस्थितियों में हुई इसका अभी तक पता नहीं चल पाया है. मामले की जांच चल रही है.
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सुसाइड रोकने के लिए क्या उपाय किए जा रहे हैं?मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कोटा में इस साल जनवरी से लेकर अब तक 27 छात्रों की सुसाइड से मौत हो चुकी है. अगस्त और सितंबर महीने में ही 9 स्टूडेंट के सुसाइड से मौत के मामले सामने आ चुके हैं.
सुसाइड के बढ़ते मामलों के मद्देनजर कोटा का स्थानीय प्रशासन तमाम उपाय कर रहा है. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक अधिकारियों ने घरों के पंखों में एंटी-हैंगिंग डिवाइस लगाना अनिवार्य कर दिया है. कोचिंग संस्थानों को दो महीने के लिए कोई भी एग्जाम नहीं कराने का निर्देश दिया गया है.
कोटा पुलिस हॉस्टल और पीजी में रहने वाले छात्रों में डिप्रेशन या तनाव के किसी भी लक्षण का पता लगाने के लिए हॉस्टल के कर्मचारियों की मदद लेने की कोशिश कर रही है. अधिकारियों ने छात्रों के लिए एक फॉर्म तैयार किया है. इसे छात्रों से भरवाकर ये पता लगाने की कोशिश होगी कि कौन से छात्र डिप्रेशन से जूझ रहे हैं.
(अगर आप या आपके किसी परिचित को खुद को नुकसान पहुंचाने वाले विचार आ रहे हैं तो आप इस लिंक में दिए गए हेल्पलाइन नंबरों पर फोन कर सकते हैं. यहां आपको उचित सहायता मिलेगी. मानसिक रूप से अस्वस्थ महसूस होने पर डॉक्टर के पास जाना उतना ही ज़रूरी है जितना शारीरिक बीमारी का इलाज कराना. खुद को नुकसान पहुंचाना किसी भी समस्या का समाधान नहीं है.)