The Lallantop
लल्लनटॉप का चैनलJOINकरें

इस्तीफे के बाद सिद्धू ने पंजाबी में नाराज़गी की जो वजह बताई, हिंदी में जानिए

दाग़ी नेताओं और दाग़ी अफसरों की नियुक्तियों से नाराज़ हैं सिद्धू.

post-main-image
पंजाब कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद नवजोत सिंह सिद्धु ने वीडियो के जरिए अपनी बात रखी है.
पंजाब कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद नवजोत सिंह सिद्धू ने वीडियो जारी कर वजह बताई है. बुधवार, 29 सितंबर को जारी एक वीडियो संदेश में उन्होंने फिर दोहराया कि वह समझौता नहीं कर सकते. हक और सच की लड़ाई लड़ते रहेंगे. सिद्धू ने बताया कि वो नई सरकार में दाग़ी नेताओं को रखने और दाग़ी अफ़सरों की नियुक्तियों के खिलाफ हैं. सिद्धू ने जिन दो नियुक्तियों का खासतौर पर ज़िक्र किया वे हैं- कार्यकारी DGP इक़बाल प्रीत सिंह सहोता और एडवोकेट जनरल- अमरप्रीत सिंह देयोल. DGP इक़बाल सहोता के अकाली दल के बादल परिवार को बेअदबी के मामले में क्लीन चिट देने की बात से सिद्धू नाराज़ हैं. अमरप्रीत सिंह देयोल पर सिद्धू नाराज़गी का कारण है पूर्व DGP और दाग़ी अफसर- सुमेध सिंह सैणी का केस लड़ना. सैणी को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एक आदेश 2022 तक गिरफ़्तारी से राहत मिली हुई है. इस मामले की पैरवी मौजूदा एडवोकेट जनरल अमरप्रीत सिंह देयोल ने ही की थी. सुमेध सिंह सैणी के कार्यकाल के दौरान ही बेअदबी मामले सामने आए थे. सिद्धू ने जो पंजाबी में कहा, हम उसका हिंदी अनुवाद आपको बता रहे हैं. सिद्धू ने कहा-
प्यारे पंजाबियो, 17 साल का राजनीति का सफर एक मकसद के साथ किया है. पंजाब के लोगों की ज़िंदगी को बेहतर करना, To make a difference, मुद्दों पर स्टैंड लेकर खड़ा होना. आज दिन तक मेरी किसी के साथ कोई निजी रंजिश नहीं रही, ना ही मैंने निजी लड़ाइयां लडीं. मेरी लड़ाई मुद्दों की है, मसलों की है, पंजाब हित के ऐजेंडे की है, जिसपर मैं बहुत देर से खड़ा रहा हूं. और इस ऐजेंडे के साथ पंजाब के पक्ष पूरा करने के लिए मैं हक-सच की लड़ाई लड़ता रहा हूं. इसमें कोई समझौता था ही नहीं. इसमें ओहदों का कोई मायना था ही नहीं. ये मेरा फर्ज़ था. मेरा धर्म था. मेरे पिता ने एक ही बात बताई है- 'कहीं भी द्वंद हो, सच की राह पर चलो, नैतिक मूल्य, नैतिकता के साथ समझौता किए बिना, तभी आवाज़ में फल है.' तभी जब मैं आज देखता हूं कि मुद्दों के साथ समझौता हो रहा है. जब मैं देखता हूं कि मेरा पहला काम, मेरे गुरू के चरणों की धूल अपने सिर पर लगाकर उस इंसाफ के लिए लड़ना, जिसके लिए पंजाब के लोग आतुर हैं. जब मैं देखता हूं कि जिन्होंने 6 साल पहले बादलों को क्लीन चिट दी, छोटे-छोटे बच्चों पर ज़ुल्म किया, उन्हें इंसाफ का उत्तरदायित्व दिया है! जब मैं देखता हूं जिन्होंने ब्लैंकेट बेल दिलवाई, वो एडवोकेट जनरल लगे! तो क्या ऐजेंडा है? जो लोग मसलों की बात करते हैं, वो मसले कहां हैं? वो साधन कहां हैं? क्या इन साधनों से हम मुकाम तक पहुंचेंगे? मैं ना तो हाईकमान को गुमराह कर सकता हूं, ना गुमराह होने दे सकता हूं. सिर-माथे, गुरू के इंसाफ के लिए लड़ने के लिए, पंजाब के लोगों की ज़िंदगी बेहतर करने की लड़ाई लड़ने के लिए और साधनों की लड़ाई लड़ने के लिए. किसी भी चीज़ की कुर्बानी सिर-माथे. पर सिद्धांतों पर खड़ा होऊंगा. दाग़ी लीड़रों और दाग़ी अफसरों का सिस्टम तो तोड़ा था, दोबारा उन्हें लाकर वही सिस्टम खड़ा नहीं किया जा सकता. मैं इसका विरोध करता हूं. नंबर दो. मांओ की कोख उजाड़ने वाले बड़े अफसरों को जिन लोगों ने सुरक्षा कवच दिलाए, उन्हें पहरेदार नहीं बनाया जा सकता. मैं तो लड़ूंगा और अड़ूंगा. जाता है सब तो जाए! असूलों पर आंच आए तो टकराना जाए ज़रूरी है, ज़िंदा हो तो जिंदा नज़र आना ज़रूरी है. मेरे बुज़ुर्ग जब लाहौर में अंग्रेज़ों के खिलाफ लड़ते थे, तब ये नारा बोलते थे. मेरे रूह की आवाज़. पंजाब की प्रगति, पंजाब को जिताने के लिए ये समझौता नहीं. The collapse of a man's character stems from the compromise corner. वाहे गुरू जी का खालसा, वाहे गुरू जी की फतेह!