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म्यांमार: सेना ने 30 लोगों की हत्या की, फिर उनके शवों को जला दिया!

मृतकों में बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग शामिल. मानवाधिकार समूह ने जारी की रिपोर्ट.

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Myanmar के काया प्रांत में जलते हुए वाहन. (फोटो: AP)
इस साल फरवरी में तख्तापलट के बाद से ही म्यांमार (Myanmar) में सेना की हिंसा जारी है. अब खबर आई है कि म्यांमार की सेना ने काया प्रांत में तीस लोगों की पहले गोली मारकर हत्या कर दी, फिर उनके शवों को जला दिया. मृतकों में बच्चे, महिलाएं और बुजर्ग भी शामिल हैं. यह जानकारी स्थानीय निवासियों, करेन मानवाधिकार समूह और मीडिया रिपोर्ट्स के जरिए बाहर आई है. करेन मानवाधिकार समूह ने एक फेसबुक पोस्ट में जानकारी दी है कि जिन लोगों की हत्या हुई, वो हिंसा के कारण विस्थापित हुए लोग थे और रहने के लिए कोई ठिकाना खोज रहे थे. सेना ने बताया आतंकवादी करेन मानवाधिकार समूह ने लोगों की हत्या की कड़े शब्दों में निंदा की है. दूसरी तरफ, म्यांमार की तानाशाह सेना ने मारे गए लोगों को आतंकवादी बताया है. सेना के मुताबिक, ये लोग हथियार लिए हुए थे और इनका वास्ता सशस्त्र विद्रोही समूहों से था. म्यांमार की सेना के मुताबिक, ये सभी लोग सात गाड़ियों में सवार थे. उन्हें रोकने की कोशिश पर भी वो नहीं रुके, जिसके बाद सेना ने उनके ऊपर गोलीबारी शुरू कर दी. हालांकि, अपने बयान में म्यांमार की सेना ने मारे गए लोगों की संख्या का जिक्र नहीं किया है.
नवंबर 2020 में म्यांमार में आम चुनाव हुए. इसमें आंग सान सू ची की पार्टी नेशनल लीग फ़ॉर डेमोक्रेसी (NLD) ने भारी बहुमत के साथ जीत दर्ज़ की.लेकिन सेना ने चुनाव में धांधली के आरोप लगा दिए.
नवंबर 2020 में म्यांमार में आम चुनाव हुए. इसमें आंग सान सू ची की पार्टी नेशनल लीग फ़ॉर डेमोक्रेसी (NLD) ने भारी बहुमत के साथ जीत दर्ज़ की.लेकिन सेना ने चुनाव में धांधली के आरोप लगा दिए.

अंतरराष्ट्रीय न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, स्थानीय मीडिया और मानवाधिकार समूहों ने मारे गए लोगों की फोटो जारी की है. इन फोटो में साफ देखा जा सकता है कि उनके जले हुए शव गाड़ियों में रखे हुए हैं. इस बीच सेना की तानाशाही का सशस्त्र विरोध कर रहे देश के सबसे बड़े करेनी नेशनल डिफेंस फोर्स समूह ने भी कहा कि मृतक उनके समूह के नहीं थे. समूह ने कहा है कि जिन लोगों की हत्या हुई है, वो विस्थापित ही थे. समूह के एक कमांडर ने इस पूरे घटनाक्रम पर दुख जताते हुए कहा,
"हम यह देखकर स्तब्ध थे कि मारे गए लोग अलग-अलग उम्र के थे. इनमें बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग भी शामिल थे."
इसी तरह एक गांववाले ने रॉयटर्स को बताया,
"रात को मैंने गोलियों की आवाज सुनी. लेकिन गोलीबारी के डर से घटनास्थल पर नहीं गया. मैं उस जगह पर सुबह गया. मैंने जले हुए शव देखे. वहां बच्चों और महिलाओं के कपड़े बिखरे हुए थे."
सेना के खिलाफ संघर्ष इस साल फरवरी में आंग सांग सू की की सरकार का म्यांमार की सेना ने तख्तापलट कर दिया था. सू की पार्टी ने तख्तापलट के ठीक पहले हुए चुनावों में जीत हासिल की थी. सेना ने इन चुनावों में धोखाधड़ी का आरोप लगाया था. हालांकि, स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों और संस्थाओं ने ऐसी कोई गड़बड़ी ना होने की बात कही थी.
म्यांमार के तख्तापलट के तुरंत बाद ही लोग सड़कों पर आकर सैन्य तानाशाही का विरोध करने लगे. इस बीच सेना ने अलग-अलग जगहों पर शांतिपूर्ण तरीकों से विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों पर अंधाधुंध गोलीबारी की. इस गोलीबारी में सैकड़ों निर्दोष नागरिकों की जान चली गई. जिसके बाद लोगों ने सेना के खिलाफ संघर्ष करने के लिए हथियार उठा लिए.