म्यांमार के पश्चिमी राज्य रखाइन में बांग्लादेश जा रहे रोहिंग्या मुसलमानों को ड्रोन से निशाना बनाया गया है. इस हमले में 200 से ज्यादा लोगों के मारे जाने की खबर है. हमले में जीवित बचे लोगों ने सरकार विरोधी गुट 'अराकान आर्मी' (The Arakan Army) पर इस हमले को अंजाम देने का संदेह जताया है. हालांकि, अराकान आर्मी ने इस हमले की जिम्मेदारी लेने से इनकार किया है. अराकान आर्मी म्यामांर के रखाइन जातीय समूह की सैन्य शाखा है. म्यांमार के माउंगडॉ कस्बे में अराकान आर्मी और म्यांमार की सेना के बीच भीषण लड़ाई चल रही है. जिससे बचने के लिए रोहिंग्या समुदाय के लोग नदी पार कर बांग्लादेश जाने की कोशिश कर रहे थे.
म्यांमार छोड़ बांग्लादेश जा रहे थे रोहिंग्या मुसलमान, ड्रोन आया, बम गिराया, 200 से ज्यादा की मौत
Myanmar से बांग्लादेश जा रहे Rohingya मुसलमानों पर Drone अटैक हुआ है. इस हमले में 200 से ज्यादा लोगों के मारे जाने की खबर है. इस हमले में किसका हाथ है?
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ये घटना 5 अगस्त की है. अंतरराष्ट्रीय चिकित्सा सहयता समूह, डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स ने 9 अगस्त को एक बयान जारी किया. और बताया कि उन्होंने इस हमले में घायल रोहिंग्याओं का इलाज किया है जो सीमा पार कर बांग्लादेश में घुसने में कामयाब रहे. बयान के मुताबिक, कुछ मरीजों ने बताया कि जब वे नदी पार करने के लिए नाव की तलाश कर रहे थे उसी दौरान उन पर बम से हमला हुआ. वहीं दूसरे प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि नदी के किनारे सैंकड़ों लाशें बिखरी पड़ी थी.
अमेरिकी न्यूज एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस से बातचीत में हमले में जीवित बचे दो लोगों ने भी हमले के पीछे अराकान आर्मी का हाथ बताया है. वहीं रोहिंग्या कार्यकर्ता और म्यांमार की सैन्य सरकार ने भी अराकान आर्मी को इस हमले का जिम्मेदार माना है. अगर इस हमले की पुष्टि हो जाती है, तो यह देश के गृहयुद्ध में नागरिकों पर किए गए सबसे घातक हमलों में से एक होगा.
ड्रोन हमलों में बचे माउंगडॉ के एक 17 वर्षीय रोहिंंग्या लड़के ने एपी से बातचीत में बताया कि 5 अगस्त को शाम को वह करीब एक हजार रोहिंग्याओं के साथ बांग्लादेश जाने के लिए नाव का इंतजार कर रहा था. तभी उसने चार ड्रोन उड़ते देखे. ड्रोन ने उस जगह पर तीन बम गिराए जहां वह और उसके परिवार के 12 सदस्य खड़े थे. ड्रोन से बचने के लिए वे लोग पानी में कूद गए. युवक ने आगे बताया कि ड्रोन हमले के बाद लगभग 20 तोप के गोले भी भीड़ पर दागे गए.
सोशल मीडिया पर इस हमले के वीभत्स वीडियो प्रसारित हो रहे हैं. जिसमें नदी के किनारे सड़क पर दर्जनों वयस्कों और बच्चों के शव बिखरे हुए दिखाई दे रहे हैं. रखाइन इलाके में सेना और विद्रोही गुटों के बीच चल रही लड़ाई और यात्रा पर लगे कड़े प्रतिबंधों के चलते इस वीडियो और हमले से जुड़े डिटेल्स की आसानी से पुष्टि नहीं की जा सकती है.
लोकतंत्र समर्थक गुरिल्ला और जातीय अल्पसंख्यक आर्म्ड फोर्सेज देश से सैनिक शासन खत्म करने की लड़ाई लड़ रही हैं. म्यांमार में सेना ने 2021 में ‘आंग सान सू की’ की निर्वाचित सरकार को हटाकर सत्ता पर कब्जा कर लिया था. रखाइन में छिड़े युद्ध ने रोहिंग्या अल्पसंख्यकों के खिलाफ एक बार फिर से संगठित हिंसा शुरू होने की आशंका पैदा कर दी है.
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2017 में एक सैन्य विरोधी अभियान के तहत रोहिंग्या समुदाय के 7 लाख चालीस हजार लोगों को बांग्लादेश भेजा गया था. ये लोग वहां भीड़भाड़ वाले शरणार्थी शिविरों में रहने को मजबूर हैं. और म्यांमार में लगातार जारी राजनीतिक अस्थिरता के चलते वापस लौटने में असमर्थ हैं. रोहिंग्या लोग कई पीढ़ियों से म्यांमार में रह रहे हैं. लेकिन यहां उन्हें भेदभाव और पूर्वग्रह का सामना करना पड़ता है. बौद्ध बहुल इस देश में आमतौर पर उन्हें नागरिकता और दूसरे बुनियादी अधिकारों से वंचित रखा जाता है.
म्यांमार की केंद्रीय सरकार से ऑटोनोमी की मांग कर रही अराकान आर्मी ने नवंबर 2023 में रखाइन में अपना सैन्य अभियान शुरू किया. और राज्य की 17 में से 9 टाउनशिप पर कंट्रोल हासिल कर लिया. साथ ही पड़ोसी राज्य चिन की भी एक टाउनशिप इसके कंट्रोल में आ गई है. अराकान आर्मी जून 2024 से सीमावर्ती शहर माउंगडॉ पर नियंत्रण करने की कोशिश कर रही है.
अराकान आर्मी पर पहले भी मानवाधिकार के उल्लंघन के आरोप लग चुके हैं. मई महीने में अराकान आर्मी ने बुथीदांग शहर पर कब्जा किया था. इस दौरान इन पर वहां के 20 हजार निवासियों को जबरन वहां से भगाने और वहां की ज्यादातर बिल्डिंगों में आग लगाने के आरोप लगे थे. बथीदांग के निवासियों में अधिकतर रोहिंग्या समुदाय के लोग थे. हालांकि अराकान आर्मी ने इन आरोपों से इनकार किया है. लेकिन इस घटना के प्रत्यक्षदर्शियों ने एपी और दूसरे मीडिया समूहों से बातचीत में अराकान आर्मी को इसका जिम्मेदार बताया है.
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