IC 814. इंडियन एयरलाइन्स की फ्लाइट, जिसे 1999 में आतंकवादी हाइजैक करके कंधार ले गए थे. 31 दिसंबर, 1999 को विमान के यात्रियों को छुड़ाने के लिए भारत को तीन आतंकवादी रिहा करने पड़े थे. इनमें से एक था मुश्ताक़ अहमद ज़रगार उर्फ़ लतराम. ज़रगार 'अल-उमर मुजाहिदीन' (AuM) नाम के एक पाकिस्तान-बेस्ड आतंकवादी संगठन का चीफ कमांडर है. 12 मई को जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में CRPF पर हुए आतंकी हमले की जिम्मेदारी इसी संगठन ने ली है. इस हमले में CRPF के पांच जवान शहीद हो गए. AuM से जुड़े लोगों ने श्रीनगर की एक न्यूज एजेंसी को फोन करके ये दावा किया है. AuM का हेडक्वॉर्टर पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के मुज़फ्फराबाद में है. पाकिस्तान-बेस्ड 15 आतंकवादी संगठनों का एक समूह है- यूनाइटेड ज़ेहाद काउंसिल (JIC). AuM भी इसका हिस्सा है. 15 मई, 1992 को भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने ज़रगर को गिरफ़्तार किया था. मगर IC 814 विमान हाईजैक के समय ज़रगर को रिहा करना पड़ा. तब से ज़रगर पाकिस्तान में ही है. AuM का मकसद है हिंसा के रास्ते जम्मू-कश्मीर को भारत से अलग करके पाकिस्तान में मिलाना. कब और किसके सपोर्ट से बना AuM?
मुश्ताक अहमद ज़रगर ने दिसंबर 1989 में AuM बनाया था. वो पहले जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) के साथ था. बताया जाता है कि मुफ़्ती मुहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद के अपहरण में भी शामिल था ज़रगर. बाद में JKLF के अंदर असहमतियां हुईं, तो ज़रगर ने अलग होकर अपना आतंकी संगठन खड़ा कर लिया. मानते हैं कि इस संगठन को उस समय मीरवाइज़ रहे मौलवी फार्रुक का समर्थन हासिल था. कि उनके समर्थन से JKLF के खिलाफ ये संगठन खड़ा हुआ. 21 मई, 1990 को मीरवाइज़ फार्रुक की हत्या कर दी गई थी. पहले JKLF के साथ था
ज़रगर की कहानी ये है कि अनंतनाग-बेस्ड एक अलगाववादी संगठन 'पीपल्स लीग' से जुड़ा हुआ था ज़हूर शेख. उसकी मदद लेकर अगस्त 19888 में ज़रगर ने सरहद पार की और पाकिस्तान में JKLF से ट्रेनिंग लेकर आया. इसके बाद वो JKLF के लिए ही काम करने लगा. मई 1989 में वो दूसरे राउंड की ट्रेनिंग के लिए पाकिस्तान पहुंचा. JKLF कश्मीर की आज़ादी को सपोर्ट करता था. कहते हैं कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI ने JKLF के बढ़ते असर को चुनौती देने के लिए भी AuM को मदद दी. क्योंकि AuM कश्मीर को भारत से अलग करके पाकिस्तान में मिलाने की साइड लेता था. मई 1992 में इंडियन एजेंसियों ने उसे अरेस्ट किया था
सुरक्षा बलों और कश्मीरी पंडितों पर हुए कई हमलों में ज़रगर शामिल बताया जाता है. उसके ऊपर 40 से ज्यादा हत्याओं का इल्ज़ाम है. साउथ एशिया टेररिज़म पोर्टल (SATP) के मुताबिक, नागरिकों और सुरक्षाबलों पर हमलों के अलावा ज़रगर और उसका संगठन अपहरण करके फिरौती वसूलने जैसे अपराध भी करता था. वो कारोबारियों से पैसे लेता और जिससे पैसे लेता, उसे अपनी ताकत और पहुंच के दम पर फायदा पहुंचवाता. उसके नाम पर एक घटना का ज़िक्र मिला, जब उसने श्रीनगर के एक कारोबारी को फायदा पहुंचवाने के लिए श्रीनगर में मारूति की गाड़ियों के इस्तेमाल पर बैन लगाने का फरमान निकाला. क्योंकि उस कारोबारी के पास किसी दूसरी मोटर कंपनी की डीलरशिप थी.मई 1992 में इंडियन सिक्यॉरिटी फोर्सेस ने उसे गिरफ़्तार कर लिया. अक्टूबर 2002 में को BSF ने ज़रगर के करीबी सहयोगी और AuM की कमांडो फोर्स के मुखिया शबीर अहमद ज़रगर को श्रीनगर से गिरफ़्तार किया था. अक्टूबर 2016 में भी एक हमले की जिम्मेदारी ली थी
जम्मू-कश्मीर से AuM का लगभग सफाया हो चुका है. इसीलिए कई लोगों ने ये सवाल उठाया है कि हमला क्या सच में उसने करवाया था? कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में अधिकारियों के हवाले से लिखा गया है कि ये काम AuM का नहीं हो सकता . बल्कि इसके पीछे जैश-ए-मुहम्मद का हाथ हो सकता है. पुलवामा में हुए CRPF के काफिल पर हमले के पीछे भी जैश का ही हाथ था. इससे पहले 14 अक्टूबर, 2016 को श्रीनगर के बाहरी इलाके में सशस्त्र सीमा बल (SSB) पर हुए हमले की भी जिम्मेदारी ली थी AuM ने. कश्मीर की एक लोकल न्यूज एजेंसी ने ज़रगर के हवाले से ये ख़बर दी थी.
अमरनाथ यात्रा के रूट पर अनंतनाग में हमले की पूरी कहानी
भारत ने जिस आतंकी को 1999 में छोड़ा, उसी की वजह से शहीद हुए 5 CRPF जवान
जानिए, कौन है मुश्ताक़ अहमद ज़रगर जिसके आतंकी संगठन ने अनंतनाग हमले की जिम्मेदारी ली है

मुश्ताक़ अहदम ज़रगर पाकिस्तान-बेस्ड आतंकी संगठन 'अल उमर मुजाहिदीन' का चीफ कमांडर है. इस संगठन का मकसद है हिंसा के रास्ते जम्मू-कश्मीर को भारत से अलग करके पाकिस्तान में मिलाना. 12 जून को कश्मीर में CRPF पर हुए हमले की जिम्मेदारी इसी संगठन ने ली है (फोटो: आज तक)