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खाद के लिए दो दिन लाइन में खड़ी रही महिला किसान, तबीयत बिगड़ी तो एंबुलेंस तक न मिली, मौत हो गई

भूरियाबाई की उम्र 50 साल थी. एक रात तो उन्होंने ठंड में काट दी. लेकिन दूसरी रात भारी पड़ गई.

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भूरियाबाई और उनकी मौत पर शोकाकुल परिवार. (India Today)

कॉमेडियन्स ये जोक मारते रहे कि नोटबंदी की लाइन में लगकर लोग मर गए. लेकिन इस देश में सबसे बड़ा 'जोक' यह है कि खाद की लाइन में लगकर आज भी किसान बेमौत मर रहे हैं.

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मध्यप्रदेश का गुना, सिंधिया राजघराने के नाम से जाना जाता है. ज्योतिरादित्य सिंधिया केंद्र की मोदी सरकार में मंत्री हैं. गुना में ही एक जगह है बमोरी. जो एक विधानसभा भी है. यहां मंगलवार, 25 नवंबर को 50 साल की भूरियाबाई बागेरी खाद वितरण केंद्र पर पहुंची थीं. आजतक से जुड़े विकास दीक्षित की रिपोर्ट के मुताबिक, वह मंगल को लाइन में लगीं पर खाद नहीं मिल पाई. रात को अच्छी-खासी ठंड थी. लेकिन भूरियाबाई को खाद की जरूरत थी, सो वहीं सो गईं. अगले दिन फिर लाइन में लगीं. पर खाद एक बार फिर नहीं मिली.

भूरियाबाई बागेरी आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखती थीं. लगातार दो दिन की सर्दी भूरिया का स्वास्थ्य बर्दाश्त नहीं कर पाया. रात को बीमार पड़ गईं. अस्पताल भेजने के लिए एंबुलेंस को कॉल किया गया, लेकिन एंबुलेंस नहीं पहुंची. एक किसान महिला को अपनी गाड़ी में बमोरी के सरकारी अस्पताल लेकर पहुंचा. तब तक तबीयत ज्यादा बिगड़ चुकी थी. उन्हें गुना रेफर किया गया. लेकिन देर ज्यादा हो चुकी थी. खाद मिलने में ज्यादा देर हुई या अस्पताल पहुंचने में, इस बात पर शाम 5 बजे टीवी पर डिबेट हो सकती है. मगर भूरिया तो अब इस दुनिया में नहीं हैं.

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लेकिन सरकारी रहनुमा अगर अपनी गलती मान ही लें, तो फिर इस देश में लोकतंत्र किस बात का. भूरिया की मौत पर सवाल खड़े हुए तो गुना के कलेक्टर का सरकारी बयान आया. 'सरकारी बाबुओं' के पास तर्कों की कमी नहीं होती. कलेक्टर किशोर कुमार कन्याल का कहना है,

उन्हें (भूरिया देवी) शायद यह पता नहीं था कि उन्हें शुगर (मधुमेह) 450 के पार है.

भूरिया देवी को हो सकता है यह ना पता रहा हो कि उन्हें डायबिटीज़ इतना ज्यादा है. पर पता तो उन्हें यह भी नहीं था कि तीन दिन लाइन में लगने के बाद भी मौत हो जाएगी, लेकिन खाद नहीं मिल पाएगी!

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कलेक्टर साहब का कहना है कि खाद की कमी ही नहीं है, किसान रात में लाइन में ना लगें. लेकिन वह इस बात को किसानों को अगर पहले समझा देते तो भूरिया शायद आज जिंदा होती. अव्वल तो अगर खाद की कमी नहीं है तो किसानों को खाद मिल ही जानी चाहिए थी, उन्हें रात में लाइन में क्यों लगना पड़ा?

वैसे कलेक्टर साहब के पास इसका भी तर्क है कि किसानों ने एक साथ बुआई कर दी. और सब एक साथ खाद मांगने लगे. बताइए, किसानों को खेती का शऊर नहीं रहा. मौसम देखकर नहीं, टाइमटेबल देखकर बुआई करनी चाहिए थी.

लेकिन कलेक्टर साहब की पोल तो बीजेपी के स्थानीय विधायक पन्नालाल शाक्य ने खोल दी. मजे की बात, ज्योतिरादित्य सिंधिया ऐसे समय में ही गुना पहुंच गए जब भूरिया की मौत का मामला गर्माया था. मंच पर सिंधिया मौजूद थे और पन्नालाल शाक्य ने DM किशोर कुमार कन्याल को घेर लिया. बोले,

कलेक्टर साहब बैठे हैं, जवाब तो हम उनसे ही लेंगे. कि लंबी-लंबी लाइनें क्यों लग रही हैं. क्या बात है बताओ ना? आपकी व्यवस्था कैसी है? क्या महाराज साहब (ज्योतिरादित्य सिंधिया) को बदनाम करना चाहते हो. रातभर वह महिला तड़पती रही, मर गई, क्या हुआ उसका? क्या कारण था, पहले इस बात का जवाब दिया जाए. (DM) साहब से तो जवाब हम लेंगे. यहां नहीं दोगे तो विधानसभा में लेंगे.

विधायक पन्नालाल शाक्य ने जब सवाल उठाए तो जिलाधिकारी, सिंधिया से एक कुर्सी छोड़कर बैठे थे. जब विधायक ने बोलना शुरू किया तो पहले वह सिंधिया को कुछ समझाते नज़र आए, मगर बाद में उनका मुंह उतर गया.

भूरियादेवी का परिवार यह दावा कर रहा है कि उनकी मौत खाद की लाइन में लगने से हो गई. मीडिया ने जब इस बाबत सिंधिया से सवाल किया तो वह बिना जवाब दिए, चले गए!

वीडियो: खाद लेने आए किसान को पुलिस ने पीटा, वीडियो में क्या दिखा?

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