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'चेन्नई को मिले 220,000 H-1B वीजा... घोटाला हुआ', अमेरिकी अर्थशास्त्री ने भारत पर लगाए बड़े आरोप

अमेरिकी अर्थशास्त्री डॉ. डेव ब्रैट ने दावा किया कि भारत के एक ही जिले ने उतने H-1B Visa ले लिए हैं, जो पूरे देश के लिए तय की गई संख्या से भी दोगुने हैं. ब्रैट ने इस मुद्दे को अमेरिकी कामगारों के लिए बड़ा खतरा बताया है.

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अमेरिकी अर्थशास्त्री डॉ. डेव ब्रैट ने एक पॉडकास्ट में यह दावा किया. (फोटो: इंडिया टुडे)

अमेरिकी अर्थशास्त्री डॉ. डेव ब्रैट ने दावा किया है कि H-1B वीजा सिस्टम में बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी हो रही है (H-1B Visa Fraud). उन्होंने कहा कि भारत के एक ही जिले ने उतने वीजा ले लिए हैं, जो पूरे देश के लिए तय की गई संख्या से भी दोगुने हैं. उनके इस आरोप के बाद ट्रंप प्रशासन ने H-1B वीजा प्रोग्राम की जांच को फिर से तेज कर दिया है.

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इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, स्टीव बैनन के वॉर रूम पॉडकास्ट पर बोलते हुए पूर्व अमेरिकी प्रतिनिधि ब्रैट ने कहा कि भारत में वीजा अलॉटमेंट उस लेवल पर पहुंच गया है जो कानूनी सीमाओं का उल्लंघन करता है. ब्रैट ने कहा, 

71 फीसदी H-1B वीजा भारत से आते हैं, और केवल 12 प्रतिशत चीन से. इससे पता चलता है कि वहां कुछ गड़बड़ है. सिर्फ 85,000 H-1B वीजा की सीमा है, फिर भी भारत के एक जिले- मद्रास (चेन्नई) को 2,20,000 वीजा मिल गए. यह कांग्रेस (अमेरिकी संसद) द्वारा तय सीमा से 2.5 गुना ज्यादा है. यही तो घोटाला है.

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ब्रैट ने इस मुद्दे को अमेरिकी कामगारों के लिए एक सीधे खतरे के तौर पर पेश किया. उन्होंने कहा, “वे आपके परिवार की नौकरी, आपका घर, सब कुछ छीन रहे हैं.”

रिपोर्ट के मुताबिक, चेन्नई में अमेरिकी वाणिज्य दूतावास ने 2024 में करीब 2.2 लाख H-1B वीजा और 1.4 लाख H-4 वीजा प्रोसेस किए. यह दूतावास तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल और तेलंगाना जैसे बड़े आईटी केंद्रों से आने वाले आवेदन संभालता है. इसलिए यह दुनिया के सबसे व्यस्त H-1B वीजा केंद्रों में गिना जाता है.

इससे पहले, एक पूर्व अमेरिकी राजनयिक महवश सिद्दीकी ने दावा किया था कि भारत से आने वाले H-1B वीजा में बड़ी मात्रा में धोखाधड़ी होती थी. उनके मुताबिक 80–90% मामलों में फर्जी डिग्री, जाली दस्तावेज या कम योग्य आवेदक शामिल थे. उन्होंने कहा, 

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एक भारतीय-अमेरिकी होने के नाते, मुझे यह कहते हुए बहुत बुरा लग रहा है, लेकिन भारत में धोखाधड़ी और रिश्वतखोरी आम बात है. 

सिद्दीकी ने यह भी आरोप लगाया कि अगर अधिकारी अमेरिकी होता है तो कुछ आवेदक इंटरव्यू से बचते हैं, कभी-कभी उनके बदले में प्रॉक्सी कैंडिडेट्स भी आ जाते हैं.

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हाल ही में फॉक्स न्यूज को दिए एक इंटरव्यू में, अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप से यह पूछा गया कि क्या उनका प्रशासन H-1B वीजा जारी रखेगा, जबकि इस बात की आलोचना हो रही है कि इससे अमेरिकी कामगारों की संख्या में कटौती हो सकती है. ट्रंप ने बिना किसी हिचकिचाहट के इस प्रोग्राम के लिए अपनी इच्छा जाहिर की और तर्क दिया कि देश को स्किल्ड वर्कर्स की जरूरत है और उन्हें आकर्षित करके प्रतिस्पर्धी बने रहना चाहिए.

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