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कौन है खुद को गोरक्षक बताने वाला मोनू मानेसर, जिसपर वारिस की हत्या का आरोप लगा है?

हरियाणा सरकार की गोरक्षक टास्क फोर्स से जुड़ा है मोनू मानेसर. उसके सोशल मीडिया अकाउंट से वारिस का वीडियो अपलोड हुआ था.

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बाएं से दाएं. वारिस और मोनू मानेसर (फोटो: सोशल मीडिया)

'मैं गायों के बीच पला बढ़ा हूं और गायों में मेरी अटूट आस्था है और इनकी रक्षा करना मेरा धर्म है. साल 2012 के वक्त मैं कॉलेज में छात्र हुआ करता था. उस दौरान एक दिन पुलिस ने एक ट्रक जब्त किया था. ट्रक में खून से लथपथ गायों की लाशें थीं, उसी दिन से मैंने सोच लिया था मैं किसी भी गाय को मरने नहीं दूंगा.' 

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ये शब्द हैं मोनू मानेसर (Monu Manesar) के. जो खुद को गोरक्षक बताता है. मोनू पर आरोप है कि उसने कथित तौर पर गोतस्करी कर रहे वारिस (Waris) नाम के शख्स की पिटाई की थी. जिसके बाद अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई.

कौन है मोनू?

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 28 साल का मोहित यादव उर्फ मोनू मानेसर हरियाणा के बजरंग दल का सदस्य है. साल 2011 में मोनू, बजरंग दल से जुड़ा था. मोनू ने मानेसर के एक पॉलीटेक्निक कॉलेज से डिप्लोमा किया है. मोनू की रोजी रोटी किराए से आए हुए पैसों से चलती है. मोनू ने मानेसर क्षेत्र में कई कमरे किराए पर दे रखे हैं. मोनू हरियाणा सरकार की गोरक्षक टास्क फोर्स का जाना-पहचाना चेहरा है. 

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मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि मोनू और उसका नेटवर्क साल 2017 से एक्टिव है. उसके मुखबिरों का नेटवर्क हरियाणा के पानीपत, सोनीपत, गुरुग्राम, रेवाड़ी, नूह, पलवल और झज्जर समेत कई अन्य शहरों में फैला हुआ है. जहां उसकी टीम और बजरंग दल के लोग हरियाणा पुलिस के साथ मिलकर काम करते हैं. कथित गोतस्करों को पकड़ने के बाद वो उनको पुलिस को सौंप देते हैं.

मोनू सोशल मीडिया पर भी काफी एक्टिव है. यहां उसके अच्छे खासे फॉलोवर्स हैं. फेसबुक पर करीब 80 हजार और यूट्यूब पर लगभग दो लाख. मोनू अपने सोशल मीडिया हैंडल्स पर कथित गोतस्करों का पीछा करने के वीडियो अपलोड करता रहता है. इन वीडियोज में वो कई बार ‘जब तक तोड़ेगा नहीं, तब तक छोड़ेगा नहीं’ लिखकर शेयर करता है. वो ट्रकों पर ऊपर चढ़कर फोटो खिंचवाता है और फिर उन्हें सोशल मीडिया पर पोस्ट करता है. उसके मुताबिक, ये ट्रक कथित गोतस्करी में शामिल होते हैं.

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जुलाई 2022 में मानेसर के एक मंदिर में एक पंचायत आयोजित हुई थी. इस पंचायत में इलाके के मुस्लिम दुकानदारों के बहिष्कार की बात कही गई. इस पंचायत में मोनू भी शामिल था. हालांकि, मोनू का कहना है कि वो किसी भी समुदाय या धर्म के खिलाफ नहीं है. उसका कहना है कि लड़ाई सिर्फ गायों को बचाने के लिए है. मोनू का दावा है कि साल 2019 में जब को कुछ कथित गोतस्करों का पीछा कर रहा था, तो उन्होंने उसो गोली मार दी थी.

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वारिस वाला मामला क्या है?

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, मोनू और उसकी टीम के कुछ लोगों के खिलाफ पुलिस में एक शिकायत दर्ज करवाई गई थी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मोनू और उसकी टीम ने 28 जनवरी को तावड़ू में गोतस्करी के शक में एक 22 साल के युवक को पकड़ा था, जिसका नाम वारिस था. मोनू के सोशल मीडिया अकाउंट पर इसका वीडियो भी डाला गया. वारिस के घरवालों का कहना है कि मोनू ने उसकी पिटाई की, जिसकी वजह से उसकी मौत हो गई. घरवालों का कहना है कि वीडियो में मोनू वारिस और उसके साथियों से पूछताछ करता नजर आ रहा है.

इधर पुलिस का कहना है कि वारिस की मौत एक्सीडेंट में हुई है. पुलिस का कहना है कि वारिस अपने दोस्तों के साथ जा रहा था. इस दौरान उसकी गाड़ी एक टैंपो से टकरा गई. इधर इस पूरे मामले से जुड़ा एक और वीडियो सामने आया है. जिसमें देखा जा सकता है कि कुछ लोग वारिस की गाड़ी के पास खड़े हैं. ये लोग वारिस और उसके साथियों से पूछताछ कर रहे हैं. इनमें से एक व्यक्ति के पास बंदूक है. ये लोग बजरंग दल से जुड़े बताए जा रहे हैं.

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