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पेट्रोलियम मंत्रालय के ऐड में इस्तेमाल की जा रही ट्रेन भारत की है ही नहीं

मामला दो देशों के बीच का है, लेकिन ये ट्रेन तो बांग्लदेश की भी नहीं है.

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फोटो - thelallantop
सरकारी ऐड कैसे होते हैं, सब जानते हैं. कई बार ऐसा लगता है जैसे वो जानबूझ कर बुरे बनाए जाते हैं. कि लोगों का भरोसा बना रहे, कि ऐड सरकार का ही है. और ये बात टीवी से लेकर प्रिंट सभी प्लेटफॉर्म्स पर लागू होती है. लेकिन बुरा होना एक बात है और गलत होना एक. आज भारत सरकार के पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने एक ऐड अखबारों में छपवाया है जिसमें बात हो रही है भारत और बांग्लादेश की लेकिन फोटू लगी है अमेरिका की.
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भारत बांग्लादेश को रेल के ज़रिए डीज़ल एक्सपोर्ट करता है. टैंकर वाली मालगाड़ी सिलिगुड़ी में नुमालीगढ़ रिफाइनरीज़ लिमिटेड के मार्केटिंग टर्मिनल से तेल लेकर चलती है और बांग्लदेश के पार्बतीपुर तक जाती है. यहां बांग्लादेश पेट्रोलियम कॉर्पोरेश का डिपो है. प्रधानमंत्री मोदी और प्रधानमंत्री हसीना ऐसी ही एक मालगाड़ी को हरी झंडी दिखाने वाले थे. ऊपर नज़र आ रहा ऐड इसी बारे में था. लेकिन ऐड में दिखाई मालगाड़ी न भारतीय रेल की थी न बांग्लादेश रेलवे की. ये थी BNSF रेलवे की, जिसे फोटोशॉप किया गया था. BNSF अमेरिका की एक निजी रेलवे कंपनी है.

ज़ूम करने पर चोरी पकड़ में आती है

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ऐड बनाने वाली एजेंसी (पेट्रोलियम मंत्रालय के अफसर) एक अमेरिकी मालगाड़ी की तस्वीर के इस्तेमाल को सांकेतिक कहकर बच सकते थे. लेकिन उन्होंने यहां होशियारी की है. फोटोशॉप का भरसक इस्तेमाल करके ऐसा दिखाने की कोशिश की है कि मालगाड़ी भारतीय (या बांग्लदेशी?) लगे. तेल के टेंकर दुनिया भर में लगभग एक से होते हैं. लेकिन इंजन रेल कंपनी की पहचान होते हैं. और इंजन ही ऐड की सबसे कमज़ोर कड़ी हैं. एेड को ध्यान से देखने पर नज़र आता है कि पहले इंजन का नंबर ब्लर किया गया है. इसके साथ ही इंजन के सामने लिखा 'BNSF' भी हटाया गया है. लेकिन वो पूरी तरह नहीं हटा है. 'N' अक्षर का एक हिस्सा अब भी नज़र आ रहा है. थोड़ी सी कोशिश के बाद इंटरनेट पर असली फोटू मिल भी जाती है.
ट्रेन यहां से उठाई गई है. (फोटोःAP)
ट्रेन यहां से उठाई गई है. (फोटोःAP)


ये फोटो 2013 में अमेरिका के मॉन्ट में वोल्फ पाइंट के पास खींची गई थी. इंजन का नंबर है 4685. इस मालगाड़ी में क्रूड आइल भरा था. इसी मालगाड़ी का  कटआउट ऐड में कलर टोन बदलकर इस्तेमाल किया गया है. बाकी कलाकारी की जानकारी हम आपको दे ही चुके हैं.

असली मालगाड़ी मौजूद है फिर भी नकली फोटू

जिस मालगाड़ी के बारे में ऐड दिया गया है, दरअसल वो पहले से चल रही है. पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान 17 मार्च 2017 को ही ऐसी पहली मालगाड़ी को हरी झंडी दिखा चुके हैं. आज का कार्यक्रम सिर्फ सेरेमॉनियल था. ऐड एजेंसी थोड़ी मेहनत करती तो उन्हें उस मालगाड़ी की तस्वीरें भी मिल जातीं. इंटरनेट पर एक क्लिक की देर थी. इस लिंक
 पर असली मालगाड़ी का फोटू उपलब्ध है.

'एस्थेटिक्स' के चक्कर में गलती

पेट्रोलियम मिनिस्ट्री के अफसर ये कहकर बचना चाहेंगे कि भैया हमने तो ऐड एजेंसी को ठेका दिया था. लेकिन फिर भी उन्हें कम से कम एक बार तो ऐड चेक करना ही चाहिए था. ये मामला आर्टिस्टिक फ्रीडम का भी नहीं है. बात भारत और बांग्लदेश के बीच दोस्ती की है तो बेहतर यही था कि ऐड में इन देशों से जुड़ी तस्वीर इस्तेमाल होती. भारत में दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है. देश में लाखों रेल फैन भी हैं जिन्होंने रेलवे की एक से एक बढ़िया तस्वीरें खींची हैं. उनमें से एक को भी इस सरकारी एड के लायक नहीं समझा गया. सीधे गूगल से एक तस्वीर निकाल कर उसे मढ़ दिया गया है. उपर से फोटोशॉप बदमाशी हुई है.
ये ऐड एक केंद्रिय मंत्रालय का है. एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर की पहल के बारे में. लेकिन बना वैसा ही है जैसे छोटे (और बड़े भी) शहरों के चलताऊ स्कूल/कॉलेज अखबारों के 15वें पन्ने पर देते हैं. लगभग हमेशा उनमें विदेशी बच्चे एक पतली सी किताब लिए खड़े रहते हैं. उनसे एक अलग लेवल की चिढ़ होती है. 'सुंदर'
दिखने के चक्कर में वो सच्चाई से दूर हो गया है. इसीलिए हमने ये बात दिल पर ली है. ज़िम्मेदारों को भी लेनी चाहिए.



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