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मनोहर पर्रिकर ने तो सिर्फ सरकार बनाई, कांग्रेस को झटका इस विधायक ने दिया!

गोवा की राजनीति में बाढ़ आने वाली है, माहौल बन रहा है.

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फोटो - thelallantop
गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर ने तो विधानसभा के फ्लोर पर अपनी मेजॉरिटी साबित कर दी. 22 विधायकों का समर्थन दिखा दिया. पर वहां की सबसे बड़ी पार्टी बन के उभरी कांग्रेस के एक विधायक के काम ने हंगामा मचा दिया.
पहले से ही कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद सरकार बनाने की रेस से बाहर होने के चलते आलोचना का पात्र बन रही थी. अब इनके विधायक विश्वजीत राणे ने पार्टी और विधायक पद दोनों से इस्तीफा दे दिया. मनोहर पर्रिकर के विरोध या पक्ष में वोट भी नहीं किया. अब इसके बाद कई कयास लगाए जा रहे हैं. ये भी कहा जा रहा है कि भाजपा ने 40 में से कई विधायकों का सपोर्ट जीत लिया है. अभी कई चीजें होनी बाकी हैं.
हालांकि मनोहर पर्रिकर पर इन चीजों का प्रभाव नहीं दिख रहा था. अमित शाह ने तो 11 मार्च को ही कह दिया था कि मणिपुर और गोवा में हम सरकार बना रहे हैं. तो मनोहर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि दिग्विजय सिंह के दावे ठस हो गए. अब हमारी सरकार आ गई और तुरंत मंत्रियों के पोर्टफोलियो भी बता दिए जाएंगे. उन्होंने ये भी कहा कि गोवा फॉरवर्ड प्लान भी लाया जाएगा जिसके लिए गोवा फॉरवर्ड पार्टी के विजय सरदेसाई ने पहले से ही प्लान बना रखा है.
कांग्रेस ने इस बात पर आपत्ति की थी कि गवर्नर ने सबसे बड़ी पार्टी को तो सरकार बनाने के लिए बुलाया ही नहीं. पर कोर्ट ने इस अपील को नकार दिया था. उधर विश्वजीत राणे ने खुलेआम दिग्विजय सिंह और कांग्रेस पर असफलता का आरोप लगाया. पर भाजपा में शामिल होने की संभावना से ना तो इंकार किया ना ही जुड़ने को कहा. कहा कि फैसला नहीं लिया है अभी.
विश्वजीत राणे
विश्वजीत राणे

पर इसे गोवा के बीजेपी गेम के रूप में देखा जा रहा है. ऐसा माना जा रहा है कि राणे की खाली हुई सीट से मनोहर पर्रिकर उपचुनाव लड़ सकते हैं. ये भी कहा जा रहा है कि राणे के पिता प्रताप सिंह राणे जो कि गोवा के 6 बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं, अब गोवा के राज्यपाल भी बन सकते हैं.
प्रताप सिंह राणे ने महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी से करियर की शुरूआत की थी. बाद में कांग्रेस में आ गए. उन्होंने पुणे और अमेरिका से पढ़ाई की है. मराठा समुदाय से आते हैं. इनके समाज के लोगों ने पुर्तगालियों के खिलाफ लड़ाई की थी. ये बात कल्चरल रूप से चुनावी मजबूती देती है राणे को.
गोवा में राणे कांग्रेस के पहले मुख्यमंत्री बने थे. 1980 में कांग्रेस के बड़े नेता विल्फ्रेड डिसूजा और अनंत नायक के बीच झंझट हो गई थी. तो इसको सलटाने के लिए राणे को चुन लिया गया. अनंत नायक जो कि बाबू नायक के नाम से जाने जाते थे, इसके बाद गोवा की राजनीति से बाहर निकलते गए. पर डिसूजा राणे की कैबिनेट में बने रहे. 1987 में गोवा को पूर्ण राज्य का दर्जा मिला. प्रताप सिंह राणे इस हिसाब से गोवा के पहले मुख्यमंत्री बने.
प्रताप सिंह राणे 1980-85, 1985-90, 1994-99 तक गोवा के मुख्यमंत्री रहे. फिर वहां भाजपा की सरकार बन गई. मनोहर पर्रिकर मुख्यमंत्री बन गए. पर 2005 में गोवा भाजपा में स्प्लिट हो गया. प्रेसिडेंट रूल लग गया. उसके बाद प्रताप सिंह राणे छठी बार गोवा के मुख्यमंत्री बने. फिर 2007 में चुनाव हुए. कांग्रेस ही जीती. पर राणे को हटाकर दिगंबर कामत को मुख्यमंत्री बना दिया गया. राणे को विधानसभा का स्पीकर बनाया गया. उस दौरान भाजपा ने इन पर खूब आरोप लगाए थे.
अब विश्वजीत राणे ने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा कि वो गोवा प्रकरण से एकदम निराश हैं. ये भी जोड़ा कि कांग्रेस के विधायक बहुत नाराज हैं. कहा कि जब नितिन गडकरी डिसीजन ले सकते हैं तो कांग्रेस के नेता क्यों नहीं ले सकते. 17 विधायक ले के हम सरकार नहीं बना पाये. अंत में बहुत खतरनाक बात कह दी. कहा कि उनकी विधानसभा के लोग कह रहे हैं कि अब कांग्रेस को कभी वोट नहीं देंगे. उनके मुताबिक जनता ने कांग्रेस को ब्लैकलिस्ट कर दिया गया है. कहा कि कांग्रेस के बड़े नेता गोवा में आराम फरमा रहे हैं. पार्टी टूटेगी.
एनसीपी के चर्चिल भी पहले कांग्रेस में ही थे. वो गोवा के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं. उन्होंने भी कहा कि मुझे कांग्रेस ने बुरी तरह बेइज्जत किया था. मैं भाजपा के साथ गया हूं, थोड़ी इज्जत है. मुख्यमंत्री कौन है, इससे मतलब नहीं पर मैं कांग्रेस के साथ नहीं हूं.
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