The Lallantop

"सिसोदिया ने अपना iphone तोड़ दिया" - CBI ने कोर्ट में चौंकाने वाले आरोप लगाए!

क्या फ़ाइल गायब हो गई? अफसर बदल दिए गए?

Advertisement
post-main-image
दिल्ली के पूर्व-उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (फोटो - ट्विटर)

आबकारी नीति मामले (Delhi Excise Policy Case) में दिल्ली के पूर्व-उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) की ज़मानत अर्ज़ी पर सुनवाई चल रही है. सोमवार, 20 मार्च को राउज एवेन्यू ज़िला अदालत में स्पेशल जज एम के नागपाल के सामने दोनों पक्षों ने भरसक बहस की. सिसोदिया के पक्ष का कहना था कि हिरासत में रखे जाने की अब कोई ज़रूरत नहीं है और सिसोदिया गवाहों को प्रभावित करें, इसकी भी कोई संभावना नहीं. वहीं, केंद्रीय जांच ब्यूरो ने अदालत से कहा कि एक व्यक्ति तब तक ही संत होता है, जब तक उसके जुर्म बाहर नहीं आ जाते.

Advertisement
क्यों तोड़ा फोन?

मनीष सिसोदिया पर सबूत मिटाने के भी आरोप हैं. CBI ने कहा कि सिसोदिया के फोन में ऐसी चीज़ें थीं, जिन्हें वो दिखाना नहीं चाहते थे. इसलिए उन्होंने अपना फोन तोड़ दिया. इन आरोपों पर सिसोदिया के वकील कृष्णन ने अदालत से कहा,

"CBI कह रही है कि सिसोदिया को अपना मोबाइल फोन नष्ट नहीं करना चाहिए था. इस बात का कोई मतलब नहीं है. उन्हें ये पहले से तो सूचना नहीं दी गई थी कि भविष्य में उनके मोबाइल फ़ोन की ज़रूरत पड़ सकती है."

Advertisement

दयान कृष्णन ने कोर्ट से ये भी पूछा कि इसी मामले में दो आबकारी अफ़सरों पर भी आरोप हैं और गंभीर आरोप हैं. फिर उन्हें गिरफ़्तार क्यों नहीं किया गया?

मोबाइल नष्ट किए जाने पर ही CBI के वकील डी पी सिंह ने कहा,

"पूरी कैबिनेट नोट फ़ाइल ग़ायब है. आबकारी अफ़सर को बदल दिया जाता है और एक नए अफ़सर को नियुक्त किया जाता है. ये सिर्फ़ मोबाइल फोन की बात नहीं है. कई फ़ाइलें भी नष्ट की गई हैं. सिसोदिया कहते हैं कि अपग्रेड किया तो फोन बदल गया होगा. अपग्रेडेशन की कोई ख़ास ज़रूरत नहीं थी. वो ऐप्पल का फोन इस्तेमाल कर रहे थे. तीन महीने में वो पुराना हो जाता है क्या? असल में फोन से चैटिंग हो रही थी. इसलिए बार-बार फोन बदले जा रहे थे. एक व्यक्ति तब ही तक संत होता है, जब तक उसकी अनियमितताएं और अवैधताओं बाहर न आ जाएं."

Advertisement

डी पी सिंह ने अदालत से ये भी कहा कि इस मामले में स्पष्ट संकेत हैं कि सिसोदिया को जितना निर्दोष दिखाया जा रहा है, उतने हैं नहीं.

सिसोदिया की ओर से वरिष्ठ वकील मोहित माथुर ने अदालत से सिसोदिया की पत्नी की मेडिकल स्थिति पर विचार करने के लिए कहा, जो बहुत सारी बीमारियों से पीड़ित हैं. लेकिन CBI पक्ष का यही कहना था कि अगर सिसोदिया को ज़मानत दे दी गई, तो वो जांच को प्रभावित करेंगे.

सुनवाई में दोनों पक्षों ने अपनी दलीलें पूरी कीं और अदालत ने CBI से 24 मार्च को अपनी लिखित रिपोर्ट पेश करने को कहा.

वीडियो: नेता नगरी: सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद सोनिया और केजरीवाल के बीच फोन पर क्या बातचीत हुई?

Advertisement