दिल्ली में पहले पॉल्यूशन आता है, फिर आती है ठन्ड, लेकिन ये आसन्न चुनावों का वक्त है. इसलिए इस बार क्रोनोलॉजी में थोड़ी तब्दीली है. इस बार की सर्दियां राजनीतिक गर्मी से सराबोर हैं. 29 नवंबर को गोधूलि वेला में अलग-अलग राजनीतिक दिशाओं में रहने वाले राजनेताओं की गाड़ियां एक ही दिशा में मुड़ रहीं थीं. जगह थी, नई दिल्ली का जवाहर भवन, और मौका था, कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की किताब का लॉन्च. खरगे के राजनीतिक जीवन के 50 साल पूरे होने पर ये किताब आई है. जयपुर के रावत प्रकाशन से छपी इस किताब का शीर्षक है, “Mallikarjun Kharge: Political Engagement with Compassion, Justice, and Inclusive Development”.
"खूंटा यही गड़ेगा..." मनोज झा ने खरगे की स्ट्रैटेजी मीटिंग से जुड़ा किस्सा खोल दिया
मल्लिकार्जुन खरगे के राजनीतिक जीवन के 50 साल पूरे होने पर तीन सौ पन्नों की उनकी जीवनी आई है. इस मौके पर 'INDIA' अलायंस के कई नेता पहुंचे.

ब्लैक कॉफी हाथ में लेकर फैन्सी लहजे में कहना हो तो कहूंगा, “पॉलिटिकली रिच कॉन्टेंट” है. दो लाइन में ऐसे समझिये. जिन भी लोगों का खरगे के जीवन से साबका हुआ, उन सबने खरगे के बारे में लिख डाला है. ऐसे कुलजमा 73 लोग हैं. तीन सौ पन्नों की किताब है, दस चैप्टर्स हैं और एडिटर ने खरगे के बारे में 54 पन्नों का एक लम्बा इंट्रोडक्शन लिखा है. इस राजनीतिक अम्ब्रेला में हर तरह का रंग है. राहुल गांधी, नितिन गडकरी, मनमोहन सिंह, शरद पवार, उनके खिलाफ कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ चुके शशि थरूर, डी के शिवकुमार, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद. लेकिन सारी ग्लोरी सिर्फ राजनेताओं के हिस्से नहीं आई है. खरगे के साथ काम कर चुके ब्यूरोक्रेट्स जैसे अनिल स्वरूप, कर्नाटक के पूर्व डीजीपी डीवी गुरप्रसाद ने भी चैप्टर्स लिखे हैं. इसमें पार्टी के उनके साथी हैं. विपक्ष के नेता हैं, नौकरशाह हैं, शिक्षाविद हैं, धर्मगुरु और यहां तक कि खरगे के बचपन के साथी भी हैं. जिन्होंने खरगे के बचपन के दिनों को देखा है.

इस किताब लॉन्च के बहाने 29 नवंबर को ‘इंडिया’ अलायंस ने अपनी एकता का शक्ति प्रदर्शन किया. मंच पर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के अलावा आरजेडी के सांसद मनोज झा, डीएमके के टी आर बालू, सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी, कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी, यूजीसी के पूर्व चेयरमैन और खड़गे पर आई इस बायोग्राफी के एडिटर सुखदेव थोराट और People Matters के एडिटर चेतन शिंदे. मंच से इतर दुमंजिला ऑडिटोरियम भी खचाखच भरा था. प्रियंका गांधी, अशोक गहलोत, भूपेश बघेल, हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने भी कार्यक्रम में शिरकत की.
कार्यक्रम में सोनिया गांधी ने खरगे की तारीफ की और कहा,
“खड़गे का जीवन बानगी है कि आप चाहे कोई भी हों, किसी भी परिवेश से आते हों, इसका कोई फर्क नहीं पड़ता, आप हमेशा एक ऊंचे मुकाम पर पहुंच सकते हैं.”
इस मौके पर आरजेडी सांसद मनोज झा ने खरगे से जुड़ा एक किस्सा सुनाया. उन्होंने कहा,
“ये तब की बात है जब खरगे जी राज्यसभा में नेता विपक्ष नहीं बने थे. वे उस जमात के नेता हैं जो आज भी धोती-कुर्ता पहनते हैं. मैं भी सोच रहा था कि आगे चीजें कैसे चलेंगी. एक दिन मैं विपक्ष की स्ट्रैटेजी मीटिंग में गया. और ताज्जुब रह गया. हम में से कई लोग डेमोक्रेसी शब्द बोलते हैं, पर अपने जीवन में नहीं उतारते. खरगे अपने आचरण में बहुत डेमोक्रेटिक हैं. उन्होंने सबको चुप रहकर सुना. उनका वो हिसाब नहीं है कि पंचों की राय कुछ भी हो, खूंटा यही गड़ेगा.”
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खरगे के बारे में वो बातें जो आप नहीं जानते:-मल्लिकार्जुन खरगे अक्टूबर 2022 में कांग्रेस के 98वें राष्ट्रीय अध्यक्ष बने. सांसद बनने से पहले खड़गे ने कर्नाटक की गुरमितकल सीट से नौ बार विधायकी जीती. और ये लगातार हुआ, साल 1972 से 2009 तक. फिर वे दिल्ली चले आए. 2009 और 2014 में गुलबर्ग से लोकसभा में पहुंचे. उन्होंने विधानसभा और लोकसभा के कुलजमा 12 चुनाव लड़े, जिसमें से सिर्फ एक बार हारे, कैलेंडर पर साल था 2019. शायद यही कारण है कि खरगे को “सोल्लीलाडा सरदारा” के नाम से जाना जाता है. यानी कभी न हारने वाला लीडर. जानने वाले बताते हैं कि वो कबड्डी, क्रिकेट और हॉकी के कमाल के खिलाड़ी थे. हॉकी के तो स्टेट लेवल प्लेयर रहे.
इस किताब के बारे में एडिटर सुखदेव थोराट कहते हैं कि आम्बेडकर की तरह ही खरगे को भी संस्कृत के एक कोर्स में एडमिशन नहीं दिया गया. उन्होंने बताया कि इस किताब के चैप्टर्स खड़गे के पार्टी अध्यक्ष बनने के डेढ़ बरस पहले ही लिख लिए गए थे.

हिन्दुस्तान टाइम्स को दिए एक इंटरव्यू में इस बायोग्राफी के सम्पादक थोराट बताते हैं कि डेढ़ साल पहले जब इस किताब के चैप्टर्स लिखे जा रहे थे, तब मशहूर वकील और कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था,
“खरगे ने अलग-अलग क्षेत्रों में मुकाम हासिल किये हैं, लेकिन बेस्ट आना अभी भी बाकी है.”
वो बेस्ट खरगे के अध्यक्ष रहते ही आ चुका है, या पॉलिटिक्स के चेसबोर्ड पर अभी कुछ और चालें बाकी हैं. इसका हमें और पार्टी को भी इंतजार है.
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