भारत की मेजर राधिका सेन को 'यूनाइटेड नेशंस मिलिट्री जेंडर एडवोकेट ऑफ द ईयर अवार्ड 2023' से सम्मानित किया गया है. ये अवॉर्ड संयुक्त राष्ट्र शांति ऑपरेशन में लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण को प्रोमोट करने में उनके योगदान को लेकर दिया गया है. 30 मई को संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने मेजर राधिका को सम्मानित किया और कहा कि वो एक सच्ची लीडर और रोल मॉडल हैं. मेजर राधिका को कॉन्गो में उनके संयुक्त राष्ट्र मिशन की सर्विस के लिए जाना जाता है.
कौन हैं मेजर राधिका सेन जिन्हें संयुक्त राष्ट्र ने बड़े अवॉर्ड से नवाजा है?
31 साल की मेजर राधिका हिमाचल प्रदेश की मंडी जिले की रहने वाली हैं. 8 साल पहले वो भारतीय सेना में शामिल हुई थीं.
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31 साल की मेजर राधिका हिमाचल प्रदेश की मंडी जिले की रहने वाली हैं. 8 साल पहले वो भारतीय सेना में शामिल हुई थीं. मार्च 2023 से अप्रैल 2024 तक वो कॉन्गो में संयुक्त राष्ट्र के ऑर्गेनाइजेशन स्टैबलाइजेशन मिशन पर तैनात थीं. यहां उन्होंने ‘इंडियन रैपिडली डिप्लॉयड बटालियन’ (INDRDB) में एंगेजमेंट टीम कमांडर के रूप में काम किया था.
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, कमांडर के तौर पर मेजर राधिका ने 20 महिला और 10 पुरुष जवानों की टीम को लीड किया था. उनका काम आम नागरिकों से बातचीत करना, देश के भीतर विस्थापित हुए लोगों की सुरक्षा चिंताओं का समाधान करना और कॉन्फ्लिक्ट क्षेत्रों में महिलाओं, लड़कियों और बच्चों की बातों की वकालत करना था.
मेजर राधिका और उनकी टीम ने कॉन्गो में महिलाओं के स्वास्थ्य, उनकी शिक्षा, बच्चों की देखभाल, लैंगिक समानता और रोजगार जैसे जरूरी मुद्दों पर कई सेशन का आयोजित किया था. इसके अलावा टीम ने स्किल डेवलपमेंट को लेकर भी कुछ कार्यक्रम की शुरुआत की. इससे स्थानीय लोगों में आत्मनिर्भरता बढ़ी.
राधिका बायोटेक इंजीनियरिंग में बीटेक कर चुकी हैं. IIT बॉम्बे से मास्टर्स करने के दौरान उन्होंने सेना में जाने का फैसला लिया था. 10 सितंबर 2016 को वो भारतीय सेना में शामिल हुई थीं. करियर के दौरान राधिका जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और सिक्किम में अपनी सेवा दे चुकी हैं. उनके मां-पिता सरकारी स्कूल में टीचर रह चुके हैं और अभी दोनों रिटायर्ड हैं.
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मेजर राधिका दूसरी भारतीय पीसकीपर हैं जिन्हें इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. इससे पहले 2019 में मेजर सुमन गवानी को यह अवॉर्ड मिला था. मेजर गवानी ने संयुक्त राष्ट्र के मिशन के तहत साउथ सूडान में अपनी सर्विस दी थी. ये अवॉर्ड 2016 में शुरू किया गया था.
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