दुनिया का सबसे उन्नत माना जाने वाला विमान F-35 फिर से सुर्खियों में है. अमेरिका के कैलिफोर्निया में नेवी (US Navy F35) का एक F-35C विमान नेवल एयर स्टेशन लेमूर (Naval Air Station Lemoore) के पास क्रैश हो गया. ये हादसा 30 जुलाई को हुआ. अमेरिकन नेवी के मुताबिक इस हादसे में किसी के हताहत होने की खबर नहीं है. क्रैश की आशंका होते ही पायलट ने विमान से इजेक्ट कर लिया और पैराशूट के जरिए अपनी जान बचा ली. ये हादसा क्यों हुआ, फिलहाल इसके कारणों का पता नहीं चल पाया है. साल 2025 में ये दूसरी बार ऐसा हुआ जब F-35 विमान क्रैश हुआ है. इससे पहले जनवरी 2025 में अमेरिकी एयरफोर्स (US Air Force) का एक F-35 A विमान क्रैश हुआ था. यहां हमने एक टर्म सुना. F-35 के साथ A, B और C जैसे अक्षर जुड़े हैं. तो जानते हैं कि इनका क्या मतलब होता है? और जो विमान क्रैश हुआ, उसकी क्या खासियत है?
एक हजार करोड़ का विमान, यूएस कहता सबसे मजबूत, फिर गिर क्यों रहे F-35 जेट?
साल 2025 में ये दूसरा F-35 क्रैश है. लगभग एक हजार करोड़ के F-35 C Fighter Jet के क्रैश होने से न सिर्फ अमेरिकी सेनाएं, बल्कि इसे बनाने वाली Lockheed Martin की साख पर भी धब्बा लगा है

F-35 को अमेरिकन कंपनी लॉकहीड मार्टिन ने बनाया है. दुनिया में अमेरिका समेत 15 देश ऐसे हैं जिनके बेड़े में F-35 शामिल है. ये एक सिंगल इंजन, 5वीं पीढ़ी का सुपरसॉनिक, स्टेल्थ तकनीक से लैस फाइटर जेट है. F-35 के कई वर्जन हैं जिसमें मरीन ऑपरेशंस में शामिल होने वाले जेट्स भी आते हैं. F-35 का रडार क्रॉस सेक्शन जहां 0.0015 स्क्वायर मीटर है जो उसे रडार पर लगभग अदृश्य बना देता है. लॉकहीड मार्टिन के अनुसार पांचवी पीढ़ी का ये जेट स्टेल्थ तकनीक से लैस है. इस जेट को भारी-भरकम एयर डिफेंस तोड़कर दुश्मन के इलाके में घुसकर हमला करने के उद्देश्य से बनाया गया है. यानी ये डिफेंस से ज्यादा अटैक के लिए मुफीद है.

F-35 Lightning के तीन वर्जन हैं. इन्हें ही F-35 के A, B और C वर्जन नाम से जाना जाता है. A वर्जन को एयरफोर्स के इस्तेमाल के लिए बनाया गया है. B वेरिएंट को अमेरिका की मरीन कोर इस्तेमाल करती है. B वेरिएंट को शॉर्ट टेक ऑफ और वर्टिकल लैंडिंग के लिए डिजाइन किया गया है. वहीं C वर्जन को नेवल मिशंस के लिए बनाया गया है. इसे खास तौर पर एयरक्राफ्ट कैरियर से उड़ान भरने और लैंड करने के लिए डिजाइन किया गया है.

अमेरिकी नेवी का क्रैश हुआ विमान F-35C था. ये अमेरिकी एयरफोर्स के फाइटर स्क्वाड्रन VF-125 का हिस्सा था. इस स्क्वाड्रन को 'रफ रेडर्स' (Rough Raiders) के नाम से जाना जाता है. तो जानते हैं इसकी खासियत क्या है?
- लंबाई : 51.5 फीट
- रफ्तार : मैक 1.6 (1975.68 किलोमीटर प्रति घंटा)
- विंगस्पैन : 43 फीट
- फ्यूल क्षमता : 8, 708 किलोग्राम
- पेलोड क्षमता : 8,160 किलोग्राम
- थ्रस्ट : 191 Kn (आफ्टरबर्नर के साथ)
125 Kn (आफ्टरबर्नर के बिना ) - हथियार : 25mm GAU-22/A कैनन,
AIM-120C एयर-टू-एयर मिसाइल
GBU -31 JDAM गाइडेड बम
कुल मिलाकर देखें तो डिजाइन और ढांचे और लुक के मामले में तीनों वर्जन में कोई विशेष अंतर नहीं है. लेकिन C वेरिएंट की एक खूबी है उसका मजबूत लैंडिंग गियर. चूंकि इसे एयरक्राफ्ट कैरियर से ऑपरेट करना होता है, इसलिए इसके टायर्स पर काफी प्रेशर पड़ता है. इसलिए इसके लैंडिंग गियर पर खास ध्यान दिया गया है. साथ ही टेक-ऑफ करने के लिए इसे कैटापुल्ट लॉन्च के लिए भी डिजाइन किया गया है. कैटापुल्ट लॉन्च से मतलब ऐसे लॉन्च से है जिसमें विमान को टेक-ऑफ के दौरान शुरूआती स्पीड देने के लिए गुलेल की तरह छोड़ा जाता है जिससे प्लेन को एक्स्ट्रा थ्रस्ट मिलता है.
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अब जब इतना तामझाम, इतना उन्नत सिस्टम और इतनी महंगी टेक्नोलॉजी है तो ये विमान क्रैश क्यों हो रहे हैं, ये तो जांच के बाद पी पता चलेगा. लेकिन लगभग एक हजार करोड़ रुपये के इस विमान के क्रैश होने से न सिर्फ अमेरिकी सेनाएं, बल्कि इसे बनाने वाली लॉकहीड मार्टिन की साख पर भी धब्बा लगा है.
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