बागेश्वर धाम (Bagheshwar Dham) के धीरेंद्र शास्त्री (Dhirendra Shastri) एक बार फिर चर्चा में हैं. हाल ही में एक संगठन ने धीरेंद्र शास्त्री पर ‘अंधविश्वास’ और 'जादू-टोना' को बढ़ावा देने का आरोप लगाया. संगठन है, महाराष्ट्र अंधश्रद्धा उन्मूलन समिति (Maharashtra Andhashraddha Nirmoolan Samiti). समिति के मुताबिक, धीरेंद्र शास्त्री की जो 'दिव्य दरबार' नाम से सभा की जाती है, उसमें दो कानूनों का उल्लंघन होता है. वो कानून हैं- महाराष्ट्र का ‘जादू-टोना’ विरोधी कानून, 2013 और ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज एक्ट, 1954. इसलिए समिति ने धीरेंद्र शास्त्री के खिलाफ पुलिस कार्रवाई की भी मांग की है.
बागेश्वर वाले धीरेंद्र शास्त्री को चैलेंज करने वाले संगठन की पूरी कहानी क्या है?
इसी संगठन ने महाराष्ट्र के 'जादू-टोना' विरोधी कानून का ड्राफ्ट तैयार किया था.

जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है, ये संगठन महाराष्ट्र में 'अंधविश्वास' के खिलाफ काम करता है. इसे 1989 में बनाया गया था. इसकी स्थापना नरेंद्र दाभोलकर ने की थी. वही एक्टिविस्ट, जिनकी साल 2013 में हत्या कर दी गई थी.
संगठन के मुताबिक, इसका काम लोगों को गुमराह करने वाले ‘अंधविश्वासों’ के खिलाफ काम करना है. इसका मकसद वैज्ञानिक दृष्टिकोण का प्रचार करना है. इस संगठन ने नदियों में गणेश मूर्तियों के विसर्जन के खिलाफ अभियान चलाया था. नदियों और झीलों को प्रदूषित होने से बचाने के लिए लोगों से छोटी मूर्तियों और नुकसान न पहुंचाने वाले रंगों का इस्तेमाल करने की अपील की थी. ये भी प्रस्ताव दिया था कि लोग मूर्तियों को नदी के किनारों पर विसर्जन के लिए खास तौर पर बनाए गए टैंकों में विसर्जित कर सकते हैं.
साल 2011 में समिति ने मानसिक रूप से बीमार लोगों को 'चमत्कार' से ठीक किए जाने के नाम पर टॉर्चर किए जाने का विरोध किया था. इसके अलावा ये समिति 'चमत्कार' का दावा करने वाले 'बाबाओं' को भी चुनौती देती रही है. दिसंबर 2002 में इस समिति ने ‘पानी पर चलना’, ‘हवा में तैरने’ जैसे 12 'चमत्कारों' की लिस्ट बनाई थी. और इनमें से किसी एक को भी करने वाले को 11 लाख रुपये का इनाम देने की घोषणा की थी.
महाराष्ट्र के ‘जादू-टोना’ विरोधी कानून में समिति की भूमिकामहाराष्ट्र के ‘जादू-टोना’ विरोधी कानून, 2013 के पीछे इस समिति का ही योगदान रहा है. इस कानून का नाम है- महाराष्ट्र मानव बलिदान और अन्य अमानवीय, बुराई और अघोरी प्रथा व काला जादू रोकथान और उन्मूलन एक्ट, 2013 (Maharashtra Prevention and Eradication of Human Sacrifice and other Inhuman, Evil and Aghori Practices and Black Magic Act, 2013).
साल 2003 में समिति के संस्थापक नरेंद्र दाभोलकर ने इसका ड्राफ्ट तैयार किया था. जिस साल नरेंद्र दाभोलकर की हत्या हुई, उसी साल ये कानून बना. 2013 में. 'टोना-टोटका', मानव बलि, बीमारियों को 'जादू' के जरिए ठीक करने और ऐसे बाक़ी काम इस कानून के तहत अपराध हैं.
ये भी पढ़ें- महाराष्ट्र का वो कानून कितना सख्त है, जिसके चलते धीरेंद्र शास्त्री पर शिकायत हुई है?
वीडियो: बागेश्वर धाम सरकार को किसने दी खुली चुनौती? बवाल पर क्या बोले धीरेंद्र शास्त्री?