कमलनाथ इन दिनों छिंदवाड़ा में हैं. फोटो- ट्विटर
कमलनाथ. मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता. एक जनसभा में उन्होंने कुछ ऐसा कह दिया, जिससे कयास लगने लगे कि वो राजनीति से संन्यास लेना चाहते हैं. लेकिन वो नेता ही क्या जो कोई बात सीधे-सीधे कहे. 13 दिसंबर को कमलनाथ ने अपने गृह नगर छिंदवाड़ा में एक जनसभा के दौरान कहा कि मैं वो अब आराम करने के लिए तैयर हैं. उन्होंने कहा,
"मैं आराम करने को तैयार हूं. मुझे किसी पद का लालच नहीं. मैंने बहुत कुछ प्राप्त कर लिया है. जितना मैंने प्राप्त किया है शायद किसी और ने प्राप्त नहीं किया होगा. मैं घर बैठने को तैयार हूं. मैं क्या करूं ये आपको तय करना है." बाद में जब पत्रकारों ने घेरकर उनसे सवाल पूछा कि आपने राजनीति से संन्यास लेने की बात कही? इस पर उन्होंने अपने भाषण की आखिरी लाइन का सहारा लेते हुए सफाई भी दे डाली. उन्होंने कहा,
"मैंने कहा, मैं उस दिन सन्यास लूंगा राजनीति से जिस दिन मेरे छिंदवाड़ा की जनता मुझे ऐसा कहेगी."
कमलनाथ मध्य प्रदेश विधानसभा में विपक्ष के नेता हैं और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं. हाल ही में 28 सीटों पर हुए विधानसभा उपचुनावों में कांग्रेस की बड़ी हार हुई. जानकारों की मानें तो इस हार के बाद ही कमलनाथ के खिलाफ पार्टी के भीतर सुगबुगाहट शुरू हो गई. कई कांग्रेस नेता कमलनाथ पर गलत टिकट बंटवारे, कमज़ोर उम्मीदवारों को उतारने और खराब रणनीति का आरोप लगा चुके हैं.
शिवराज सिंह चौहान ने कही ये बात मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से जब इस बारे में मीडिया ने पूछा तो उन्होंने कहा,
"हम किसी को सन्यास नहीं दिलाएंगे. यह तो उनकी मर्जी है घर बैठना है या नहीं. ये उनके घर का मामला है. इस पर वह खुद विचार करें. आरोप-प्रत्यारोप तो उनके घर में लग रहे हैं तो जवाब भी वही दें. समाधान कोई निकालें. मेरी यही शुभकामना है."
आपको बता दें कि मध्यप्रदेश कांग्रेस अंदरूनी कलह से जूझ रही है. उपचुनावों की हार के बाद से कमलनाथ अपने विरोधियों के निशाने पर हैं. पार्टी के कई नेता उनके खिलाफ हैं. 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत के बाद कमलनाथ को सीएम बनाया गया था. ज्योतिरादित्य सिंधिया इस बात से नाराज थे. मार्च 2019 में उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी और बीजेपी में शामिल हो गए. उनके साथ कांग्रेस के उन विधायकों ने भी इस्तीफा दे दिया जो उनके समर्थन में थे. इससे कमलनाथ की सरकार अल्पमत में आ गई. और बीजेपी के शिवराज सिंह चौहान राज्य के सीएम बने.