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लैंड फॉर जॉब केस: लालू, तेजस्वी और तेज प्रताप यादव को जमानत मिली

Land for jobs case में Rouse Avenue Court सुनवाई कर रही थी. इस दौरान कोर्ट ने Lalu Prasad के साथ-साथ उनके दोनों बेटों Tejashwi Yadav और Tej Pratap Yadav को ज़मानत दे दी है.

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लालू यादव और उनके बेटों को मिली बेल. (फ़ोटो - PTI)

दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट (Rouse Avenue District Court) ने ज़मीन के बदले नौकरी के कथित मनी लॉन्ड्रिंग (money laundering ) मामले में RJD प्रमुख और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और उनके बेटों तेजस्वी यादव, तेज प्रताप यादव को ज़मानत दे दी है (Lalu Yadav Tejashwi Yadav bail). कोर्ट ने तीनों को इस शर्त पर ज़मानत दी कि वो एक-एक लाख रुपये का ज़मानत बांड भरेंगे. राउज एवेन्यू कोर्ट के स्पेशल जज विशाल गोगने मामले की सुनवाई कर रहे थे. मामले पर अगली सुनवाई अब 23 और 24 अक्टूबर को होगी.

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कोर्ट ने आरोपियों को 7 अक्टूबर को पेश होने का निर्देश दिया था. ED के दायर सप्लीमेंटरी चार्जशीट पर कोर्ट ने संज्ञान लिया था और आरोपियों को मामले में तलब किया था. लाइव लॉ की ख़बर के मुताबिक़, आरोपियों की तरफ़ से सीनियर एडवोकेट मनिंदर सिंह, एडवोकेट वरुण जैन, एडवोकेट नवीन कुमार, एडवोकेट अखिलेश सिंह और एडवोकेट सुमित सिंह पेश हुए थे. मार्च, 2023 में ट्रायल कोर्ट ने CBI द्वारा दर्ज मामले में लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी और तेजस्वी प्रसाद यादव को जमानत दे दी थी.

CBI ने इस मामले में 10 अक्टूबर 2022 को 16 लोगों के ख़िलाफ़ आरोपपत्र दाखिल किया था. इस मामले में लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, बेटी मीसा भारती और अन्य व्यक्ति आरोपी हैं. मामला लालू यादव के रेल मंत्री रहते हुए उनके परिवार को हस्तांतरित की गई भूमि के बदले रेलवे में की गई कथित नियुक्तियों से संबंधित है. CBI ने इस मामले में दावा किया है कि ये नियुक्तियां भारतीय रेलवे की निर्धारित नियुक्ति मानकों और दिशानिर्देशों के अनुरूप नहीं थीं.

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Land for Job घोटाला क्या है?

'लैंड फॉर जॉब' यानी नौकरी के बदले ज़मीन देना. मामला 2004 से 2009 तक का है. रिपोर्ट्स के मुताबिक़, इस दौरान 7 लोगों को रेलवे में ग्रुप-डी की नौकरी दी गई थी. तब UPA सरकार में रेल मंत्री थे- लालू यादव. आरोप लगा कि जिनको नौकरी मिली, उन्होंने बेहद कम कीमत पर अपनी जमीनें लालू यादव के परिवार वालों के नाम ट्रांसफर कर दी थीं. नौकरी पाने वाले लोगों को पहले रेलवे में सब्स्टीट्यूट के तौर पर भर्ती किया गया.

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बताया गया कि मुंबई, जबलपुर, कोलकाता, जयपुर और हाजीपुर जैसे इलाकों में इन्हें नियुक्त किया गया. इन नियुक्तियों का कोई विज्ञापन या नोटिस तक नहीं जारी किए जाने और बहुत जल्दबाजी में नियुक्तियां होने के आरोप लगे. आरोप ये भी लगे कि पश्चिम और मध्य रेलवे जोन ने कुछ उम्मीदवारों के आवेदन को बिना पते के अप्रूव कर दिया. बाद में जब बदले में जमीन का सौदा हुआ, तो इन सभी नौकरी पाने वाले लोगों को रेगुलर कर दिया गया.

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