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रूस के मिलिट्री कैंप में काम कर रहे भारतीय की गोलीबारी में मौत, केरल का रहने वाला था

Russia के मिलिट्री कैंप में काम कर रहे Kerala के एक शख्स की Russia और Ukraine के बीच हो रही गोलाबारी में मौत हो गई है. मृतक का परिवार रूस स्थित भारतीय दूतावास के हस्तक्षेप का इंतजार कर रहा है ताकि उनके शव को वापस भारत लाया जा सके.

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रूस - यूक्रेन युद्ध में हो रही गोलाबारी में केरल के एक शख्स की मौत हो गई है. (फाइल फोटो- इंडिया टुडे)

रूस और यूक्रेन (Russia Ukraine war) के बीच चल रहे युद्ध में हो रही गोलाबारी में केरल के एक व्यक्ति की मौत हो गई है. मृतक रूसी मिलिट्री कैंप में काम कर रहा था. मारे गए व्यक्ति का नाम संदीप बताया जा रहा है. संदीप केरल के त्रिशुर जिले के रहने वाले थे. वह एक इलेक्ट्रीशियन थे. और अप्रैल 2024 में एक रेस्त्रां में काम करने के लिए रूस गए थे.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक संदीप के चचेरे भाई सरन ने बताया, 

हमें एक रूसी मलयाली एसोसिएशन से मैसेज मिला कि त्रिशुर का एक व्यक्ति गोलाबारी में मारा गया है. जोकि रूसी मिलिट्री कैंटीन में काम कर रहा था. एसोसिएशन मृतक व्यक्ति की पहचान करना चाहता था. फिर हमने उनके दिए गए डिटेल्स की जांच की तो पता लगा कि वह संदीप ही था.

पिछले कुछ दिनों से संदीप अपने परिवार के संपर्क में नहीं थे. संदीप ने परिवार को बताया था कि वो मॉस्को में काम करते हैं. और उन्होंने परिवार को एक महीने की सैलरी भी भेजी थी. लेकिन उसके बाद परिवार से उनका संपर्क टूट गया. सरन ने बताया, 

 हमें बाद में पता चला कि उन्हें मॉस्को के बाहर ले जाया गया है, जहां वे एक मिलिट्री कैंटीन में काम कर रहे थे. जो यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे बैटलफील्ड के पास था.

संदीप की अभी शादी नहीं हुई थी. उनके पिता चंद्रन और मां वलसाला त्रिशुर जिले के एक गांव में रहते हैं. और दोनों खेत मजदूर हैं. संदीप के चचेरे भाई सरन ने आगे बताया कि उनका परिवार रूस स्थित भारतीय दूतावास के हस्तक्षेप का इंतजार कर रहा है ताकि उनके शव को वापस भारत लाया जा सके.

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इससे पहले, 21 जुलाई को कथित तौर पर धोखे से रूसी सेना में भर्ती एक पूर्व भारतीय जवान ने मोदी सरकार से स्वदेश वापसी की अपील की थी. उन्होंने एक वीडियो जारी कर सरकार से मदद की गुहार लगाई थी. पश्चिम बंगाल के रहने वाले उर्गेन तमांग को एजेंटों ने रूस में सुरक्षा गार्ड की नौकरी दिलाने का झांसा दिया था. लेकिन वहां पहुंचने पर उन्हें यूक्रेन के साथ युद्ध के मोर्चे पर भेज दिया गया था.

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