कानपुर (Kanpur) का बिकरू (Bikru) गांव. यहां का रहने वाला था विकास दुबे (Vikas Dubey), जिसे कानपुर (Kanpur) पुलिस (Police) तकरीबन डेढ़ साल पहले एनकाउंटर में मार चुकी है. लेकिन हैरानी की बात है कि विकास दुबे का खौफ उसके मरने के बाद भी उसके गांव में कायम है. बिकरू के सरकारी पंचायत भवन पर आज भी उसका कब्जा है. उसने ताला मारकर रखा हुआ है, और ताला खुलवाने के लिए कागज़ी प्रक्रिया जारी है.
विकास दुबे की मौत के बाद भी उसका लगाया ये ताला अभी तक कोई नहीं खोल पाया!
बिकरू के सरकारी पंचायत भवन पर आज भी उसका कब्जा है. उसने ताला मारकर रखा हुआ है, और ताला खुलवाने के लिए कागज़ी प्रक्रिया जारी है.

आजतक से जुड़े रणंजय सिंह के मुताबिक, यूपी के कानपुर (Kanpur) में विकास दुबे के कथित एनकाउंटर के कुछ महीने बाद हुए प्रधानी के चुनाव में बिकरू की नई प्रधान बनीं मधु देवी. मधु देवी प्रधान बनने के कुछ रोज बाद जब पंचायत घर गईं तो देखा पूरा पंचायत घर गेंहू के बोरों भरा हुआ है. और बाहर ताला लगा है. किसी से पूछने की जरूरत नहीं थी कि ये किसका है क्योंकि सालों से पंचायत घर विकास दुबे के कब्जे में था.

इसके बाद चिट्ठी-पतरी का दौर शुरू हुआ. यानी इस गेहूं को हटवाने के लिए भी पंचायत विभाग के अधिकारियों को पत्र लिखा गया. बताते हैं कि खंड विकास अधिकारी यानी VDO से लेकर ग्राम पंचायत अधिकारी तक किसी ने भी ताला नहीं खुलवाया. कागज़ी प्रक्रिया जारी है.

जब ब्लॉक स्तर पर सुनवाई नहीं हुई तो बिकरू की प्रधान मधु देवी ने डीएम को पत्र लिखकर पंचायत भवन खाली कराए जाने की मांग की. ग्राम प्रधान ने कानपुर की डीएम नेहा शर्मा को लिखे पत्र में कहा है,
'हमारी ग्राम पंचायत में दो पंचायत घर बने हैं, जिसमें से एक पंचायत भवन का इस्तेमाल ग्राम सचिवालय के रूप में किया जा रहा है. दूसरे पंचायत भवन में बिकरू कांड के मुख्य आरोपी विकास दुबे का अनाज दो साल से रखा है. पंचायत भवन में रखा अनाज पूरी तरह से खराब हो चुका होगा. ताला बंद होने के कारण भवन क्षतिग्रस्त हो रहा है. आप से निवेदन है कि पुलिस और आपूर्ति विभाग को निर्देशित कर ताला खुलवाने की कृपा करें.'

आजतक के रणंजय सिंह के मुताबिक ग्राम प्रधान से लेकर पंचायत अधिकारियों को संदेह इस बात का है कि गेहूं के बोरों के अंदर विकास दुबे के असलहे न छिपे रखे हों. बिकरू गांव में विकास दुबे के घर, कुएं और दीवारों से जिस तरह पुलिस ने असलहे बरामद हुए थे ऐसे में गेहूं के बोरों से हथियार मिलने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता.
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