The Lallantop

जाते-जाते हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस बोले- "परेशान करने के लिए मेरा बार-बार ट्रांसफर हुआ"

जस्टिस मलिमठ ने कहा कि कुछ लोगों ने उनके करियर को बर्बाद करने के लिए महीनों और सालों लगाए, लेकिन वे सफल नहीं हो पाए.

Advertisement
post-main-image
24 मई को रिटायर हुए थे जस्टिस रवि मलिमठ. (फोटो- स्क्रीनग्रैब/ Youtube)

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस रवि मलिमठ के विदाई भाषण की खूब चर्चा हो रही है. 24 मई को जस्टिस मलिमठ ने अपने भाषण में कहा कि कुछ लोगों ने महीनों और सालों तक उनके करियर को बर्बाद करने की कोशिश की लेकिन वे सफल नहीं हो पाए. उन्होंने अपने ट्रांसफर का भी जिक्र किया कि किस तरीके से उन्हें बार-बार एक जगह से दूसरी जगह भेजा गया. जस्टिस मलिमठ ने कहा कि उन्होंने पद पर रहते हुए किसी "मंडली" के बदले संविधान की सेवा की.

Advertisement

करीब ढाई साल तक पद पर रहने के बाद 24 मई को जस्टिस मलिमठ रिटायर हुए. अक्टूबर 2021 में उन्हें मध्य प्रदेश हाई कोर्ट का चीफ जस्टिस नियुक्त किया गया था. इससे पहले वे जुलाई 2021 से अक्टूबर 2021 तक हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस बने थे. इससे पहले जनवरी से जून 2021 तक यहीं पर वो जज थे. हिमाचल हाई कोर्ट से पहले वे जुलाई 2020 से जनवरी 2021 तक उत्तराखंड हाई कोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस भी रहे.

अपने विदाई भाषण में उन्होंने आरोप लगाया कि बार-बार ट्रांसफर के जरिये उन्हें परेशान करने की कोशिश की गई. जस्टिस मलिमठ ने कहा, 

Advertisement

"मुझे चीफ जस्टिस बनाने के लिए कर्नाटक से उत्तराखंड ट्रांसफर किया गया, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. इसके बाद उत्तराखंड से हिमाचल प्रदेश चीफ जस्टिस बनाने के लिए ट्रांसफर किया गया, लेकिन वहां भी नहीं हुआ. आखिरकार मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में मुझे चीफ जस्टिस नियुक्त किया गया. ये ट्रांसफर मुझे परेशान करने के लिए किए गए, लेकिन वे सफल नहीं हुए. मैंने ठीक इसका उलट काम किया. इन सभी जगहों पर मैंने अपना बेहतरीन योगदान दिया."

बिना किसी का नाम लिए जस्टिस मलिमठ ने कहा कि कुछ लोगों ने उनके करियर को बर्बाद करने के लिए महीनों और सालों लगाए, लेकिन वे सफल नहीं हो पाए. उन्होंने कहा, 

"वे इसलिए सफल नहीं हो पाए क्योंकि मैंने वो काम किए जो देश के दूसरे चीफ जस्टिस या जज नहीं कर पाए. मैं उन्हें सलाह दूंगा कि वे अब मेरी जिंदगी के बदले खुद पर ध्यान दें. मेरे कार्यकाल में कई लोगों ने कोर्ट की कार्यप्रणाली को प्रभावित करने की कोशिश की. मैंने सभी को दूर रखा. सिर्फ सिर्फ इस संस्थान (न्यायपालिका) को बचाने के लिए."

Advertisement

उन्होंने कहा कि उनके कई सारे दुश्मन हैं और उन्हें इस पर गर्व है. जस्टिस मलिमठ ने अपने करियर में 65 हजार से ज्यादा केस का निपटारा किया. उन्होंने दावा किया कि ये किसी भी जज या चीफ जस्टिस के मुकाबले संभवत: ज्यादा है.

ये भी पढ़ें- कौन हैं भारतीय जज दलवीर भंडारी, जिन्होंने ICJ में इजरायल के खिलाफ आदेश दिया?

साल 1987 में जस्टिस मलिमठ ने बेंगलुरु में वकालत से करियर की शुरुआत की थी. कर्नाटक हाई कोर्ट में उन्होंने संवैधानिक, सिविल, क्रिमिनल जैसे मामलों में प्रैक्टिस की. सालों की प्रैक्टिस के बाद 2008 में उन्हें कर्नाटक हाई कोर्ट में जज नियुक्त किया गया था.

वीडियो: जस्टिस डी वाय चंद्रचूड़ के 2023 में दिए ऐसे बयान जिसने सरकार को परेशान किया

Advertisement