क्या हो, अगर किसी यूनिवर्सिटी में 14 साल से पढ़ा रहे प्रोफेसर पर उसी यूनिवर्सिटी की लड़कियां छेड़छाड़ और यौन उत्पीड़न का आरोप लगा दें! क्या हो, अगर किसी यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट हर दूसरे सप्ताह किसी पुलिस थाने के सामने प्रदर्शन करते नज़र आएं! क्या हो, अगर किसी यूनिवर्सिटी के अंदर चल रहे विवाद पर देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी ट्वीट करती नज़र आए!
'तुम्हारे स्तन अच्छे हैं, नीचे की बॉडी भी मेन्टेन करो, वरना भद्दी दिखोगी'
लैब और ऑफिस में अपनी स्टूडेंट्स से ये बातें करते थे JNU के प्रो. अतुल जौहरी?

इन हालात में ये 'क्या हो' एक विवेचना का प्रश्न है. पर इतना तय है कि ये सब होने पर संस्थान में मौजूद छात्रों के लिए पढ़ाई का माहौल खराब होगा और वहां दाखिला लेने की हसरत रखने वाले छात्रों में एक किस्म का शक का भाव पैदा होगा. अगर ऐसा देश की प्रतिष्ठित जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) के साथ होता है, तो ये बेहद दुर्भाग्यपूर्ण होगा.

यूनिवर्सिटी कैंपस में पूर्व प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू का स्टेचू
ये आर्टिकल लिखे जाने तक JNU के बारे में लेटेस्ट खबर ये है कि इसके 'स्कूल ऑफ लाइफ साइंसेस' विभाग में माइक्रो-बायोलॉजी के प्रोफेसर अतुल कुमार जौहरी को दिल्ली के आरके पुरम थाने की पुलिस ने यौन उत्पीड़न केस में पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया. फिर उन्हें पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया गया, जहां से 30 हज़ार रुपए के 8 अलग-अलग बॉन्ड भरने पर जौहरी को ज़मानत मिल गई. पुलिस ने जौहरी की रिमांड नहीं मांगी.

कोर्ट में पेशी के लिए ले जाए जाने के दौरान प्रो. जौहरी
प्रो. अतुल जौहरी ही वह शख्स हैं, जिनके खिलाफ उनकी छात्राओं ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं. वह खुद को बेकसूर बताते हुए दलील देते हैं कि उन्हें ज़मानत दे दी जाए, वरना उनका करियर खराब हो जाएगा.
कथित देश-विरोधी नारों, PhD की कम सीटों, अनिवार्य अटेंडेंस का विरोध और PhD दाखिलों में धांधली का आरोप... JNU में विवादों की इस लंबी श्रृंखला की अगली कड़ी हैं प्रो. जौहरी, जिनका विवाद 15 मार्च 2018 से शुरू होता है. आइए जानते हैं पूरा मामला...
JNU में प्रो. जौहरी का सफर जून 2004 से बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर शुरू होता है. फरवरी 2008 में वो असोसिएट प्रोफेसर बने और फरवरी 2014 से वो प्रोफेसर हैं. इस दौरान उनका विभाग 'स्कूल ऑफ लाइफ साइंसेस' रहा. प्रोफेसर होने के नाते जौहरी PhD स्टूडेंट्स को रिसर्च करने में सुपरवाइज़ करते हैं. मौजूदा वक्त में ये 11 स्टूडेंट्स को PhD के लिए गाइड कर रहे हैं. इसके अलावा ये विभाग की अन्य क्लासेस में स्टूडेंट्स को पढ़ाते हैं.

प्रो. अतुल जौहरी
जौहरी की 8 छात्राओं ने इन पर यौन शोषण के आरोप लगाए हैं. दी लल्लनटॉप आपको इनमें से किसी भी शिकायतकर्ता का नाम नहीं बताएगा, क्योंकि IPC की धारा 228-A के तहत यौन उत्पीड़न के शिकायतकर्ता का नाम ज़ाहिर करना अपराध है. इनमें से एक लड़की ने पुलिस को दी अपनी शिकायत में जो बताया है, वो कुछ इस तरह है:
"मेरा नाम &*%#% है और मैं JNU में स्कूल ऑफ लाइफ साइंसेस की पीएचडी स्टूडेंट हूं. प्रो. अतुल जौहरी मेरे सुपरवाइज़र हैं. जब मैंने प्रो. अतुल जौहरी की लैब जॉइन की थी, तब वो मुझे ज़रूरत से ज़्यादा दोस्ताना लगे. एक बार उन्होंने मुझे पूछा कि क्या मेरा कोई बॉयफ्रेंड है और अगर है, तो क्या मैंने उसके साथ फिज़िकल रिलेशन बनाए हैं. एक बार उन्होंने मुझे शिव-पार्वती का एक अश्लील चुटकुला भी सुनाया. वो ऐसे चुटकुले सुनाते रहते थे.
वो काम के बारे में बात करने के लिए मुझे अपने ऑफिस बुलाते थे और जब मैं वहां जाती, तो वो मुझे मेज के सामने कुर्सी पर बिठाने के बजाय सोफे पर बिठाते. सोफे पर बैठने के दौरान वो हमेशा मुझे मेरी इजाज़त के बिना गलत तरह पीठ और कंधे पर छूते थे. उनका मकसद हमेशा सेक्शुअल होता था, जिससे मुझे तकलीफ होती थी. 2014 में जब मैं उनके चैंबर में सिनॉप्सिस के लिए गई, तो उन्होंने मुझसे कहा, 'तुम्हारे स्तन' बहुत अच्छे हैं. अपने निचले हिस्से को भी मेनटेन करो, वरना जो लड़कियां ऐसा नहीं करती हैं, तुम उनकी तरह भद्दी लगोगी.'

प्रो. जौहरी
जब मैंने उनकी बातों का विरोध किया, तो वो कहने लगे, 'अरे तुम तो अडल्ट हो.' उनकी ये बातें मेरी इच्छा के विरुद्ध थीं और मैं खुद शर्म से भर जाती थी. जब मैंने इस बारे में अपनी लैबमेट्स को बताया और प्रो. जौहरी को पता चला कि मैं ये बातें दूसरी स्टूडेंट्स को बता रही हूं, तो उन्होंने मेरे काम पर ध्यान देना बंद कर दिया. वो मुझसे बदला लेने वाला बर्ताव करने लगे. उन्होंने मेरा पढ़ाई का माहौल मुश्किल बना दिया और मेरे सारे एकेडमिक असाइन्मेंट आगे बढ़ाते रहे.
जब मैंने अपनी लैब बदलने की कोशिश की, तो मुझे विभाग की तरफ से कोई मदद नहीं मिली. फिर मैंने डीन को अपने यौन उत्पीड़न के बारे में बताया और उनसे मेरी लैब बदलने को कहा. लैब न बदलने पर मेरे पास प्रो. जौहरी के अंडर में ही रहने के अलावा कोई चारा नहीं था. जनवरी 2017 में मैंने अपना रिसर्च पेपर उन्हें दिया था, लेकिन उन्होंने अब तक कोई जवाब नहीं दिया है. जब भी कोई लड़की मेरी तरह प्रो. जौहरी के साथ समझौता करने से मना करती और उनकी हरकतों का विरोध करती, तो वो मेरी तरह ही उस लड़की के एकेडमिक पब्लिकेशन आगे बढ़ा देते.

JNU कैंपस में जौहरी का भारी विरोध हो रहा है
मैं बहुत परेशान हूं, क्योंकि जुलाई में मुझे अपनी थीसिस जमा करनी है. प्रो. जौहरी की पत्नी डॉ. मीनाक्षी दुआ (SES की फैकल्टी) कई बार हमारी लैब में आईं और हमसे कहा कि शाम 6 बजे के बाद हम लैब न रुका करें और पढ़ाई के अलावा प्रो. जौहरी से कोई बात न किया करें. अपनी पर्सनल और एकेडमिक ज़िंदगी खराब होने के डर से मैंने कोई शिकायत नहीं की, लेकिन जब मेरे ही डिपार्टमेंट की एक स्टूडेंट ने प्रो. जौहरी के खिलाफ यौन उत्पीड़न की शिकायत की, तो मैंने शिकायत दर्ज कराने का फैसला लिया."
15 मार्च को प्रो. जौहरी की कई छात्राएं उनके खिलाफ FIR दर्ज कराने दिल्ली के वसंत कुंज थाने पहुंची थीं. पुलिस ने छात्राओं की शिकायत तो लिख ली, लेकिन उसे FIR में बदलने को लेकर काफी देर तक ना-नुकर करते थे. आखिरकार देर रात 16 मार्च को प्रो. जौहरी के खिलाफ पहली FIR लिखी गई. ये सभी लड़कियों की शिकायत पर लिखी गई एक FIR थी, जिसमें दो लड़कियों के बयान थे. हालांकि, स्टूडेंट्स इससे सहमत नहीं थे.

थाने के बाहर JNU छात्र
फिर 19 मार्च को JNU छात्रों और पुलिसवालों के बीच अलग-अलग FIR लिखने को लेकर काफी झड़प हुई. थाने के बाहर नारे लगाए गए, बैरीकेडिंग पार की गईं और बात धक्का-मुक्की तक पहुंच गई. आखिरकार स्टूडेंट्स के दबाव में पुलिस को 8 लड़कियों की शिकायत पर 8 अलग-अलग FIR दर्ज करनी पड़ीं. धारा 164 के तहत 8 लड़कियों के बयान दर्ज कराए गए और प्रो. जौहरी पर IPC की धारा 354 (महिला के खिलाफ अत्याचार, उत्पीड़न) और धारा 509 (महिला का अपमान) के तहत केस दर्ज किया गया.

प्रो. जौहरी के खिलाफ केस दर्ज कराने के लिए स्टूडेंट्स को खासी मशक्कत करनी पड़ी
क्या JNU के अंदर छात्राओं की मदद के रास्ते बंद हो गए थे
इसका जवाब JNU के अंदर से ही आता है. नाम ज़ाहिर न करने की शर्त पर JNU की एक फैकल्टी बताती है कि 2017 तक यूनिवर्सिटी में GSCASH नाम की एक कमेटी होती थी. इसका पूरा नाम 'ज़ेंडर सेंसटाइजेशन कमेटी अगेन्स्ट सेक्शुअल हरैसमेंट' है. JNU में ये कमेटी इस मकसद से बनाई गई कि कैंपस में किसी छात्रा या फैकल्टी का उत्पीड़न न हो. इसमें फैकल्टी और स्टूडेंट, दोनों पक्षों के प्रतिनिधि होते थे, जो बाकायदा चुनाव के रास्ते आते थे.

GSCASH स्क्रैप करने के विरोध में प्रदर्शन करते JNU स्टूडेंट
लेकिन 2016 में नियुक्त हुए JNU के नए वीसी डॉ. एम. जगदेश कुमार ने UGC के 'इंटरनल कम्प्लेंट कमेटी' बनाने के निर्देश के आधार पर GSCASH को निरस्त कर दिया और 'इंटरनल कम्प्लेंट कमेटी' (ICC) बना दी. वीसी की तरफ से नॉमिनेट किए जाने वाले इसके सदस्यों में सिर्फ फैकल्टीज़ होती हैं और किसी स्टूडेंट को छात्रों से जुड़ा कोई मामला होने पर ही प्रतिनिधि बनाया जाता है. इस कमेटी से मदद न मिलने पर ही छात्राएं प्रो. जौहरी के खिलाफ शिकायत करने पुलिस के पास गईं. जौहरी पर आरोपों को लेकर स्टूडेंट्स ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की थी.

JNU में GSCASH के बजाय ICC शुरू करने पर न्यूज़लॉन्ड्री का कार्टून. इसमें दिख रहा शख्स JNU के वीसी एम. जगदेश कुमार हैं.
केस दर्ज होने के बाद क्या हुआ
केस दर्ज करने के बाद दिल्ली पुलिस ने प्रो. जौहरी को 19 मार्च को जांच में मदद करने के लिए बुलाया था, जिसमें जौहरी नहीं पहुंचे. स्टूडेंट्स का आरोप है कि पुलिस जानबूझकर ढील दे रही थी, ताकि जौहरी को ज़्यादा से ज़्यादा वक्त मिल जाए. सोमवार को प्रो. जौहरी ने पुलिस को नोटिस भेजा था कि निजी कारणों के चलते वो पुलिस के पास नहीं आ पाएंगे.
इसके बाद पुलिस ने मंगलवार को जौहरी को पूछताछ के लिए बुलाया. करीब तीन घंटे की पूछताछ के बाद पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार करके मैजिस्ट्रेट कोर्ट में पेश किया. वहां जौहरी ने 'करियर खराब होने' की दलील देकर ज़मानत की अर्जी दी. पुलिस ने जौहरी की रिमांड नहीं मांगी, इसलिए उन्हें आसानी से ज़मानत मिल गई. इससे पहले पुलिस ने ये दावा भी किया था कि जौहरी के खिलाफ गैर-ज़मानती धाराएं लगाई गई हैं.

प्रो. जौहरी
पुलिस क्या कह रही है
प्रो. जौहरी के खिलाफ एक FIR दर्ज होने के बाद जॉइंट कमिश्नर अजय चौधरी की तरफ से कहा गया कि सभी लड़कियों ने जो शिकायतें दर्ज कराई हैं, वो लगभग एक जैसी हैं और उनमें घटना की तारीख और समय वगैरह का ज़िक्र नहीं किया गया है. ऐसे में पुलिस लीगल ओपिनयन ले रही थी और इसी वजह से कार्रवाई में देरी हुई. इसके अलावा पुलिस शिकायत के आधार पर CCTV फुटेज खंगाल रही है.

जॉइंट कमिश्नर अजय चौधरी
क्या प्रो. जौहरी या उनके विभाग के लिए ये नई बात है
इस सवाल का जवाब भी गुमनामी की शर्त पर मिलता है. फैकल्टी और स्टूडेंट, दोनों ये बताते हैं कि प्रो. जौहरी जिस विभाग के मुखिया हैं, वहां कई सालों से छात्राओं का इस तरह उत्पीड़न होता आ रहा है. स्टूडेंट्स बताती हैं कि वो जब से प्रो. जौहरी को जानती हैं, तब से वो उन्हें लड़कियों के फिगर पर कमेंट करते और उन्हें टच करते देखते आ रही हैं. उन पर क्लास में पढ़ाते समय भद्दी बातें कहने का आरोप है.

प्रो. जौहरी के खिलाफ प्रदर्शन करते स्टूडेंट
प्रो. जौहरी को लेकर स्टूडेंट्स की क्या मांगें हैं
अपुष्ट रिपोर्ट्स के मुताबिक प्रो. जौहरी के पास JNU में पांच बड़े पद हैं. वो दो एडमिनिस्ट्रेटिव पदों से रिज़ाइन कर चुके हैं. FIR दर्ज न होने तक स्टूडेंट्स उनकी गिरफ्तारी की मांग कर रहे थे. अब छात्राओं की मांग है कि प्रो. जौहरी को सस्पेंड किया जाए और उन्हें पढ़ाई संबंधी सभी कामों से हटा दिया जाए, ताकि छात्राओं का उनसे कभी वास्ता न पड़े.

JNU कैंपस में प्रो. जौहरी का तगड़ा विरोध हो रहा है
JNU के प्रोफेसर्स भी प्रो. जौहरी के विरोध में हैं
छात्राओं के सामने आने के बाद JNU के 55 प्रोफेसर्स ने DCP को चिट्ठी लिखकर प्रो. जौहरी के खिलाफ सख्त एक्शन लेने की मांग की है. इसके अलावा ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक वुमन्स असोसिएशन (AIDWA) और भारतीय महिला सांस्कृतिक संगठन ने भी यही मांगें दोहराई हैं.
JNU का मामला है, पॉलिटिक्स तो होगी ही
पहले इंटरनल पॉलिटिक्स की बात करते हैं, जो इस मामले में बेहद पेचीदा है. JNU के विवादों में आमतौर छात्र संगठन ABVP और AISA आमने-सामने खड़े नज़र आते हैं. JNU स्टूडेंट यूनियन के मुख्य पदों पर AISA का कब्ज़ा है. प्रो. जौहरी के विवाद को लेकर दी लल्लनटॉप ने कई लोगों से बात की, जिन्होंने नाम ज़ाहिर न करने की शर्त पर अलग-अलग बातें बताईं.

प्रो. जौहरी के विरोध के मामले में ABVP को लेकर ऐसे स्क्रीनशॉट भी सामने आ रहे हैं
कुछ लोगों के मुताबिक दक्षिणपंथ की तरफ झुकाव रखने वाले प्रो. जौहरी के खिलाफ शिकायत करने वाली अधिकतर लड़कियां ABVP से ताल्लुक रखती हैं. इस वजह से ABVP इनका सपोर्ट कर रहा है, क्योंकि ये राजनीति से ज़्यादा लड़कियों की सुरक्षा का मामला है. यही वजह है कि AISA भी इनके सपोर्ट में है. वहीं कुछ और लोग कहते हैं कि ABVP के स्टूडेंट प्रो. जौहरी को बचाने की कोशिश कर रहे हैं, जिसकी वजह से स्टूडेंट यूनियन को इस मामले में दखल देना पड़ा. आरोप है कि ABVP सदस्य आंतरिक जांच का वादा करते हुए छात्राओं से FIR वापस लेने के लिए मना रहे हैं. दी लल्लनटॉप इनमें से किसी दावे की पुष्टि नहीं करता है.

ट्विटर पर इस फोटो के ज़रिए बताया जा रहा है कि ICC में यौन उत्पीड़न को लेकर जो नियम दर्ज हैं, प्रो. जौहरी उन 9 में से 8 के आरोपी हैं
कैंपस के बाहर तो कांग्रेस जैसी पार्टी भी इस मुद्दे पर ट्वीट कर रही है. देखिए.
प्रो. जौहरी को किसका सपोर्ट मिल रहा हैJNU छात्रसंघ की अध्यक्ष और AISA एक्टिविस्ट गीता ने प्रो. जौहरी की कुछ तस्वीरें ट्वीट की हैं, जिनमें जौहरी मनोज तिवारी, धर्मेंद्र प्रधान और जनरल बख्शी (रिटा.) के साथ नज़र आ रहे हैं. गीता और JNU के तमाम स्टूडेंट्स का ये मानना है कि जौहरी वीसी जगदेश कुमार के करीबी हैं, दक्षिणपंथी सोच के हैं और ऐसे ही लोगों के करीब हैं, इस वजह से पुलिस और JNU प्रशासन उन पर सख्ती नहीं कर रहा है.
गिरफ्तारी के बाद प्रो. जौहरी के वकील क्या कह रहे हैं
कोर्ट से न्यायिक हिरासत में भेजे जाने के बाद जौहरी के वकील आरके वाधवा ने कहा, 'ये राजनीतिक षड़यंत्र है, जिसमें जौहरी को बलि का बकरा बनाया गया. उन्होंने अटेंडेंस के लिए स्टूडेंट्स को डांटा था और उनसे क्लास जॉइन करने के लिए कहा था. छात्रों ने उनके खिलाफ गलत शिकायत करने का षड़यंत्र किया है.' खुद प्रो. जौहरी की तरफ से कहा गया कि उन्हें राजनीति का शिकार बनाया गया है.

प्रो. जौहरी के वकील एके वाधवा
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