जीसस तमिल हिंदू थे. जिनका नाम था केशव कृष्णा. उनकी मातृभाषा तमिल थी. स्किन कलर भी सांवला था उनका. जब वो 12 साल के थे तो उनका जनेऊ संस्कार हो गया था. ब्राह्मण रीति रिवाज के हिसाब से. उनकी फैमिली का पहनने ओढ़ने का तरीका भी खालिस हिंदुस्तानी था. इसाई कोई अलग धर्म नहीं है. जीसस ने हिंदुत्व से निकाल कर ये पंथ चलाया. किताब में लिखा है कि जीसस को सूली चढ़ाने के बाद बचा लिया गया था. आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां देकर उनको जिंदगी दी गई. जिंदगी का आखिरी पार्ट उन्होंने हिमालय पर्वत पर बिताया. वहां कश्मीर में रह कर उन्होंने भगवान शिव की पूजा की. शिव जी ने उनको दर्शन भी दिया था. 49 साल की उम्र में शरीर छोड़ने का संकल्प किया और समाधि में चले गए. अरब हिंदुओं की जमीन है और यहूदी हिंदू थे. अरबी भाषा में संस्कृत और तमिल के शब्द हैं. फिलिस्तीन की अरबी भाषा तमिल का एक वर्जन है.फेसबुक पर एक पेज है विश्वगुरु जंबूद्वीप. उसमें भी ऐसे ही दावे किए गए हैं. लेकिन पेज चलाने वालों को शायद पता नहीं है कि इस क्रांति की शुरुआत सन 46 से हो चुकी है. फिर भी उनके कुछ पोस्ट देख लो. [facebook_embedded_post href="https://www.facebook.com/vishwaguru.jamboodwip/posts/918361448260086"] [facebook_embedded_post href="https://www.facebook.com/vishwaguru.jamboodwip/posts/749511591811740"] [facebook_embedded_post href="https://www.facebook.com/vishwaguru.jamboodwip/posts/754677244628508"]
जीसस क्राइस्ट का असली नाम था केशव कृष्णा, करते थे शिव की पूजा
RSS के फाउंडर्स में से किसी विद्वान ने ये किताब लिखी थी 1946 में. जिसमें ये खुलासा है. फिर से आ रही है मार्केट में.

वीर सावरकर यानी विनायक दामोदर सावरकर के बड़े भैया गणेश दामोदर सावरकर ने अपनी किताब में एक खुलासा किया था. कि जीसस क्राइस्ट जन्म से एक तमिल हिंदू थे. ये किताब लिखी थी RSS के फाउंडर्स में से किसी एक ने. सन 1946 में. ये किताब मुंबई की दक्षिणपंथी विचारधारा वाले ट्रस्ट की तरफ से फिर जारी की जा रही है. 'क्राइस्ट परिचय' नाम की इस किताब में लिखा है कि जीसस एक विश्वकर्मा ब्राह्मण थे. और जो इसाई धर्म है ये हिंदुत्व की ही एक ब्रांच है. ये किताब मराठी भाषा में छप कर 26 फरवरी को मार्केट में आ रही है. रिलीज करेगा स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक. उसमें जो खुलासे किए गए हैं वो ये हैं.