जामिया मिल्लिया इस्लामिया. यहां इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के स्टूडेंट्स को पढ़ाने वाले एक असिस्टेंट प्रोफेसर हैं अबरार अहमद. इन्हें यूनिवर्सिटी ने सस्पेंड कर दिया है. वजह उनका एक ट्वीट है. अबरार ने 25 मार्च की सुबह एक पोस्ट किया था, जिसमें नागरिकता संशोधन एक्ट (CAA) का सपोर्ट करने वाले 15 गैर-मुस्लिम स्टूडेंट को फेल करने की बात कही थी.
गैर-मुस्लिम स्टूडेंट्स को फेल करने का कटाक्ष भारी पड़ा, जामिया ने प्रोफेसर को सस्पेंड कर दिया
सारी बात CAA को लेकर हुए प्रोटेस्ट से शुरू हुई थी.

उन्होंने लिखा था,
'मेरे सारे स्टूडेंट पास हैं, केवल 15 गैर-मुस्लिम स्टूडेंट को छोड़कर. उन्हें दोबारा परीक्षा देनी होगी. अगर आप CAA प्रोटेस्ट का विरोध करते हो, तो मेरे पास सपोर्ट में 55 स्टूडेंट हैं. अगर प्रोटेस्ट खत्म नहीं हुए, तो बहुमत आपको सबक सिखाएगा. कोरोना की वजह से आपके प्रोटेस्ट के सिंबल मिटा दिए जाएंगे. मुझे हैरानी होती है कि वो मुझसे नफरत क्यों करते हैं?'

डॉ अबरार का वो ट्वीट जिसके कारण उन्हें सस्पेंड किया गया.
अबरार के इस ट्वीट का सोशल मीडिया पर जमकर विरोध हुआ. उसके बाद जामिया ने उन्हें सस्पेंड करने का फैसला किया. 26 मार्च को ट्वीट करके जानकारी दी. कहा,
'जामिया के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अबरार अहमद ने 15 गैर-मुस्लिम स्टूडेंट को फेल करने को लेकर ट्वीट किया था. CCS कंडक्ट रूल्स के तहत ये सांप्रदायिक असामंजस्य को उकसाने वाला गंभीर दुराचार है. यूनिवर्सिटी उन्हें सस्पेंड करती है, जांच होगी.'
इस ट्वीट में यूनिवर्सिटी ने मानव संसाधान विकास मंत्रालय और HRD मिनिस्टर डॉ. रमेश पोखरियााल निशंक को भी टैग किया.
ट्वीट पर अबरार की सफाई
गैर-मुस्लिम स्टूडेंट्स को फेल करने वाले ट्वीट पर जब बवाल हुआ, तो डॉ. अबरार ने कहा कि उन्होंने व्यंग्य किया था, जिसे गलत तरीके से लिया गया. एक दूसरा ट्वीट करके कहा,
'एग्जामिनेशन डिस्क्रिमिनेशन को लेकर जो मैंने ट्वीट किया था, वो केवल एक पैरोडी था. CAA और CAA प्रोटेस्ट को एक्सप्लेन करने के लिए. ये दिखाने के लिए कि सरकार कैसे एक समुदाय के साथ भेदभाव कर रही है. यहां तो उस तरह की कोई परीक्षा हुई ही नहीं है और ऐसे नतीजे भी नहीं आए. खुद को संभालो. ये केवल एक मुद्दे को एक्सप्लेन करने के लिए किया गया था. मैं कभी भेदभाव नहीं करता.'

पहले ट्वीट पर दी गई सफाई.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, अबरार ने कहा,
'वो केवल एक व्यंग्य था. मैं ये कहना चाहता था कि सरकार CAA के नाम पर अल्पसंख्यकों को टारगेट कर रही है. जो उसके खिलाफ प्रोटेस्ट कर रहे हैं, उन्हें निशाना बनाया जा रहा है. ये गलत है. उसी तरह गलत है, जिस तरह अगर मैं अपनी क्लास के गैर-मुस्लिम स्टूडेंट्स को फेल कर दूं, अगर वो इसके खिलाफ प्रोटेस्ट करें तो. इस सेशन में तो अभी तक परीक्षा हुई भी नहीं है. पिछले सेमेस्टर में मैंने एम.टेक की दो क्लास ली थीं, सारे स्टूडेंट उसमें पास हुए थे. खैर, यूनिवर्सिटी जांच कर रही है, सब साफ हो जाएगा.'
वहीं जामिया के अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से जुड़े स्टूडेंट अबरार का विरोध कर रहे हैं. कह रहे हैं कि टीचिंग जैसे पवित्र प्रोफेशन को शर्मिंदा किया गया है.
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