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इजरायल ने दक्षिणी गाजा से सेना हटाई, संघर्ष विराम के लिए प्रतिनिधि भेजने की बात भी कही

Khan Younis वही क्षेत्र है, जहां Israel ने सबसे ज़्यादा हमला किया है. अब IDF ने Gaza के इस हिस्से से अपने सैनिकों को वापस बुलाने का एलान किया है.

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इज़रायल ने दक्षिणी ग़ाज़ा से सेना बुलाई. (फ़ोटो - द गार्जियन)

इज़रायल (Israel) ने दक्षिण ग़ाज़ा से अपने सभी ज़मीनी सैनिकों को वापस बुला लिया है. सेना (IDF) की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया है कि उन्होंने आतंकवादी समूह हमास (Hamas) के ख़िलाफ़ अपने ज़मीनी हमले में एक महत्वपूर्ण चरण पूरा कर लिया है. ये वही क्षेत्र है, जिस पर इज़रायल ने सबसे ज़्यादा हमला किया है. इससे युद्ध के भविष्य की दिशा क्या होगी, इस पर भी सवाल उठ रहे हैं. क्योंकि हमास और इज़रायल के प्रतिनिधि मंडल संघर्ष विराम (israel hamas peace deal) की बातचीत के नए दौर के लिए मिस्र की यात्रा कर रहे हैं.

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इज़रायली रक्षा अधिकारियों ने 7 अप्रैल को कहा कि दो ब्रिगेड ग़ाज़ा पट्टी के उत्तरी हिस्से में तैनात रहेंगी. जो ग़ाज़ा में फिलिस्तीनी क्षेत्र को विभाजित करता है. उनका कहना है कि इससे IDF के कार्रवाई की स्वतंत्रता और खुफिया तरीक़े से काम करने की क्षमता पर ध्यान दिया जा सकेगा.

द गार्जियन में छपी एक रिर्पोट के मुताबिक़, माना जा रहा है कि ये रणनीति में किसी ज़रूरी बदलाव के बजाय, दक्षिणी शहर खान यूनिस में लगभग 4 महीने की गहरी लड़ाई के बाद सैनिकों को राहत देने के लिए किया गया है. एक सैन्य अधिकारी ने बातचीत में बताया कि उन्हें अब खान यूनिस में रहने की कोई ज़रूरत नहीं है. हमास के खान यूनिस ब्रिगेड को पूरी तरह से नष्ट कर दिया गया है और उसके ज़्यादातर सदस्यों को ख़त्म कर दिया गया है. अफसर ने कहा, 

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“हमने वहां सब कुछ किया, जो हम कर सकते थे. शहर से विस्थापित फ़िलीस्तीनी अब अपने घरों की तरफ़ लौट सकते हैं.”

सेना वापसी की घोषणा उस समय हुई है, जब मिस्र की राजधानी काहिरा में मध्यस्थता की बातचीत चल रही है. इस बातचीत का उद्देश्य संघर्ष विराम और बंधकों को छोड़े जाने पर समझौता करना है. सेना की वापसी को सकारात्मक संकेत के रूप में भी देखा जा रहा है. क्योंकि बहुत लड़खड़ाहट के बावजूद नयी वार्ता का आख़िरकार कोई निष्कर्ष निकल सकता है. इज़रायल ने 7 अप्रैल को पुष्टि की है कि वो नई बातचीत में भाग लेने के लिए प्रतिनिधि भेजेगा. फिलिस्तीनी आतंकवादी समूह हमास ने इसकी घोषणा पहले ही कर दी थी कि वो भी बातचीत के लिए प्रतिनिधि भेजेगा.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़, इज़रायल के प्रतिनिधि मंडल में मोसाद और शिन बेट के प्रमुख शामिल हो सकते हैं. साथ ही क़तर के विदेश मंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान अल थानी के साथ CIA के निदेशक बिल बर्न्स के भी शामिल होने की उम्मीद है.

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बता दें, नवंबर में एक हफ़्ते के युद्धविराम के दौरान इज़रायली जेलों में बंद 240 फ़िलिस्तीन महिलाओं और बच्चों के बदले 100 इज़रायली बंधकों को छोड़ा गया था. उसके बाद से 6 महीनों की लड़ाई में किसी दूसरे लंबे दौर का संघर्ष विराम नहीं हो पाया है. नए दौर के वार्ता से पहले हमास ने 14 मार्च को अपनी मांगों को दोहराया था. इन मांगों में स्थायी युद्धविराम, ग़ाज़ा से इज़रायली सैनिकों की वापसी, विस्थापितों की उनके घरों में वापसी और फिलिस्तीनी कैदियों की अदला-बदली समझौते शामिल हैं.

दूसरी तरफ़, इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू अपनी सेना के आचरण और निराशाजनक मानवीय स्थिति के कारण बढ़ते अंतरराष्ट्रीय दबाव का सामना कर रहे हैं. उन्होंने 7 अप्रैल को कहा कि इज़रायल, हमास के किसी ‘चरम’ मांग को नहीं मानेगा. बाक़ी बचे बंधकों को रिलीज़ किए जाने से पहले युद्धविराम के लिए नहीं सहमत नहीं होगा.

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इजरायल ने 1 अप्रैल को सीरिया की राजधानी दमिश्क में ईरानी दूतावास के नजदीक एयस्ट्राइक किया था. दमिश्क में हुआ ये हमला इतना जोरदार था कि एक इमारत पूरी तरह से नष्ट हो गई. इसके बाद ईरान ने इजरायल से बदला लेने की धमकी दी थी. इस पर नेतन्याहू ने कहा कि इजराइल किसी भी हमले के लिए तैयार है. उन्होंने कहा कि जो कोई भी इज़रायल को नुकसान पहुंचाएगा या पहुंचाने की कोशिश करेगा, उसे करारा जवाब दिया जाएगा.

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