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मोहन भागवत के सामने औरतों के लिए गंदी बात बोली, कौन है इकबाल दुर्रानी?

उर्दू भाषा में सामवेद लॉन्च हुआ, उसी समय दुर्रानी ने ये बात बोली, Video वायरल

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मोहन भागवत और इकबाल दुर्रानी मंच पर एक साथ (फोटो सोर्स- PTI)

एक प्राचीन धार्मिक ग्रंथ का पहली बार उर्दू में अनुवाद होता है. उसकी लॉन्चिंग करते हैं RSS प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat). और अनुवादक उस ग्रंथ की तारीफ़ में महिलाओं से जुड़ी एक बेहूदा मिसाल देते हैं. ये अनुवादक हैं फिल्म डायरेक्टर इकबाल दुर्रानी (Iqbal Durrani). उन्होंने 4 वेदों में से एक सामवेद का हिंदी और उर्दू में अनुवाद किया है. बीते शुक्रवार 17 मार्च को सामवेद का ये उर्दू संस्करण लॉन्च हुआ, RSS प्रमुख मोहन भागवत के हाथों. कार्यक्रम दिल्ली के लाल किला परिसर में था. कार्यक्रम में इकबाल दुर्रानी ने कहा कि सामवेद को शिक्षण संस्थानों की प्रार्थना में शामिल करना चाहिए. मदरसों में सामवेद को पढ़ाया जाना चाहिए.

इसके बाद उन्होंने सामवेद का महत्व बताते हुए दुनिया भर की महिलाओं से जोड़कर एक ओछी मिसाल दे दी. पत्रकार अवधेश कुमार ने इसका वीडियो अपने ट्विटर अकाउंट पर शेयर किया है.

इकबाल दुर्रानी कह रहे हैं,

“सामवेद एक मूल पुस्तक है. बनावटी नहीं है. मूल क्या होता है? दुनिया भर की औरतों के बदन के रंग अलग-अलग हैं. लेकिन अगर उनके स्तन को निचोड़ें, सबके दूध का रंग एक ही होता है. यही सनातन है. यही शाश्वत सत्य है. बड़े रंगबाज़, बड़े रंगसाज़ हैं आप. तो जरा दूध के रंग को तो बदल दो. नहीं बदल सकते. साड़ियों का रंग अलग है, लाल साड़ी, काली साड़ी. लेकिन जब मरते हैं तो अफ्रीका से, अमेरिका से लेकर हिंदुस्तान तक सारे लोगों के कफ़न का रंग एक ही होता है.”

देखें वीडियो-

फ़िल्में बनाईं, चुनाव भी लड़े दुर्रानी

इस आपत्तिजनक बयान के बाद चर्चा में आए इकबाल दुर्रानी सिनेमा से ताल्लुक रखते हैं. इकबाल दुर्रानी की पैदाइश बिहार के बांका जिले के बलुआतरी गांव की है. इकबाल के पिता सरकारी टीचर थे. इकबाल का परिवार झारखंड के गोड्डा रहने चला आया था. इकबाल की शुरुआती पढ़ाई यहीं से हुई. इसके बाद इकबाल ने झारखंड के चाईबासा स्थित टाटा कॉलेज से बैचलर डिग्री ली. टाटा कॉलेज में छात्रसंघ के चुनाव में इकबाल सेक्रेटरी बने थे. ऐसा करने वाले वो पहले मुस्लिम छात्र थे.

पढ़ाई के बाद इकबाल दुर्रानी फिल्मों में करियर बनाने मुंबई चले गए. दुर्रानी ने कई मशहूर बॉलीवुड फिल्में लिखी भी हैं और कुछ फ़िल्में डायरेक्ट भी की हैं. 'फरेब', 'बेताज बादशाह’,'मेंहदी’, 'खुद्दार’, 'फूल और कांटे’, 'सौगंध’, 'कातिल’ और 'मजबूर’ जैसी इक़बाल की बनाई कई फिल्में बॉक्स ऑफिस पर बेहद सफल रहीं हैं. अपनी ही कई फिल्मों में उन्होंने विलेन का किरदार भी निभाया है. इकबाल दुर्रानी ने फिल्मों के अलावा राजनीति में भी हाथ आजमाए हैं. उन्होंने साल 2009 में झारखंड की गोड्डा विधानसभा से बसपा के टिकट पर चुनाव भी लड़ा था. लेकिन वो चुनाव हार गए थे.

वीडियो: RSS प्रमुख मोहन भागवत पंडितों और जाति पर क्या बोले जो बवाल शुरू?