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रूस में नौकरी करने गए कई भारतीय फंसे, जबरन युद्ध में उतारने पर भारत सरकार ने क्या बताया?

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, एक एजेंट ने बताया है कि नवंबर 2023 से लगभग 18 भारतीय नागरिक रूस-यूक्रेन सीमा पर फंसे हुए हैं. ये भी कहा जा रहा है कि युद्ध के दौरान एक व्यक्ति की मौत भी हो गई है.

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रूस और यूक्रेन के बीच पिछले 2 साल से जंग जारी है. (रूसी सेना की एक तस्वीर: AFP)

भारत सरकार ने शुक्रवार, 23 फरवरी को रूस में भारतीयों को सावधानी बरतने और वहां जारी संघर्ष से दूर रहने की सलाह दी है. विदेश मंत्रालय की ओर से ये बयान उन खबरों पर आया है, जिनमें कुछ भारतीयों को यूक्रेन के खिलाफ रूस के युद्ध में लड़ने के लिए मजबूर करने का दावा किया गया है. इस पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल की ओर से जवाब दिया गया है.

इंडिया टुडे की पॉलिमी कुंडू की रिपोर्ट के मुताबिक रणधीर जायसवाल ने कहा,

"हमें जानकारी है कि कुछ भारतीय नागरिकों ने रूसी सेना में सहायक की नौकरियों के लिए साइन अप किया है. भारतीय दूतावास ने उन्हें जल्द छोड़ने (नौकरी से) के लिए संबंधित रूसी अधिकारियों के साथ इस मामले को उठाया है. हम सभी भारतीय नागरिकों से अपील करते हैं कि वे उचित सावधानी बरतें और इस संघर्ष से दूर रहें."

भारतीयों को जबरन जंग में उतारने की खबर

बीती 20 फरवरी को द हिंदू की एक रिपोर्ट छपी थी. इसमें बताया गया था कि कम से कम तीन भारतीय नागरिकों को रूसी सैनिकों के साथ यूक्रेन के खिलाफ लड़ने के लिए मजबूर किया गया. एक पीड़ित के हवाले से बताया गया था कि उन्हें एक एजेंट ने धोखा दिया. उन्हें 'आर्मी सिक्योरिटी हेल्पर' के तौर पर काम करने के लिए रूस भेजा गया था, लेकिन उन्हें जंग में उतार दिया गया. रिपोर्ट में तीन लोगों की एक ब्लर की हुई तस्वीर भी थी.

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ये मामला तब सामने आया, जब एक पीड़ित के परिवार, जो हैदराबाद से हैं, ने AIMIM प्रमुख और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी से संपर्क किया. रिपोर्ट में बताया गया है कि ओवैसी ने 25 जनवरी को विदेश मंत्री एस. जयशंकर और मॉस्को में भारतीय दूतावास को खत लिखकर उन भारतीयों की वापसी के लिए सरकार से हस्तक्षेप की मांग की थी. ओवैसी ने 21 फरवरी को भी ट्वीट किया,

"सर @DrSJaishankar, कृपया इन लोगों को घर वापस लाएं. इनकी जान खतरे में है और इनके परिवार परेशान हैं."

रिपोर्ट के मुताबिक, एक एजेंट ने बताया है कि नवंबर 2023 से लगभग 18 भारतीय नागरिक रूस-यूक्रेन सीमा पर फंसे हुए हैं. यह भी कहा जा रहा है कि युद्ध के दौरान एक व्यक्ति की मौत भी हो गई है. रूस में फंसे पीड़ित उत्तर प्रदेश, गुजरात, पंजाब और जम्मू-कश्मीर से भी बताए जा रहे हैं. 

नौकरी के लिए रूस गए एक पीड़ित की आपबीती

पीड़ितों में उत्तर प्रदेश के एक युवक ने द हिंदू को बताया,

"हम नवंबर 2023 में रूस पहुंचे, हमें कॉन्ट्रैक्ट पर साइन करने के लिए कहा गया. कॉन्ट्रैक्ट में कहा गया था कि हमें सेना सुरक्षा सहायकों (army security helpers) के तौर पर काम पर रखा जा रहा है. बताया गया था कि हमें युद्ध के मैदान में नहीं भेजा जाएगा और ₹1.95 लाख सैलरी और हर महीने ₹50,000 अतिरिक्त बोनस का वादा किया गया था. दो महीने के ₹50,000 बोनस के अलावा, मुझे कोई पैसा नहीं मिला है."

युवक ने बताया कि वो एजेंट की मदद से रूस आया था. उसने कहा, 

"12 नवंबर को हमें दो भारतीय एजेंट ने रिसीव किया था. 13 नवंबर को हमें एक कैंप में भर्ती किया गया और फिर मॉस्को से ढाई घंटे की दूरी पर स्थित एक सुनसान जगह पर ले जाया गया. हमने भारतीय एजेंट से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने हमें आश्वस्त किया कि हमें हेल्पर्स के तौर पर ही रखा जाएगा. लेकिन हमें टेंट में रखा गया और हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी जाने लगी. फिर 4 जनवरी को हमें जंग लड़ने के लिए भेज दिया गया." 

युवक ने आगे बताया,

"मुझे जंग लड़ने के लिए मजबूर किया गया था. लेकिन मुझे जैसे ही मौका मिला, मैं वहां भागा. लेकिन मैं पकड़ा गया और मुझे बंदूक की नोंक पर धमकाया गया. उन्होंने मुझसे एक इमारत से दूसरी इमारत तक कुछ सामान पहुंचाने के लिए कहा. कमांडर ने हमें कहा कि हम एक-दूसरे से पांच मीटर की दूरी पर रहें ताकि हम दुश्मन की गोलियों का आसान शिकार ना बने. छोटी सी दूरी तय करने में ही हमें करीब 7-8 गोलियों का सामना करना पड़ा. हमारे साथ जा रहा एक लोकल भी मारा गया. आखिरकार 22 जनवरी को मैं भागने में कामयाब रहा और अपना इलाज कराने के लिए एक अस्पताल में भर्ती हुआ." 

युवक ने कहा कि कई दिनों तक वो बिना फोन के रहा. युद्ध क्षेत्र से भागने के बाद उसने किसी तरह अपने घर वालों से संपर्क किया. इस युवक का कहना है कि रूस में भारतीय दूतावास से उसने कई बार अपील की, लेकिन कोई मदद नहीं मिली.

‘पिछले साल रूस ने 100 भारतीयों को रिक्रूट किया’

21 फरवरी को द हिंदू एक और रिपोर्ट लेकर आई, जिसमें एक रूसी अधिकारी के हवाले से बताया गया है कि पिछले साल लगभग 100 भारतीयों को रूसी सेना के हेल्पर के तौर पर रिक्रूट किया गया. रूसी रक्षा मंत्रालय के लिए काम करने वाले एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर ये जानकारी दी है. अधिकारी ने कहा कि भर्ती किए गए लोगों से कॉन्ट्रैक्ट साइन कराने से पहले नौकरी से जुड़ी रिस्क के बारे में जानकारी दी गई थी.

रिपोर्ट के मुताबिक कॉन्ट्रैक्ट कम से कम एक साल के लिए वैध है और छह महीने की सेवा से पहले कोई छुट्टी या बाहर निकलने का आदेश नहीं देता है. वर्कर्स को हर महीने ₹1.95 लाख सैलरी और एडिशनल बेनिफिट के तौर पर ₹50,000 की पेशकश की गई थी. वहीं जिन भारतीयों को रूस में काम पर रखा गया है, उनकी असल संख्या और अधिक हो सकती है. रूसी अधिकारी ने रिपोर्ट में केवल मॉस्को केंद्र के आंकड़े दिए हैं, जबकि रूस में और भी भर्ती केंद्र भी हैं.

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