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'रूस ने ब्लैकमेल करके सेना में डाला', जबरदस्ती लड़ाई में भेजे गए भारतीय युवक ने क्या बताया?

युवक ने बताया कि उसे सिर्फ 15 दिन की ट्रेनिंग दी गई और फिर सीधे जंग वाले इलाके, यानी फ्रंट लाइन पर भेज दिया गया. जैसे ही वो फ्रंट लाइन पर पहुंचा, उसने सबसे पहले यूक्रेनी सेना के सामने सरेंडर कर दिया. इसके बाद यूक्रेनी सेना ने साहिल की वीडियोज़ उसकी मां को भेजे.

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यूक्रेनी सेना ने भारतीय युवक के वीडियो शेयर किए हैं. (Photo: ITG)

गुजरात का एक यंग स्टूडेंट- महज 23 साल का, जो पढ़ाई के लिए स्टूडेंट वीजा पर रूस गया था, उसे रूसी सेना ने जबरदस्ती भर्ती कर लिया था. अक्टूबर 2025 में उसका यूक्रेनी सेना के सामने सरेंडर करने का एक वीडियो सामने आया था. अब दावा किया जा रहा है कि उसके परिवार को और भी वीडियोज मिले हैं, जिनमें वह लोगों से अपील कर रहा है कि किसी भी हालत में रूसी सेना में शामिल न हों.

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छात्र का नाम साहिल मोहम्मद हुसैन मजोठी है. वीडियो के ज़रिए उसने बताया कि उसे जबरदस्ती रूसी आर्मी ने फ्रंटलाइन पर भेज दिया है. जानकारी के मुताबिक साहिल जनवरी 2024 में ITMO यूनिवर्सिटी से रशियन भाषा से जुड़ा एक कोर्स करने के लिए सेंट पीटर्सबर्ग गया था. वह रूस में पढ़ाई के साथ-साथ खर्चे के लिए एक कूरियर कंपनी में पार्ट टाइम जॉब कर रहा था. इसी दौरान वह कुछ ऐसे लोगों के संपर्क में आया, जो बाद में उसके लिए मुसीबत बन गए. साहिल का कहना है कि उसने कोई गलत काम नहीं किया, लेकिन फिर भी रशिया की पुलिस ने उसे एक ड्रग्स केस में फंसा दिया. फिर उसे ब्लैकमेल किया गया और कहा गया कि अगर वो रूसी सेना जॉइन कर लेगा, तो उसके ऊपर लगा केस हटा दिया जाएगा.

यूक्रेनी सेना ने शेयर किया वीडियो

अक्टूबर 2025 में यूक्रेनी सेना ने उसके सरेंडर करने का एक वीडियो शेयर किया था. इसके बाद यूक्रेन की आर्मी ने साहिल के कुछ और भी वीडियोज़ पब्लिक किए हैं. इनमें से एक वीडियो में साहिल ने बताया कि झूठे केस से छुटकारा पाने के लिए उसने मजबूरी में रूसी सेना में जाने की हामी भर दी. उसे सिर्फ 15 दिन की ट्रेनिंग दी गई और फिर सीधे जंग वाले इलाके, यानी फ्रंट लाइन पर भेज दिया गया. साहिल का कहना है कि जैसे ही वो फ्रंट लाइन पर पहुंचा, उसने सबसे पहले यूक्रेनी सेना के सामने सरेंडर कर दिया. इसके बाद यूक्रेनी सेना ने साहिल की वीडियोज़ उसकी मां को भेजे और कहा कि भारत में लोगों को इस बारे में जागरूक किया जाए कि किस तरह इंडिया से रशिया पढ़ने गए हुए स्टूडेंट्स को छल से सेना में भर्ती किया जा रहा है. उनके साथ ज़बरदस्ती की जा रही है. एक वीडियो में साहिल ने भारत सरकार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर से मदद की गुहार लगाई है. 

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पुतिन के दौरे का जिक्र

इन वीडियो मैसेज में ये साफ नहीं बताया गया है कि ये वीडियो किस तारीख को रिकॉर्ड किए गए थे, लेकिन इनमें से एक वीडियो नया लगता है, क्योंकि उसमें साहिल रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के 4 और 5 दिसंबर को भारत दौरे का जिक्र करता सुनाई देता है. एक वीडियो में साहिल कहता है कि वो इस वक्त यूक्रेन की मिलिट्री जेल में है. उसने बताया कि जब वो रूस की जेल में फंसा हुआ था, तब उसने जंग का कॉन्ट्रैक्ट साइन किया था. उसने यह कॉन्ट्रैक्ट सिर्फ इसलिए साइन किया, ताकि वो रूस की जेल से बाहर निकल सके. साहिल कहता है कि उसे अब पता चला है कि राष्ट्रपति पुतिन भारत आए थे और भारत सरकार से मिलने वाले थे. वह चाहता है कि भारत सरकार पुतिन से बात करे और उसे सुरक्षित घर वापस लाने में मदद करे. साहिल साफ कहता है कि वो हर हाल में बस अपने घर लौटना चाहता है.

साहिल वीडियो में अंग्रेजी में बात करता नजर आता है, जिसमें वह दोहराता है कि उसने कोई गलत काम नहीं किया था, लेकिन फिर भी उसे सात साल की जेल की सजा सुना दी गई. साहिल का कहना है कि रूस की पुलिस ने उसे गुमराह किया और जेल में रहते हुए उससे जंग का कॉन्ट्रैक्ट साइन करवा लिया. लेकिन रूस के लिए जंग लड़ने का फैसला उसकी ज़िंदगी की सबसे बड़ी गलती थी. इन वीडियो में “I Want to Live” नाम का एक लोगो भी दिखाई देता है. ये यूक्रेन सरकार से जुड़ा एक प्रोजेक्ट है, जिसे वहां के रक्षा मंत्रालय और मिलिट्री इंटेलिजेंस का समर्थन मिला हुआ है. इस प्रोजेक्ट का मकसद उन रूसी सैनिकों की मदद करना है, जो यूक्रेनी सेना के सामने खुद सरेंडर करना चाहते हैं.

मदद के लिए मां ने भी लगाई गुहार

इंडियन एक्सप्रेस ने साहिल की मां हसीनाबेन शम्सुद्दीन माजोठी से इस बारे में बात की, तो उन्होंने बताया कि उन्हें ये वीडियो आज ही यूक्रेन के अधिकारियों से मिले हैं. उन्होंने कहा कि यूक्रेन सरकार भी चाहती है कि साहिल को भारत को सौंप दिया जाए. और इसके लिए उन्होंने भारत सरकार से भी मदद मांगी है. हसीनाबेन ने बताया कि दो दिन पहले वह दिल्ली गई थीं और कई लोगों से मिली थीं, जिनमें कुछ नेता भी शामिल थे. उन्होंने विदेश मंत्री एस जयशंकर समेत कई जगह आवेदन दिए हैं. इससे पहले हसीनाबेन दिल्ली हाई कोर्ट भी जा चुकी हैं, जहां उन्होंने अपने बेटे को ढूंढकर वापस लाने की गुहार लगाई थी.

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इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने 3 नवंबर को विदेश मंत्रालय को आदेश दिया था कि यूक्रेन के अधिकारियों से संपर्क बनाने के लिए एक अधिकारी नियुक्त किया जाए. कोर्ट ने ये भी कहा था कि साहिल को भारत वापस लाने की कोशिश की जाए और साहिल और उसकी मां के बीच संपर्क स्थापित किया जाए, क्योंकि उसकी मां कैंसर की मरीज हैं. अब इस मामले में अगली सुनवाई 2 फरवरी को होनी है.

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