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US में एक साथ दो जगह नौकरी कर रहा था भारतीय मूल का इंजीनियर, पकड़ा गया तो पता है क्या हुआ

एक मेल ने मेहुल गोस्वामी का पूरा खेल खराब कर दिया.

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अमेरिका में भारतीय मूल के व्यक्ति ने एक ही समय पर सरकारी और निजी संस्थानों में किया काम.

39 साल के भारतीय मूल के मेहुल गोस्वामी न्यूयार्क में सरकारी विभाग में काम कर रहे थे. सरकारी पद पर काम करने के साथ-साथ ज्यादा पैसा कमाने की लालच में गोस्वामी ने एक निजी संस्था में भी काम करने लगे. लेकिन उनकी ये हरकत, अब उन पर भारी पड़ गई है.

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NDTV की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मेहुल गोस्वामी भारतीय मूल के हैं, जो न्यूयॉर्क के सरकारी IT डिपार्टमेंट में बतौर प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर काम कर रहे थे. गोस्वामी का भांडा उस वक्त फूटा जब न्यूयॉर्क स्टेट इंस्पेक्टर जनरल और साराटोगा काउंटी शेरिफ ऑफिस ने एक ज्वाइंट जांच की. इसमें मेहुल गोस्वामी दोषी पाया गया.

अधिकारियों का मेहुल पर शक तब हुआ, जब उन्हें एक अज्ञात ईमेल प्राप्त हुआ. इसमें बताया गया कि मेहुल ने एक निजी कंपनी के लिए उस समय काम किया, जब सरकारी ऑफिस में कार्यरत थे. इस मेल के बाद ही आरोपी पर जांच शुरू कर दी गई.

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अंग्रेज़ी में इसे मूनलाइटिंग कहते हैं. एक ही साथ दो जगहों पर काम करना. इसे अपराध माना जाता है. 15 अक्टूबर को ‘साराटोगा काउंटी शेरिफ ऑफिस’ ने मेहुल गोस्वामी को दो स्थानों पर काम करने के आरोप में गिरफ्तार किया. इस मामले में गोस्वामी को लगभग 15 साल की जेल होने की संभावना है.

मेहुल गोस्वामी कथित तौर पर न्यूयॉर्क के सरकारी विभाग में रिमोटली काम कर रहे थे. हालांकि, उसकी यह प्राइमरी जॉब थी. लेकिन इसके बाद भी उसने मार्च 2022 से माल्टा में एक सेमीकंडक्टर कंपनी ग्लोबल फाउंड्री के लिए काम करना शुरू कर दिया था.

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दैनिक भास्कर के रिपोर्ट के मुताबिक, मामले की जांच कर रहे इंस्पेक्टर लूसी लैंग ने कहा,

‘पब्लिक सेक्टर में काम करने वालो की ईमानदारी से काम करने की जिम्मेदारी होती है. गोस्वामी का व्यवहार जनता के विश्वास को तोड़ने जैसा है. दूसरी फुल-टाइम जॉब करना सरकारी संसाधनों और टैक्सपेयर्स के पैसे का दुरुपयोग है.  इसमें 15 साल तक की जेल की सजा भी हो सकती है.’

गोस्वामी को माल्टा टाउन कोर्ट में जज जेम्स ए. फौसी के सामने पेश किया गया. हालांकि, उन्हें बिना किसी जमानत के रिहा कर दिया गया. न्यूयॉर्क राज्य के नए कानून के मुताबिक, गोस्वामी पर लगाए गए आरोपों को जमानत के लिए उपयुक्त अपराध नहीं माना जाता. 

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