भारतीय मूल की हिमांशु भाटिया अमेरिका में रहती हैं. आईटी कंपनी 'रोज़ इंटरनेशनल' में सीईओ हैं. इनको अपने घर में काम करने वाली शीला निंगवाल को 1,35,000 डॉलर (लगभग 87 लख रुपये) चुकाने हैं. ये फैसला 11 अप्रैल को कैलिफ़ोर्निया की अदालत ने लेबर डिपार्टमेंट की इन्वेस्टीगेशन के बाद सुनाया है. हिमांशु पर इल्ज़ाम था कि उन्होंने शीला को तय की हुई सैलरी देने से मना कर दिया और बीमार होने पर उसे गैराज में सोने को मजबूर किया.

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लेबर लॉ डिपार्टमेंट ने पिछले साल अगस्त में उनके खिलाफ कंप्लेंट दर्ज की थी. फिर जांच शुरू हुई और उन्हें लेबर लॉ के नियमों का पालन न करने का दोषी पाया गया. उन पर आरोप है कि उन्होंने मिनिमम वेज रेट से कम तनख्वाह दी और किसी तरह का रिकॉर्ड भी मेन्टेन नहीं किया.
भाटिया ने अपने घर में काम करने वाली शीला को 400 डॉलर महीना तनख्वाह पर रखा था. साथ में खाना और रहना भी था. अधिकरियों ने जांच में पाया कि वो शीला को बहुत बुरे हालातों में रखती थीं. बीमार होने पर उन्हें गैराज में कारपेट पर सोने को मजबूर करती थीं, जहां उनके कुत्ते भी सोते थे.भाटिया ने शीला का पासपोर्ट भी अपने पास ज़ब्त कर रखा था. पिछले साल दिसम्बर में जब उन्होंने शीला को ऑनलाइन लेबर लॉ की साइट देखते हुए पकड़ा तो वो घबरा गईं. उन्होंने शीला को एक डॉक्यूमेंट साइन करने को कहा. जिसमें लिखा था कि वे उसे अच्छी सैलरी देती हैं और उनका आपस में कोई विवाद नहीं है. जब उसने साइन करने से मना कर दिया तो उसे काम से निकाल दिया.
लेबर डिपार्टमेंट के वकील जैनेट हेरॉल्ड ने बताया 'जजमेंट में साफ़ लिखा गया है कि ये फैसला कामगारों को शोषण से बचाने के लिए लिया गया है.'

देवयानी खोबरागड़े
इससे पहले 2013 में भी भारतीय मूल की सीनियर इंडियन डिप्लोमैट देवयानी खोबरागड़े ऐसे ही मामले में फंसी थीं. उन पर भी अपनी मेड संगीता रिचर्ड को कम तनख्वाह देने का इल्ज़ाम लगा था. US डिपार्टमेंट ऑफ़ स्टेट ने संगीता की कंप्लेंट पर इस मामले की जांच की थी. डिपार्टमेंट ने खोबरागड़े को वीज़ा फ्रॉड और पेमेंट को लेकर झूठे बयान देने का दोषी पाया था.
ये आर्टिकल दी लल्लनटॉप के साथ इंटर्नशिप कर रहे भूपेंद्र ने लिखा है.
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