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देश में बाघों के बारे में जो खबर आई है, वो दिल तोड़ देगी!

बाघों से जुड़े इस आंकड़े ने तीन साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है.

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बाघ की सांकेतिक फोटो. (फोटो: आज तक)

पिछले एक महीने में भारत के अंदर 24 बाघों की मौत (Tiger Deaths) हो गई है. इस साल दर्ज किए गए आंकड़े, पिछले तीन सालों की शुरुआत में हुई बाघों की मौतों के मुकाबले सबसे ज्यादा है. साल 2022 में इसी समय सीमा के अंदर 16 बाघों की मौत हुई थी. वहीं साल 2021 में 20 बाघों की मौत हुई थी. पिछले एक दशक से साल की शुरुआत में बाघों की मौतों के काफी ज्यादा मामले सामने आए हैं.  

कहां कितने बाघों की मौत हुई?

दुनियाभर के बाघों की 80 फीसदी आबादी भारत में पाई जाती है. बाघों के संरक्षण के लिए भारत में कई अभयारण्य बनाए गए हैं. पशु-विहार, पक्षी विहार या संरक्षित वन जहां जानवरों के शिकार पर रोक होती है, उन्हें अभयारण्य कहते हैं. भारत में कुल 53 बाघ संरक्षित क्षेत्र हैं. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, बाघों की मौत को लेकर दर्ज किए गए मामले 1 जनवरी से 8 फरवरी के बीच के हैं. 

इस साल बाघों की मौत को लेकर सबसे ज्यादा मामले मध्य प्रदेश से आए हैं. मध्य प्रदेश में 9 बाघों की मौत हुई है. मध्य प्रदेश के बाद महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा 6 मामले दर्ज किए गए हैं. फिर राजस्थान में तीन, कर्नाटक और उत्तराखंड में दो-दो, असम और केरल में एक-एक मामले सामने आए हैं. NTCA के आंकड़ों के अनुसार, साल 2012 से साल 2022 तक जनवरी महीने में 128 बाघों की मौत हुई है. जबकि इन्हीं दस सालों में मार्च में 123 और मई में 113 मामले सामने आए हैं.

क्या है वजह?

रिपोर्ट के मुताबिक, ज्यादातर मौतों का कारण प्राकृतिक है. जैसे कुछ बाघ इलाके के लिए लड़ाई के दौरान घायल होकर मर जाते हैं. कुछ बूढ़े होकर मर जाते हैं. कुछ बीमारियों के कारण. अधिकारियों ने बताया है कि इस बात की भी जांच हो रही है कि कहीं बाघों की मौत अवैध कारणों से नहीं हुई है. अवैध कारण जैसे शिकार करना, जहर देकर मार देना इत्यादि. उन्होंने आगे कहा कि देश में बाघों की आबादी तीन हजार से आस-पास है. अगर मौत के आंकड़ों को कुल आबादी के हिसाब से देखें, तो इतनी मौतें सामान्य हैं. लेकिन इतने कम समय में इतनी मौतें चौकाने वाली हैं. अधिकारियों ने बताया कि प्रोटोकॉल के मुताबिक जांच की जा रही है.

वीडियो: बाघों के इतने करीब पहुंच गईं रवीना टंडन कि जंगल अधिकारियों को मामले की जांच करनी पड़ी