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पाकिस्तान के साथ ऐसा क्या हुआ कि भारत को 2001 संसद हमले के बाद वाला कड़ा फैसला लेना पड़ा!

सबका ध्यान चीन पर है, इधर भारत-पाकिस्तान के बीच भी सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है.

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भारत सरकार ने पाक उच्चायोग में कर्मचारियों की संख्या 50 फीसदी घटाने का निर्णय लिया, भारत भी इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग में अपने कर्मचारियों की संख्या आधी करेगा. (File Photo: Reuters)
लद्दाख की गलवान घाटी में भारत का चीन से तनाव चल रहा है. हमारे 20 जवान शहीद हो चुके हैं. सबका ध्यान चीन पर है. लेकिन इस बीच पाकिस्तान से जुड़ी खबर आई है. भारत और पाकिस्तान के बीच डिप्लोमैटिक लेवल पर तनाव बढ़ गया है. भारत ने 23 जून, मंगलवार शाम  को पाकिस्तान हाई कमीशन के अफसर को तलब किया. उनसे कहा गया कि सात दिन में 50 प्रतिशत स्टाफ कम करें. भारत भी इस्लामाबाद स्थित अपने हाई कमीशन में आधे स्टाफ की कटौती करेगा.

2001 में लिया था ऐसा फैसला

'इंडियन एक्सप्रेस' की खबर के मुताबिक, पिछली बार दिसंबर, 2001 में भारत और पाकिस्तान ने इस तरह का फैसला लिया था. तब हाई कमीशन में दोनों देशों ने अपने स्टाफ में 50 प्रतिशत की कटौती की थी. ये फैसला संसद पर आतंकी हमले के बाद लिया गया था. तत्कालीन विदेश मंत्री जसवंत सिंह ने 48 घंटे के भीतर 50 प्रतिशत स्टाफ कम करने का आदेश दिया था.

अब क्यों लिया ये फैसला?

पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में 15 जून को भारतीय उच्चायोग यानी हाई कमीशन के दो कर्मचारियों को पाकिस्तान अथॉरिटी ने कुछ घंटों के लिए डिटेन कर लिया था. भारत की आपत्ति के बाद उन्हें छोड़ा गया था. इससे पहले भारत ने पिछले महीने नई दिल्ली में पाकिस्तान उच्चायोग के दो अधिकारियों को जासूसी के आरोप में निष्कासित कर दिया था. इसके बाद से ही दोनों देशों के बीच तनाव चल रहा है.

पाकिस्तान को दी जानकारी

स्टाफ में कटौती के फैसले से भारत ने पाकिस्तान को अवगत कराया गया है. पाकिस्तान उच्चायोग के एक्टिंग हाई कमिश्नर को बुलाकर भारत ने उन्हें इस बात की जानकारी दी है. कहा है कि भारत के बार-बार कहने के बावजूद पाकिस्तान का रवैया राजनयिक संबंधों के मापदंड पर खरा नहीं उतर रहा. पाकिस्तान उच्चायोग के अधिकारी जासूसी और आतंकी संगठनों के साथ तालमेल बनाए रखते हैं.

कितना बड़ा स्टाफ है?

द्विपक्षीय समझौते के मुताबिक, भारत और पाकिस्तान, दोनों उच्चायोग में 110-110 कर्मचारी हैं. 23 जून के फैसले के बाद अब एक हाई कमीशन में 55 कर्मचारी ही रह जाएंगे. भारत ने पाकिस्तान से कहा है कि पाकिस्तानी हाई कमीशन के स्टाफ का बर्ताव वियना कन्वेंशन की शर्तों को पूरा नहीं करता.

भारत ने की थी कार्रवाई

1 जून, 2020 को भारत सरकार ने पाकिस्तान हाई कमीशन के दो वीजा सहायकों को हिरासत में लिया था. दोनों पर जासूसी करने के आरोप लगे थे. दोनों कर्मचारियों को ‘पर्सोना नॉन ग्राटा’ घोषित कर दिया था, क्योंकि वे एक डिप्लोमेटिक मिशन के तहत भारत में थे और अपने स्टेटस के खिलाफ गतिविधियों में संलिप्त थे. इन्हें 24 घंटे के अंदर देश छोड़कर जाने के लिए कहा गया था. इसके साथ ही पाकिस्तान हाई कमीशन के एक ड्राइवर को भी भारत छोड़ने के आदेश दिए गए थे. ‘पर्सोना नॉन ग्राटा’ का मतलब है कोई ऐसा विदेशी शख्स, जिसके किसी देश में आने या रहने पर वहां की सरकार ने रोक लगा दी हो. इसके बाद ही दोनों देशों के बीच तनाव शुरू हुआ था. इसके बाद 15 जून को पाकिस्तान में उच्चायोग में काम करने वाले दो भारतीय कर्मचारियों के लापता होने की खबर आई. बाद में पता चला कि पाकिस्तान उन दोनों को झूठे आरोप में फंसाने की साज़िश कर रहा था. 22 जून को भारत लौटे इन कर्मचारियों ने अपने साथ हुए बर्बर व्यवहार की कहानी भारत सरकार को बताई. इसके बाद अब भारत ने यह फैसला किया है.
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