इस्लामाबाद की मशहूर लाल मस्जिद पर उस वक्त सन्नाटा छा गया, जब विवादों में रहने वाले मौलवी मौलाना अब्दुल अजीज गाजी ने श्रोताओं से पूछा कि “पाकिस्तान और हिंदुस्तान की जंग में कितने लोग पाकिस्तान का साथ देंगे?” इस सवाल पर श्रोताओं में से किसी का हाथ नहीं उठा. इस घटना का एक वीडियो भी सामने आया है (Islamabad Red Mosque).
'भारत से लड़ेंगे, तो कौन पाकिस्तान का साथ देगा?' इस्लामाबाद के मौलवी ने पूछा सवाल, किसी ने हाथ नहीं उठाया
India-Pakistan Tensions: मौलाना Abdul Aziz Ghazi ने श्रोताओं से पूछा कि “पाकिस्तान और हिंदुस्तान की जंग में कितने लोग पाकिस्तान का साथ देंगे?” इसके बाद जब किसी ने भी हाथ नहीं उठाया तो उन्होंने कहा कि इसका मतलब है कि काफी समझ पैदा हो चुकी हैं.

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, मौलाना अब्दुल अजीज गाजी ने कहा कि भारत-पाक की जंग धार्मिक जंग नहीं है. लाल मस्जिद में छात्रों और अनुयायियों को संबोधित करते हुए गाजी ने कहा,
मेरे पास आपसे एक सवाल है. मुझे बताएं, अगर पाकिस्तान भारत के खिलाफ लड़ता है, तो आप में से कितने लोग पाकिस्तान का समर्थन करेंगे और उसके लिए लड़ेंगे?.
इसके बाद जब किसी ने भी हाथ नहीं उठाया तो उन्होंने कहा कि इसका मतलब है कि काफी समझ पैदा हो चुकी है. गाजी ने पाकिस्तानी सरकार की आलोचना करते हुए कहा,
आज पाकिस्तान में अविश्वास की स्थिति है - एक क्रूर, बेकार व्यवस्था. यह भारत से भी बदतर है. हिंदुस्तान में इतना जुल्म नहीं है, जितना पाकिस्तान में जुल्म है. यहां की सरकार तानाशाह है.
बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा में हो रहे अत्याचारों का भी हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी सरकार अपने ही लोगों पर बमबारी कर रही है. उन्होंने कहा.
बलूचिस्तान में जो हुआ, पाकिस्तान में और खैबर पख्तूनख्वा में जो किया गया. ये अत्याचार हैं. जब लोग तैयार थे, तो राज्य ने अपने ही नागरिकों पर बमबारी कर दी.
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एक तरफ जहां पाकिस्तान संभावित कूटनीतिक और सैन्य नतीजों के लिए तैयार है और जंग की तैयारियों में लगा हुआ है. वहीं, दूसरी तरफ पाकिस्तान की अवाम में असंतोष दिखाई देने लगा है. सोशल मीडिया पर वायरल पाकिस्तान का ये वीडियो 2 मई का बताया जा रहा है. जिसे जामिया हफ्सा और लाल मस्जिद में रिकॉर्ड किया गया है. इस वीडियो से पाकिस्तानी सोशल मीडिया पर आक्रोश फैल गया है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि पाकिस्तान को अब भारत के खिलाफ जंग में लाल मस्जिद के मौलवियों का समर्थन नहीं मिल रहा है. यह पाकिस्तान के भीतर गहरी दरार का संकेत है.
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