खबर है कि BBC दिल्ली के दफ्तर में इनकम टैक्स की टीम ने छापा मारा है (BBC Delhi Office IT Raid). छापे के साथ ही कंपनी में काम करने वाले सभी कर्मचारियों के फोन जब्त किए जाने की भी खबरें आ रही हैं. सूत्रों के हवाले से बात करें तो कर्मचारियों को ऑफिस से बाहर जाने से रोका जा रहा है. दफ्तर को सील किया जा रहा है. लेकिन एक खबर ये भी है कि कई कर्मचारियों को घर जाने के लिए कहा जा रहा है. ऑफिस में मौजूद कंप्यूटर सिस्टम को कब्जे में लिया जा रहा है और उन सिस्टम के पासवर्ड भी लिखवाए जा रहे हैं. कहा जा रहा है मामला इंटरनेशनल टैक्स से जुड़ा है.
दिल्ली में BBC ऑफिस पर इनकम टैक्स का छापा, सबके फोन जब्त करवाए!
ऑफिस को सील करने की खबर आई!

सूत्रों के हवाले से आ रही खबरें बता रही हैं कि लंदन में मौजूद BBC के मुख्यालय को भी सूचना दी गई है.
खबर है कि मुंबई में भी BBC के ऑफिस में IT विभाग की दिल्ली टीम ने रेड मारी है. वहां Bandra Kurla Complex BKC में बीबीसी का ऑफिस है. छापे को लेकर अभी और डीटेल्स आनी बाकी हैं.
छापे पर कांग्रेस की प्रतिक्रिया भी आई है. कांग्रेस ने कहा है,
“पहले BBC की डॉक्यूमेंट्री आई, उसे बैन किया गया. अब BBC पर IT का छापा पड़ गया है. अघोषित आपातकाल”
छापा 14 फरवरी को प्रसारित हुए अमित शाह के इंटरव्यू के प्रसारित होने के कुछ देर बाद ही पड़ा है. इस बातचीत में भी अमित शाह ने विवादित डॉक्यूमेंट्री को लेकर कहा था,
“हजारों साजिशों के बाद भी सच्चाई उभर कर बाहर आता रहा है. वो मोदी के पीछे 2002 से हैं. लेकिन हर बार मोदी जी और मजबूत और लोकप्रिय होकर सामने आते हैं.”
बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री “इंडिया - द मोदी क्वेश्चन” को लेकर देश भर में बहस है. दो एपिसोड वाली इस डॉक्यूमेंट्री में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राजनीतिक सफर को दिखाया गया है. फिल्म पर विवाद इसलिए हो रहा है क्योंकि इसमें 2002 के गुजरात दंगों के दौरान नरेंद्र मोदी की भूमिका पर सवाल उठाए गए हैं. उस दौरान मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे. हालांकि ये डॉक्यूमेंट्री भारत में रिलीज नहीं हुई है.
भारत सरकार ने इस डॉक्यूमेंट्री को 'प्रोपेगैंडा पीस' बताया था. पहला हिस्सा रिलीज होने के बाद ही सरकार ने डॉक्यूमेंट्री के लिंक्स को ट्विटर और यूट्यूब से हटाने के निर्देश जारी किए थे. उस वक्त विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा था-
“ये एक प्रोपेगेंडा का हिस्सा है. यह झूठे नैरेटिव को बढ़ाने का एक मात्र हिस्सा है. इसके पीछे क्या एजेंडा है, यह सोचने को मजबूर करता है. इसमें पूर्वाग्रह, निष्पक्षता की कमी और औपनिवेशिक मानसिकता साफ-साफ झलक रही है. इसमें कोई वस्तुनिष्ठता नहीं है.”
दो एपिसोड वाली इस डॉक्यूमेंट्री का पहला हिस्सा 17 जनवरी को रिलीज हुआ. वहीं दूसरा एपिसोड 24 जनवरी को प्रसारित हुआ.
वीडियो: पीएम मोदी पर बनी बीबीसी डॉक्यूमेंट्री पर विदेशी मीडिया में क्या छप रहा है?