अब गाजियाबाद में एक आदमी को कुत्तों के भौंकने की वजह से बहुत प्रॉब्लम हो रही थी. और उससे भी ज्यादा प्रॉब्लम इस बात से थी कि पड़ोस वाली औरत कुत्तों को रोज़ खाना खिलाती हैं. वैसे हर कॉलोनी में इस तरह के एकाध जलकुकड़े ज़रूर होते हैं. लेकिन ये वाले कुछ ज्यादा नीच निकले. इनको इतना गुस्सा आया कि लाठी से दौड़ा-दौड़ा कर कुत्तों को मारने लगे. एक कुत्ते को इतना मारा कि बेचारा वो कुत्ता मर गया. CCTV कैमरे में इनकी ये हरक़त रिकॉर्ड हो गई. पुलिस में FIR कर दी गई है.
दो दिनों पहले अभी वड़ोदरा में भी ऐसा ही कुछ हुआ था. दो 'शूरवीर' थे. एक कुत्ते को बाइक के पीछे बांध कर घसीट लिए. सिर्फ मज़े लेने के लिए. वो तो गनीमत है कि दो भले लड़कों ने बचा लिया. अब उस कुत्ते का इलाज चल रहा है.

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लेकिन जो लोग इस तरह अपने से कमज़ोर किसी जानवर, बच्चे या बुज़ुर्ग को इस तरह से मारते हैं. क्या साबित करना चाहते हैं? बहुत स्ट्रांग हैं? स्टड हैं? कोई हीरो हैं? किसी दिन जब इनको इनसे बड़ा वाला कोई मिल जाएगा, पूरा पिलपिला जाएंगे.
खैर, इन सारी बुरी वाली बातों के बीच में एक अच्छी वाली खबर भी आई है.
मुरादाबाद का किस्सा है. एक बिना मुंडेर वाला कुआं था. 35 फीट गहरा. एक गाय कहीं से घास चर के आ रही होगी. कुएं में गिर गई. लेकिन वहां आस-पास भले लोग रहते थे. पुलिस और फायर-ब्रिगेड वालों को बुला लिया. सबने मिल कर उस गाय को बाहर निकाला. अब उसका भी इलाज करवा रहे हैं.

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