नटवरलाल. जो ठगी में इतना उस्ताद था कि उसने ताजमहल, लाल क़िला और राष्ट्रपति भवन तक बेच डाला था. अब नटवरलाल इस दुनिया में नहीं है. लेकिन पीतल को सोना बताकर बेचने वाले नटवरलालों से धरती खाली नहीं हुई है. ऐसे ही दो 'नटवरलाल' हैदराबाद में धरे गए हैं. ये दोनों बकरी की खाल को बाघ जैसा रंग कर बेच रहे थे. कहावत है- शेर की खाल में भेड़िया निकलना. लेकिन यहां तो बाघ की खाल में बकरी निकल आई! नकली बाघ की खाल, दांत और नाखून इस मामले में 25 साल के मोहम्मद मुश्ताक और 37 साल के मोहम्मद अब्दुल कदीर को गिरफ्तार किया गया है. कंचनबाग पुलिस की मदद से हैदराबाद साउथ ज़ोन की कमिश्नर टास्क फोर्स ने इन्हें गिरफ्तार किया. उनके पास से नकली बाघ की खाल, दांत और नाखून मिले हैं. यहां से मिला आइडिया आरोप है कि शेख मोहम्मद मुश्ताक को इस ठगी का आइडिया तब आया जब उसने सड़के के किनारे बाघ, हाथी वगैरह के सॉफ्ट टॉयज बिकते हुए देखे. उसने सोचा गुरु! ये तो सही है. ऐसे तो नकली खाल भी बनाई जा सकती है और निकल पड़ा कुछ 'तूफानी' करने. मुश्ताक ने एक कसाई से बकरी की खाल ली और बाघ की तरह इसे रंगकर काली पट्टियां बना दीं. इसे वो मोहम्मद अब्दुल कदीर के साथ मिलकर बाज़ार में बेचने की फिराक में था लेकिन पुलिस को इसकी भनक लग गई और दोनों पकड़े गए. दोनों फिलहाल पुलिस हिरासत में हैं. इन्हें देखकर नटवरलाल भी सोचता, 'नाक कटा दी लड़कों ने.'
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'शेर की खाल में भेड़िया' पुराना हुआ, यहां बाघ की खाल में बकरी मिली है
धरती नटवरलालों से खाली नहीं हुई है.

हैदराबाद पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार किया है जो नकली बाघ की खाल बेचने की फिराक़ में थे.