The Lallantop

कौन हैं हृदय नारायण दीक्षित, जिन्हें यूपी में विधानसभा अध्यक्ष बनाया गया

इस बार इतने वोटों से जीते, जितने उनसे हारने वाले को भी नहीं मिले.

Advertisement
post-main-image
हृदय नारायण दीक्षित को विधानसभा का अध्यक्ष चुना गया.
यूपी में बीजेपी के सीनियर लीडर हृदय नारायण दीक्षित को विधानसभा का अध्यक्ष चुना गया है. बुधवार को उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल कर दिया. इस मौके पर उनके साथ सीएम योगी आदित्यनाथ के अलावा कई विधायक भी मौजूद रहे. उन्नाव जिले के भगवंतनगर से विधायक बने हैं हृदय नारायण दीक्षित. उन्होंने बसपा के शशांक शेखर सिंह को 53,366 वोटों से हराया. इतने वोट तो शशांक को मिले भी नहीं. शशांक को 50,332 वोट मिले. और तीसरे नंबर पर कांग्रेस के अंकित परिहार रहे थे. जब सीएम योगी ने शपथ ली थी तो उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया था, तभी से ये कयास लगाए जा रहे थे कि सीनियर नेता हैं. हो सकता है कि उन्हें यूपी विधानसभा का स्पीकर बनाया जाए. हृदय नारायण दीक्षित उन्नाव में पुरवा तहसील के लउवा गांव के रहने वाले हैं. पहली बार 1985 में चुनाव में उतरे. निर्दलीय चुनाव लड़कर विधायक बन गए. इसके बाद 1989 में वो जनता दल के टिकट पर विधायक बने. जब जनता दल को छोड़ा तो सपा के दामन को थाम लिया और 1993 में चुनाव लड़कर तीसरी बार विधायक चुने गए. 1995 में सपा-बसपा गठबंधन की सरकार थी तब ये संसदीय कार्य मंत्री और पंचायती राज मंत्री रहे. इसके बाद वो 2010 से 2016 तक भाजपा के विधानपरिषद सदस्य और दल नेता भी रहे. इस बार भगवंतनगर सीट से बीजेपी के टिकट पर जीतकर चौथी बार विधायक बन गए.

इमरजेंसी के दौरान रहे थे जेल में

26 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक देश में इमरजेंसी लगा दी गई थी. इस दौरान कई नेताओं को जेल में डाल दिया गया था. तब हृदय नारायण दीक्षित भी जेल गए थे. उन्हें 19 महीने जेल में रखा गया. हृदय नारायण दीक्षित का इमरजेंसी पर कहना है, '1975 में इमरजेंसी लगा कर कांग्रेस ने संविधान का गलत इस्तेमाल किया था. न्यायपालिका की ताकत कमजोर की गई थी और पूरे देश को तहखाना बना दिया गया था. सारे लोकतांत्रिक अधिकारों पर रोक थी. इन हालातों से निपटने के लिए लोकतंत्र के रक्षकों ने संघर्ष किया. यह बात अलग रही कि जिसने संघर्ष किया, उसे जेल में डाला गया और प्रताड़ित किया गया.' हृदय नारायण दीक्षित साहित्यकार और लेखक भी हैं. उनकी कई किताबें भी छपीं. अख़बारों में उनके लेख भी छपते रहे हैं.
  ये भी पढ़िए :

योगी के इकलौते मुस्लिम मंत्री की वो बातें जो आप नहीं जानते होंगे

Advertisement
जो महज़ 26 साल की उम्र में सांसद बने, अब वो यूपी के सीएम बनेंगे अर्थी पर लेटकर योगी आदित्यनाथ के खिलाफ चुनाव लड़ता है ये आदमी ‘2019’ की तैयारी में सरकार के लिए सबसे ज़रूरी काम ये है

Advertisement
Advertisement
Advertisement