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'बेटा पैदा करना है तो अपनाएं ये नुस्खे' ऐसा BAMS के सिलेबस में पढ़ाया जा रहा है

बाबा रामदेव की 'दिव्य पुत्रजीवक बूटी' पर हंगामा हुआ था, अब ये नुस्खे पढ़ लो.

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फोटो - thelallantop
'दिव्य पुत्रजीवक बूटी' ये बाबा रामदेव की वो दवा है, जिपर खूब हंगामा हुआ था. बात संसद तक पहुंची थी. कहा गया था कि 'पीएम नरेंद्र मोदी ने बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का आह्वान किया था और बाबा रामदेव बेटी नहीं, बेटा पैदा करने पर जोर दे रहे हैं, इसके लिए दवा बनाकर बेच रहे हैं.
लेकिन अब बेटा पैदा करने का दावा कोई बाबा नहीं बल्कि किताबों में किया जा रहा है. BAMS यानी आयुर्वेद, मेडिसिन एंड सर्जरी के बैचलर कोर्स में पढ़ाया जा रहा है कि बेटा कैसे पैदा करें. इसकी पूरी रेसिपी थर्ड ईयर की किताब में बताई गई है.
BAMS के थर्ड ईयर की किताब में बेटा पैदा करने के नुस्खे बताए गए हैं. (Source.mumbai mirror)
BAMS के थर्ड ईयर की किताब में बेटा पैदा करने के नुस्खे बताए गए हैं. (Source.mumbai mirror)
मुंबई मिरर के मुताबिक सिलेबस में बताया गया है कि अगर आपको बेटा चाहिए तो उत्तरदिशा मुखी बरगद के पेड़ की पत्तियां, उड़द दाल और सरसों के दानों को पीसकर दही में मिला लें. इसका पेस्ट तैयार करके रोज़ाना उसका सेवन करें. ऐसा करने से बेटा होगा. आपको ये नुस्खा किसी बाबा या फ़कीर का लग रहा होगा, मगर ये नुस्खा आयुर्वेद के कोर्स का हिस्सा है.
मुंबई मिरर की रिपोर्ट के मुताबिक टेक्स्टबुक में बताया गया है कि नर भ्रूण तैयार करने के प्रोसेस को पूसनवान कहा जाता है. जो महिलाएं बेटा चाहती हैं, उन्हें गर्भधारण करने से पहले इस प्रोसेस को अपनाना होगा. BAMS की किताब में इस नुस्खे को चरक संहिता से लिया गया है.
हां वही चरक संहिता जिसका ज़िक्र पतंजलि योगपीठ ने भी अपने बचाव में किया था. जब बेटा-बेटी के फर्क को लेकर बाबा रामदेव को घेरा जा रहा था तो पतंजलि योगपीठ ने बयान जारी कर कहा था कि आयुर्वेद को बदनाम किया जा रहा है. अपनी सफाई में दिए गए बयान में कहा गया था, 'आयुर्वेद में तो सच्चाई यही है कि बांझपन से पीड़ित लोग सदियों से पुत्रजीवक का इस्तेमाल करते आ रहे हैं. इस दवा का हिंदी नाम पुत्रवीजक है, जबकि वानस्पतिक नाम पुत्रजीवरोक्सबर्गी है. महर्षि चारक से लेकर सुश्रुत, सभी आयुर्वेद विशेषज्ञों ने इसके बारे में लिखा है. यह महिलाओं को बांझपन से मुक्ति दिलाता है, न कि लिंग के चयन के लिए है.'

बेटा पैदा करने का दूसरा नुस्खा!

रामदेव की दवा को छोड़िए इस टेक्स्टबुक में बेटा पैदा करने की और भी कई तकनीकों के बारे में बताया गया है. एक तरीका काफी महंगा भी है, क्योंकि उसमें सोने-चांदी का इस्तेमाल करना होगा. इस नुस्खे में बताया गया है कि बेटे की इच्छा रखने वाली महिला को सोना, चांदी या लोहे से दो आदमियों की छोटी मूर्तियां बनानी होंगी. इसके बाद उन्हें भट्टी में झोंककर पिघलाना होगा और पिघले हुए अवशेष को दूध, दही या फिर पानी में घोलकर पुष्प नक्षत्र की शुभ घड़ी में पीना होगा.'
इस सिलेबस को नासिक में महाराष्ट्र यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज (MUHS), नांदेड़ के डॉ. शंकरराव मेडिकल कॉलेज के पूर्व डीन डॉ. दिलीप की देखरेख में तैयार किया गया है. इस सिलेबस पर सबसे पहले गणेश बोरहाडे ने आपत्ति जताई है, जो डिस्ट्रिक्ट सुपरवाइजरी बोर्ड ऑफ प्री-कन्सेप्शन ऐंड प्री-नेटल डायग्नॉस्टिक टेक्नीक्स (PCPNDT ) एक्ट के मेंबर हैं. उनका कहना है कि अगर मेडिकल के स्टूडेंट्स को ये सब पढ़ाया जाएगा तो फिर हमारे समाज का भगवान ही मालिक है.
महाराष्ट्र PCPNDT एक्ट के कंसलटेंट डॉ. आसाराम खड़े का कहना है कि इस बारे सरकार के हेल्थ डिपार्टमेंट के जॉइंट सेक्रेटरी को लेटर भेज दिया गया है. सिलेबस PCPNDT एक्ट का उल्लंघन है.