The Lallantop

लॉरेंस बिश्नोई का इंटरव्यू लेने पत्रकार जेल में कैसे घुसा? SC ने बर्खास्त DSP से पूछा सवाल

मार्च 2023 में एबीपी सांझा पर लॉरेंस बिश्नाई का एक इंटरव्यू आया था. ये इंटरव्यू जेल के अंदर से रिकॉर्ड किया गया था. पंजाब हाई कोर्ट ने मामले पर स्वतः संंज्ञान लेते हुए SIT गठित की थी और सभी दोषी पुलिस अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई का आदेश दिया था.

post-main-image
इस मामले में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में 3 जुलाई को सुनवाई होनी है.

गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई(Gangster Lawrence Bishnoi) के जेल में हुए एक इंटरव्यू के संबंध में नोटिस झेल रहे पंजाब के पूर्व DSP गुरशेर सिंह संधु को सुप्रीम कोर्ट ने झटका दिया है. संधु ने सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) में राहत याचिका देते हुए नोटिस से अंतरिम राहत की मांग की थी. कहा था कि CrPC के सेक्शन 41ए के तहत उन्हें नोटिस भेजना गलत है. उनकी याचिका पर 24 जून को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई थी, जिसमें संधु की याचिका को रद्द कर दिया गया.

मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस केवी विश्वनाथन और एन कोटिस्वर सिंह ने कहा कि इस मामले पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट(Haryana High Court) में 3 जुलाई को सुनवाई होनी है. इसलिए वो दखल नहीं देंगे. नोटिस से अंतरिम राहत देनी है या नहीं, इसे लेकर हाई कोर्ट ही फैसला करेगा. सुनवाई के दौरान जस्टिस विश्वनाथन ने जेल में रिकॉर्ड हुए लॉरेंस बिश्नोई के इंटरव्यू पर सवाल भी किया. उन्होंने पूछा कि पत्रकार आखिर जेल परिसर में अंदर कैसे घुस पाया. इंटरव्यू से एक दिन पहले संधु ही इन्चार्ज थे.

संधु ने दलील दी थी कि मामले में दर्ज FIR में आरोपियों की लिस्ट में उनका नाम नहीं है, फिर भी उन्हें CrPC के सेक्शन 41A के तहत नोटिस भेजा जा रहा है. जबकि संधु पहले ही सुप्रीम कोर्ट से नोटिस से अंतरिम राहत ले चुके थे. ये नोटिस रोके जाएं. संधु के वकील ने ये भी दलील दी है कि संधु का बिश्नोई से कोई लेना देना नहीं था. उन्हें जबरदस्ती फंसाया जा रहा है.

क्या है पूरा मामला?

गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई 2015 से जेल में बंद है. कस्टडी के दौरान ही मार्च 2023 में ABP सांझा चैनल पर उसका एक इंटरव्यू आया था. जेल में लिए गए बिश्नोई के इस इंटरव्यू पर काफी सवाल उठे थे. पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए जेल में फोन के इस्तेमाल पर सवाल खड़ा किया था. इंटरव्यू की जांच के लिए स्पेशल इनवेस्टिगेटिंग टीम (SIT) गठित की थी.

SIT ने जांच के बाद बताया कि पहला इंटरव्यू 3-4 सितंबर, 2022 की दरमियानी रात में हुआ था. उस समय बिश्नोई क्राइम इनवेस्टिगेशन एजेंसी(CIA), खरार की कस्टडी में था. उसका दूसरा इंटरव्यू कथित तौर पर राजस्थान की जेल में हुआ था. जांच के बाद पंजाब सरकार ने संधु समेत 7 पुलिस अधिकारियों को निष्काषित कर दिया था. और विभागीय स्तर पर जांच का आदेश दिया.

नवंबर 2024 में हाई कोर्ट ने मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि पंजाब पुलिस अधिकारियों ने ना सिर्फ जेल के अंदर इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज ले जाने की इजाजत दी, बल्कि इंटरव्यू के लिए स्डूटियो सेटअप का इंतजाम भी किया. कोर्ट ने राज्य सरकार के दोषी पाए गए अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आदेश भी दिया. कहा गया कि कम रैंक वाले पुलिसकर्मियों पर भी सख्ती दिखाई जाए.

इसी कार्रवाई में संधु निष्कासित कर दिए गए थे. इस साल जनवरी में उन्होंने हाई कोर्ट में अपने ऊपर हुई कार्रवाई को चुनौती दी. 4 जून को हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया कि जिन सूबतों के आधार पर संधु का निष्कासन किया गया है उन्हें सील बंद लिफाफे में कोर्ट तक पहुंचाया जाए. कोर्ट ने माना कि इस मामले में पुलिस अधिकारियों पर हो रही कार्रवाई की एंट्री वाली डायरी में संधु के नाम के आगे कोई वजह नहीं लिखी गई थी.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट में अभी मामले की सुनवाई होनी है. इसलिए वो दखल नहीं देंगे. इस पर संधु के वकील ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट कम से कम संधु को नोटिस से अंतरिम राहत का आदेश दे दे. लेकिन बेंच ने दखल देने से इन्कार कर दिया और याचिका को रद्द कर दिया.

वीडियो: संविधान हत्या दिवस मना रही BJP, अमित शाह का भाषण सुन क्या बोले लोग?